रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक वन मंडलाधिकारी को करीब 36 घंटे तक दलदल में फंसे रहने के कारण मादा हाथी की मौत का जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया है वहीं दो वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.
राज्य वन विभाग द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि कटघोरा वन परिक्षेत्र के कुल्हरिया के एक दलदली क्षेत्र में फंसी मादा हाथी की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लेते परिक्षेत्र के प्रभारी वन मंडलाधिकारी श्री डी डी संत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. बता दें कि इससे पहले सूबे के दो शेरों की मौत ने छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारियों को सकते में डाल दिया था. नया रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी सुर्फ तीन साल पुराना है. सफारी के अधिकारी भी शेर की मौत का कारण बता पाने में असमर्थता ज़ाहिर की थी.
अब हाथी की मौत पर विभाग के आदेश में साफ साफ कहा गया है कि दलदल में फंसी मादा हाथी को बचाने का कोई प्रयास नही किया गया है. सरकार ने इसे वन मंडलाधिकारी द्वारा गंभीर लापरवाही माना है जिसके कारण राज्य सरकार की छवि धूमिल हुई है और दलदल में फंसी मादा हाथी की मौत हो गयी. हाथी के मौत के 24 घंटे के अंदर की गयी कारवाही में सरकार ने संत को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 ले अंतर्गत निलंबित किया गया है.
वहीं विभाग ने मुख्य वन संरक्षक वन मंडल (वन्यप्राणी) बिलासपुर पी.के. केशर को इस प्रकरण में कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है. सरकार ने अपने कार्यवाही वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कटघोरा वन परिक्षेत्र के प्रभारी वन मंडलाधिकारी को निलंबित करने के साथ साथ केशर को भी दोषी पाया है.
विभाग द्वारा अपने नोटिस में कहा गया है 25 दिसंबर को कटघोरा के कुल्हरिया गांव में कीचड़ में फसी मादा हाथी को बचाने में कोई प्रयास नहीं किए जाने के कारण उसकी मृत्यु दिसंबर 27 को हो गई. इसे शासन ने गंभीरता से लेते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम-1965 के नियम-3 के उल्लंघन का दोषी माना हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम-1966 के तहत उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.
पी.के. केशर को उक्त घटना के लिए शासकीय कार्य के प्रति उदासीनता तथा लापरवाही बरतने के लिए अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम-1968 के नियम-3 का उल्लंघन मानते हुए कारण बताओं नोटिस जारी किया है. राज्य सरकार ने उन्हें भी केशर को 7 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.
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ज्ञात हो कि कटघोरा वन परिक्षेत्र के एक बड़े दलदल में मृत मादा हाथी करीब 36-40 घंटे तक फंसी रही लेकिन अधिकारियों ने इसे बचाने का प्रयास नही किया. कुछ स्थानीय ग्रमीणों ने उसे बचाने का पूरा प्रयास किया लेकिन वे जल्द ही वहां हांथियों के एक अन्य झुंड के उसके नजदीक आने के कारण वहां से भाग गये. अधिकारी विशेषकर कटघोरा वन परिक्षेत्र के प्रभारी वनमंडलाधिकारी ने तो स्पॉट में मृतक हाथी को देखना भी उचित नही समझा.
वन विभाग के अधिकारियों द्वार प्रदेश में हांथियों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति संवेदनहीनता का हाल ही में हुई यह दूसरी घटना ही. करीब दस दिन पहले गंगा नामक एक एडवांस स्टेज की गर्भवती कैप्टिव हाथी को बलरामपुर के जंगल में एक घायल जंगली हाथी के इलाज के लिए करीब 70 किलोमीटर पैदल चलाया गया था. यह भारत सरकार द्वारा इस दिशा में जारी गाइडलाइन के विरुद्ध है.