रायपुर: छत्तीसगढ़ के NEET क्वॉलिफाइड तीन विद्यार्थी जिन्हें 2020 में खराब नेटवर्क के चलते सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन से वंचित होना पड़ा था उनका डॉक्टर बनने का सपना अब साकार हो सकेगा. तीनों विद्यार्थियों को जयपुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया है जिसका पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी.
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार तीनों विद्यार्थियों जिनमें दो छात्र और एक छात्रा शामिल हैं को जयपुर स्थित निजी मेडिकल कॉलेज जेएनयू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एण्ड रिसर्च सेंटर में प्रवेश मिल गया है. राज्य सरकार ने तीनों स्टूडेंट्स की दो साल की फीस 1.36 करोड़ 74 हजार रुपए एडवांस में जमा भी कर दिया है. अधिकारियों के अनुसार MBBS कोर्स का कुल खर्च 3.32 करोड़ 25 हजार रुपए आएगा.
ज्ञात हो कि 2020 की NEET परीक्षा दंतेवाड़ा के रहने वाले तीनों छात्र-छात्रा सुधीर रजक, जयंत कुमार और ऐश्वर्या ने पास की थी. लेकिन एडमिशन के लिए होने वाली काउंसलिंग के समय तीनों छात्र अपने गृह क्षेत्र में खराब नेटवर्क के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए. इसके चलते उनका एडमिशन किसी भी मेडिकल कॉलेज में नहीं हो पाया और ऐसा लगने लगा था कि तीनों का डॉक्टर बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा. लेकिन बाद में मीडिया में पूरे प्रकरण की जानकारी आने के बाद मुख्यमंत्री भपेश बघेल ने स्वयं पहल करते हुए छात्र-छात्राओं को निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी खर्चे पर प्रवेश दिलाने के लिए दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर को आदेश दिया.
नीट 2020 का रिजल्ट अक्टूबर में जारी किया गया था दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने दिप्रिंट को बताया, ‘छात्रों का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नही हो पाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था. लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रशासन ने कई राज्यों में अच्छे निजी कॉलेजों की जानकारी इकट्ठा की. इस काम में राजस्थान के मेडिकल एजुकेशन विभाग से संपर्क किया गया और जयपुर के जेएनयू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एण्ड रिसर्च सेंटर को उपयुक्त पाया गया. आज तीनों विद्यार्थी सुधीर रजक, जयंत कुमार और ऐश्वर्या का मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने की कार्यवाही पूरी कर ली गई और उनकी दो साल की फीस भी जमा कर दी गई है.’
दिप्रिंट द्वारा संपर्क करने पर छात्र सुधीर रजक ने कहा, ‘2020 NEET परिणाम के बाद गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का सपना पूरा होने लगा था लेकिन बदकिस्मती से नहीं हो पाया. मुख्यमंत्री और दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की मदद से हम तीनों को यहां एडमिशन मिल गया है. अब पूरा ध्यान अच्छी पढ़ाई कर एक काबिल डॉक्टर बनने पर होगा.’