नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित छत्तीसगढ़ सरकार बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित महामाया देवी मंदिर को काशी विश्वनाथ और महाकाल लोक कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने की योजना बना रही है, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
महामाया देवी मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु, विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, दर्शन के लिए आते हैं.
जनवरी में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संचालित सरकारी रियल एस्टेट डेवलपर एनबीसीसी (NBCC) ने इस परियोजना का प्रस्ताव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समक्ष पेश किया.
इस योजना के तहत मौजूदा मंदिर परिसर, जो 34 एकड़ में फैला हुआ है, को काशी और महाकाल जैसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे एक लाख से अधिक श्रद्धालु आसानी से यहां आ सकें.
आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री टोखन साहू इस परियोजना के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्होंने एनबीसीसी से मंदिर कॉरिडोर के विकास की योजना तैयार करने को कहा था.
“इस पहल का उद्देश्य केवल मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करना ही नहीं, बल्कि इसे एक नया और समृद्ध अनुभव प्रदान करना भी है. इससे राज्य में धार्मिक पर्यटन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा मिलेगा,” बिलासपुर के सांसद टोखन साहू ने दिप्रिंट को बताया.
उन्होंने आगे कहा, “एनबीसीसी ने पिछले महीने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के समक्ष इस परियोजना की योजना प्रस्तुत की थी. एनबीसीसी इस परियोजना के प्रबंधन सलाहकार (Project Management Consultant) के रूप में कार्य करेगा और इसमें होटल, रेस्तरां जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा. इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 200 करोड़ रुपए होगी.”
हालांकि, अभी योजना के विस्तृत विवरण को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. साहू ने कहा कि परियोजना के लिए धन की व्यवस्था करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. पिछले साल इस प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था ताकि इसे प्रधानमंत्री तीर्थक्षेत्र कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (PM-PRASAD) जैसी केंद्रीय सरकारी योजनाओं के तहत वित्त पोषित किया जा सके.
छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह योजना अभी शुरुआती चरण में है और मंदिर ट्रस्ट के साथ विचार-विमर्श के बाद इसकी रूपरेखा तय की जाएगी.
“एनबीसीसी द्वारा प्रस्तुत योजना को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. यह चर्चा के शुरुआती चरण में है और इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है,” राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के सलाहकार (योजना एवं नीति) धीरेंद्र तिवारी ने कहा कि सरकार विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
“यह हमारी ‘विकसित छत्तीसगढ़’ दृष्टि दस्तावेज़ का हिस्सा है. हम रतनपुर, डोंगरगढ़, दंतेश्वरी, चंद्रहासिनी, कुदरगढ़ जैसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों के विकास की योजना बना रहे हैं ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके,” उन्होंने कहा. “रतनपुर पहला मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना होगी. यह परियोजना शुरुआती चरण में है और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा.”
अगर, यह योजना पूरी तरह से लागू होती है, तो यह एनबीसीसी द्वारा विकसित की जाने वाली पहली मंदिर कॉरिडोर परियोजना होगी. अब तक एनबीसीसी मुख्य रूप से भारत में आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं के विकास पर केंद्रित रहा है.
भारत और विदेशों में आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं के विकास के अलावा, एनबीसीसी पुनर्विकास परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है और निजी डेवलपर्स द्वारा छोड़ी गई अटकी हुई आवासीय परियोजनाओं को पूरा कर रहा है.
“दिल्ली में 7GPRA, ईस्ट किदवई नगर और न्यू मोती नगर जैसी पुनर्विकास परियोजनाओं को लागू करने के बाद, अब हम देश के अन्य हिस्सों में पुनर्विकास परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं. अब हम पुराने धार्मिक स्थलों को नए आधुनिक कॉरिडोर के रूप में पुनर्विकसित करने की योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं,” एनबीसीसी के सीएमडी के.पी. महादेवस्वामी ने दिप्रिंट को बताया.
रतनपुर के धार्मिक पर्यटन को मैप पर लाने के लिए कॉरिडोर की योजना
34 एकड़ भूमि में फैले इस मंदिर परिसर में वर्तमान में महामाया देवी का मंदिर, 22 कमरे (जहां विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान 20,000 से अधिक दीप जलाए जाते हैं), तीन धर्मशालाएं, कार्यालय स्थल आदि शामिल हैं. योजना मुख्य मंदिर को छोड़कर पूरे क्षेत्र के पुनर्विकास की है.
एनबीसीसी के प्रस्ताव के अनुसार, योजना के तहत चार मंजिला ज्योति कलश केंद्र, दो होटल, दो बड़े जलाशयों का पुनर्विकास, संग्रहालय, दुकानें, पार्किंग सुविधा और मंदिर ट्रस्ट के लिए कार्यालय स्थल आदि विकसित किए जाएंगे.
राज्य अधिकारियों के अनुसार, भूमि ट्रस्ट की है, जो मंदिर परिसर के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है. यह योजना पिछले महीने ट्रस्ट के साथ साझा की गई थी.
“हमारे साथ इस योजना पर चर्चा की गई थी। हम चाहते हैं कि मंदिर परिसर का पुनर्विकास हो, क्योंकि लाखों श्रद्धालु, विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं,” सिद्ध शक्ति पीठ श्री महामाया देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर ने दिप्रिंट को इसकी पुष्टि की.
इस प्रस्ताव के प्रमुख घटकों में से एक चार मंजिला ज्योति कलश भवन का निर्माण है, जहां एक साथ लगभग 40,000 दीप जलाए जा सकेंगे.
“यह मंदिर ज्योति कलश (दीप प्रज्वलन) के लिए प्रसिद्ध है. भक्तों की ओर से, मंदिर प्रबंधन नवरात्रि के नौ दिनों तक दीप जलाता है. इस अवधि के दौरान लगभग 20,000 से अधिक दीप जलाए जाते हैं. इसके लिए हमारे पास 200 से अधिक लोगों की एक टीम है. एनबीसीसी की योजना के अनुसार, नए भवन में लगभग 40,000-50,000 दीपों के लिए स्थान होगा. हमने पुनर्विकास योजना को लेकर एनबीसीसी को कुछ सुझाव भी दिए हैं,” ठाकुर ने कहा.
उन्होंने आगे बताया कि मंदिर परिसर तक पहुंचने वाले मार्ग को चौड़ा करने की भी योजना है. “मौजूदा 15 फुट चौड़े मार्ग को 60 फुट तक चौड़ा करने की योजना है.”
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