scorecardresearch
Thursday, 18 September, 2025
होमदेशछत्तीसगढ़ शराब ‘घोटाला’: बेटे के खिलाफ चार्जशीट में ईडी का पूर्व CM बघेल पर पहला सीधा आरोप

छत्तीसगढ़ शराब ‘घोटाला’: बेटे के खिलाफ चार्जशीट में ईडी का पूर्व CM बघेल पर पहला सीधा आरोप

चैतन्य बघेल के खिलाफ चार्जशीट में पूर्व सीएम द्वारा ‘सामान’ या नकदी की डिलीवरी की जानकारी का जिक्र, ‘शराब घोटाले’ के सरगना की पहचान, साथ ही चैट, बयान और मनी ट्रेल दर्ज.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे और कारोबारी चैतन्य बघेल के खिलाफ छत्तीसगढ़ आबकारी नीति मामले में दाखिल अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) में पहली बार सीधे पूर्व सीएम पर आरोप लगाया है. आरोप है कि उनके कार्यकाल (2018 से 2023) में कथित शराब सिंडिकेट चलाया गया.

ईडी ने भूपेश बघेल के परिवार के मित्र लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने खुलासा किया कि पूर्व सीएम ने उनसे कहा था कि अनीवार ढेबर जो कथित सिंडिकेट का सरगना है उन्हें “सामान (नकदी का कोड शब्द)” भेजेगा, जिसे छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाना होगा.

चार्जशीट के अनुसार, अनीवार ढेबर जो रायपुर के पूर्व महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर का भाई है उसे कथित शराब सिंडिकेट का सरगना बताया गया है. चैतन्य पर आरोप है कि उन्होंने अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट और संपर्कों का इस्तेमाल कर इस सिंडिकेट से कमाए पैसों को ठिकाने लगाया.

ईडी का दावा है कि पप्पू बंसल के बयान के मुताबिक, करीब 960 करोड़ रुपये अलग-अलग समय पर कांग्रेस कार्यालय पहुंचाए गए. इस तथ्य की पुष्टि पार्टी कार्यालय में कोषाध्यक्ष के सहायक के बयान से भी हुई है, जिसने नकदी प्राप्त होने की बात स्वीकार की.

एजेंसी ने भूपेश बघेल के पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया पर भी आरोप लगाए हैं कि उन्होंने इस सिंडिकेट से आने वाले पैसों को मैनेज करने में भूमिका निभाई. चौरसिया को पहले कोयला लेवी केस में गिरफ्तार किया गया था और अभी वह ज़मानत पर बाहर हैं.

विशेष लोक अभियोजक सौरभ पांडेय ने दिप्रिंट से कहा, “पूर्व सीएम बघेल का नाम ताजा अभियोजन शिकायत में इसलिए आया है क्योंकि पिछली चार्जशीट के बाद जांच में नए तथ्य सामने आए हैं.”

ईडी की जांच की जड़ें जनवरी 2024 में दर्ज उस एफआईआर से जुड़ी हैं, जिसे छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दर्ज किया था. इसमें 70 व्यक्तियों और संस्थाओं को नामजद किया गया था, जिनमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और कई शीर्ष अफसर भी शामिल थे. यह एफआईआर आयकर विभाग की शिकायत के बाद दर्ज हुई थी, जिसमें राज्य की शराब नीति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था.

ईडी ने इस मामले में पहली अभियोजन शिकायत जून 2024 में दाखिल की थी. सोमवार को दाखिल यह चौथी सप्लीमेंट्री चार्जशीट है, जिसमें चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया गया है. उन्हें जुलाई में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में चैतन्य के वकील फैजल रिज़वी ने ईडी के आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा, “पूरा मामला सिर्फ पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है. पप्पू बंसल को छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू और ईडी द्वारा गिरफ्तारी का खतरा था, इसलिए उन्होंने खुद को बचाने के लिए बयान दिया.”

उन्होंने कहा, “मई में छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ने पप्पू बंसल के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कराया, कुछ हफ्तों बाद उन्होंने राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के सामने जाकर बयान दिया जिसमें चैतन्य का नाम लिया. साफ है कि यह गिरफ्तारी से बचने की कोशिश थी. अब उन्हीं बयानों का इस्तेमाल पूर्व सीएम और उनके बेटे को फंसाने के लिए किया जा रहा है.”

पूर्व सीएम ने हालांकि, ताज़ा चार्जशीट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अपने बेटे की गिरफ्तारी के समय उन्होंने पूरे मामले को “मोदी-शाह की साजिश” बताया था.

‘चैट्स और कबूलनामों का सिलसिला’

ईडी की अभियोजन शिकायत, जो रायपुर की अदालत में दाखिल की गई है, उसमें सौम्या चौरसिया और रिटायर्ड आईएएस अफसर अनिल टुटेजा के बीच हुई कथित चैट्स के अंश शामिल हैं. टुटेजा पर भी सिंडिकेट से जुड़े होने का आरोप है. इन चैट्स में चौरसिया ने अनीवार ढेबर को यह निर्देश भेजे बताए गए हैं कि पप्पू बंसल के साथ अकाउंटिंग की जानकारी साझा न करें. आरोप है कि चैतन्य बघेल ने ही चौरसिया को बताया था कि बंसल बिक्री और हिसाब-किताब को लेकर पूछताछ कर रहे हैं, जिसके बाद उन्होंने यह संदेश आगे पहुंचाया.

ईडी का कहना है कि इन चैट्स से साबित होता है कि चैतन्य को सिंडिकेट की पूरी जानकारी थी और वह सदस्यों के बीच सूचना और निर्देशों का आदान-प्रदान कर रहे थे.

एजेंसी ने 2020 में टैक्स विभाग की छापेमारी में जब्त मोबाइल से एक दस्तावेज़ भी बरामद किया, जिसमें सितंबर 2019 में पूरे छत्तीसगढ़ में देसी और विदेशी शराब की बिक्री से कमाई गई रकम का ब्यौरा दर्ज है. दस्तावेज़ 3 अक्तूबर 2019 का बताया गया है. इसमें “पप्पूजी” के नाम के आगे 36 करोड़ रुपये दर्ज हैं. ईडी का दावा है कि यह 36 करोड़ रुपये सितंबर 2019 में पप्पू बंसल को अवैध रूप से दी गई राशि थी.

एजेंसी का यह भी कहना है कि उसके पास ऐसे सबूत हैं जो सितंबर से दिसंबर 2019 के बीच 136 करोड़ रुपये के लेन-देन को दिखाते हैं. हालांकि, इन्हें चार्जशीट में “संक्षिप्तता” के लिए शामिल नहीं किया गया.

ईडी ने अनीवार ढेबर और उनके सहयोगी नितेश राजपूत के बीच हुई चैट्स के अंश भी जोड़े हैं, जो टैक्स विभाग की छापेमारी के दौरान जब्त मोबाइल से मिले. इनमें पप्पू बंसल तक बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने की बातचीत दर्ज है.

इन खुलासों के बाद एजेंसी ने पप्पू बंसल को पूछताछ के लिए बुलाया और 6 जून से 8 जून के बीच लगातार तीन दिनों तक उनका बयान दर्ज किया. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों में बंसल ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि वह अक्सर बघेल परिवार के घर जाया करते थे.

ईडी के मुताबिक, बंसल ने कहा, “एक मुलाकात में मिस्टर भूपेश बघेल ने मुझसे साफ-साफ कहा कि अनीवार ढेबर उनके पास कुछ ‘सामान’ भेजेंगे, जिसे मुझे छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाना होगा. इसके बाद चैतन्य बघेल मुझे नकदी पहुंचने से एक दिन पहले सूचना देते थे.”

बंसल ने आगे कहा, “मैं खुद रामगोपाल अग्रवाल से डिलीवरी की जगह तय करता था, जो हमेशा राजीव भवन (रायपुर) ही होती थी. यहां ‘सामान’ शब्द नकदी के लिए इस्तेमाल होता था.”

बंसल ने यह भी बयान दिया, “2019 से 2021 के बीच अनीवार ढेबर मुझे लगभग हर महीने चार बार नकदी देते थे. ज्यादातर रकम राजीव भवन, रायपुर पहुंचाई गई. चैतन्य बघेल के कहने पर मैंने कुछ पैसे भूपेश बघेल के दोस्त के.के. श्रीवास्तव को भी दिए. एक बार में 8-12 कार्टन/बैग होते थे, हर कार्टन में लगभग 1 करोड़ रुपये. यानी हर बार 8-12 करोड़ रुपये की नकदी. मैं महीने में करीब 40 करोड़ रुपये संभालता था. दो साल में लगभग 960 करोड़ रुपये का लेन-देन किया. इनमें से 80-100 करोड़ रुपये के.के. श्रीवास्तव को दिए गए, बाकी 860-880 करोड़ रुपये राजीव भवन में रामगोपालजी को सौंपे गए.”

ईडी ने शिकायत में कहा कि यह रकम राजीव भवन में अग्रवाल के एक सहायक देवेंद्र डाडसेना को मिलती थी. डाडसेना 11 और 14 जुलाई को ईडी के सामने पेश हुए, चैतन्य की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले. उन्होंने माना कि वे रामगोपाल अग्रवाल की ओर से पप्पू बंसल से पैसा लेते थे और जानते थे कि यह शराब सिंडिकेट से आ रहा है.

ईडी का कहना है कि इस तरह बंसल का बयान सही साबित होता है और यह स्पष्ट होता है कि अपराध से अर्जित रकम अंततः छत्तीसगढ़ कांग्रेस कार्यालय (राजीव भवन) में कोषाध्यक्ष तक पहुंचाई जाती थी.

एजेंसी के अनुसार, बंसल द्वारा नामित के.के. श्रीवास्तव ने भी माना कि उन्होंने 72 करोड़ रुपये नकद बंसल से लिए और रायपुर में एक हवाला ऑपरेटर को सौंप दिए. ईडी का कहना है कि श्रीवास्तव के कई ड्राइवरों से पूछताछ की गई, जिन्होंने पुष्टि की कि वे भिलाई से बैग लेकर रायपुर पहुंचाते थे.

इसके अलावा, एजेंसी का आरोप है कि चैतन्य ने अपराध की रकम का हिस्सा अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाया. इसमें विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में 18.90 करोड़ रुपये और बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स फर्म में 3.10 करोड़ रुपये लगाए गए. यह निष्कर्ष छापों के दौरान जब्त दस्तावेज़ों और कंपनी से जुड़े अकाउंटेंट्स व अन्य लोगों के बयानों के आधार पर निकाला गया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: शराब ‘घोटाले’ में ED ने भूपेश बघेल के बेटे को किया गिरफ्तार, पूर्व CM का ‘मोदी-शाह’ पर साजिश का आरोप


 

share & View comments