नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत की अवधि को 17 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है. उन्होंने पिछले छह सप्ताह सीबीआई की हिरासत और जेल में गुजारे हैं. उन्होंने ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है.
हालांकि, 74 वर्षीय कांग्रेस नेता को थोड़ी राहत देते हुए विशेष जज अजय कुमार कुहड़ ने गुरुवार को उन्हें तिहाड़ जेल में घर का बना खाना मंगाने की अनुमति दे दी. अदालत ने चिदंबरम के मेडिकल रिकॉर्ड पर गौर करते हुए यह राहत दी है. वह पाचन तंत्र में प्रदाह समेत कई बीमारियों से पीड़ित हैं.
अपने ‘कमजोर’ स्वास्थ्य की दुहाई देते हुए चिदंबरम ने कहा था कि वे जेल के भोजन के ‘आदी’ नहीं हैं और न्यायिक हिरासत अवधि में उनका वजन चार किलो घट गया है.
अपने आदेश में विशेष जज कुहड़ ने कहा, ‘जांच कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है. अदालत को बताया गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. आवेदन में दिए गए तथ्यों पर गौर करते हुए और इस बात पर विचार करते हुए कि पूर्व के आदेशों में वर्णित परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, आरोपी की न्यायिक हिरासत 17 अक्टूबर तक बढ़ाई जाती है.’
Supreme Court seeks response from CBI on a plea of senior Congress leader P Chidambaram against the order of the Delhi High Court that dismissed his bail plea in INX Media case. Court issued notice to the CBI and asked it to file reply on October 15. pic.twitter.com/MYz0uQgbiM
— ANI (@ANI) October 4, 2019
जज ने कहा, ‘आवेदक (चिदंबरम) द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिकॉर्ड से साफ है कि वो विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे हैं. वह 74 साल के हैं. उन्हें पाचन तंत्र में प्रदाह की शिकायत है.’
जज ने आगे कहा, ‘इन परिस्थितियों में, उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से ये अच्छा होगा कि उन्हें दिन में एक बार घर का बना खाना मिले ताकि उनके स्वास्थ्य में आगे और गिरावट नहीं आए.’
सीबीआई के तरफ से अदालत में उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम को घर का बना खाना दिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को चिंदबरम की सुरक्षा और सलामती का ध्यान रखने और ये सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि उन्हें नियमानुसार जांच के बाद घर में बना भोजन दिया जाए.
अदालत ने स्पष्ट किया कि घर के भोजन की छूट को एक मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि ये छूट विशेष तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर तथा चिंदबरम के स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका
सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत याचिका में चिदंबरम ने कहा है कि अदालतों को न्यायिक हिरासत को ‘मुकदमे से पहले सजा’ के तौर पर इस्तेमाल करने के अभियोजन पक्ष के प्रयासों को अस्वीकार कर देना करना चाहिए. उन्होंने कहा है कि महज ‘अनाम और असत्यापित आरोपों’ के आधार पर व्यक्ति विशेष की आज़ादी नहीं छीनी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ से ज़मानत याचिका को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया.
खंडपीठ ने उनसे कहा कि याचिका को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के समक्ष पेश किया जाएगा और वही इसकी लिस्टिंग से संबंधित निर्णय करेंगे. बाद में याचिका को शुक्रवार की सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया.
जमानत याचिका ठुकराने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका में चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उन्होंने मामले में किसी गवाह या आरोपी से संपर्क करने या उन्हें प्रभावित करने की कभी कोई कोशिश नही कही है.
उच्च न्यायालय ने चिदंबरम के जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कार्य अग्रिम चरण में है और आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में उनकी जमानत याचिका को खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए कहा है कि सिर्फ इस आशंका में ऐसा किया गया कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने बिना पक्के सबूतों के, और सिर्फ असत्यापित आरोपों के आधार पर ऐसा किया जबकि उन पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है.
अपनी याचिका पर सुनवाई होने तक अंतरिम जमानत की अपील करते चिदंबरम ने कहा है, ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद है. गिरफ्तारी और हिरासत में रखा जाना अपमान और सामाजिक कलंक है. लगता है अभियोजन पक्ष लंबी न्यायिक हिरासत को एक सजा मानता है जो कि वह याचिकाकर्ता पर थोप सकता है. अदालतों को न्यायिक हिरासत को मुकदमे से पहले सजा के तौर पर इस्तेमाल करने के अभियोजन पक्ष के प्रयासों को अस्वीकार कर देना करना चाहिए.’
उन्होंने हाईकोर्ट की इस धारणा को भी गलत बताया कि आईएनएक्स मीडिया के पूर्व प्रोमोटर इंद्राणी और पीटर मुखर्जी उनसे मिले थे और अवैध रूप से उनका तुष्टिकरण किया गया था.
चिंदबरम ने ये भी कहा है कि मामला किसी आर्थिक अपराध से संबंधित नहीं है और न ही इसका सरकारी खजाने पर कोई बोझ पड़ा है.
उन्होंने हाईकोर्ट की इस मान्यता का भी खंडन किया कि कथित सह-साजिशकर्ता और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों को बड़ी मात्रा में धन मिला था.
चिदंबरम 21 अगस्त को गिरफ्तार किए जाने के बाद 42 दिनों से हिरासत में हैं, जिसमें सीबीआई की हिरासत और न्यायिक हिरासत दोनों ही शामिल हैं. उन्हें पहली बार 5 सितंबर को 14 दिनों के लिए तिहाड़ जेल भेजा गया था. बाद में न्यायिक हिरासत की अवधि 3 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई थी.
सीबीआई ने 2007 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की अनुमति दिए जाने में अनियमितता के आरोप में चिदंबरम के खिलाफ 15 मई 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी. कथित अनियमितता के समय चिदंबर वित्तमंत्री थे.
इसके बाद, ईडी ने इसी मामले में 2017 में मनी लाउंड्रिंग का एक मामला दर्ज कराया था.