नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा, “चिंता की कोई बात नहीं”, क्योंकि भारत का तीसरा चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, आज शाम चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए तैयार है.
चंद्रयान-3 शाम 7 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने वाला है.
आज चंद्रयान-3 के लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (एलओआई) पर अपडेट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “चिंता की कोई बात नहीं… लैंडिंग लगभग एक हफ्ते बाद होगी.”
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को ट्वीट किया, “अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है. लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (एलओआई) 5 अगस्त, 2023 को लगभग 19:00 बजे के लिए निर्धारित किया गया है.”
सिंह ने कहा, “यह चक्कर लगाता है. इसमें कक्षा लगती है और समय तय करना होता है.जब यह चंद्र मंडल में जाता है तो यह बड़ी कक्षा और छोटी कक्षा लेता है, फिर यह सबसे भीतरी कक्षा में आता है और फिर समय चुना जाता है और लैंडिंग का सटीक स्थान भी चुना जाता है।.”
23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा.
चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान, जिसे 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय की.
चंद्रयान-3, भारत का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन, भारत को अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बना देगा, जो चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारेगा और चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए देश की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा.
स्पेसक्राफ्ट को 14 जुलाई, 2023 को 14:35 IST पर LVM-3 पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष यान वर्तमान में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए कक्षा संचालन की श्रृंखलाओं से गुजर रहा है.
चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास 23 अगस्त को किया जाएगा. लैंडिंग के बाद, यह एक चंद्र दिवस तक काम करेगा, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है.
चंद्रयान -3 घटकों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल उपप्रणालिया शामिल हैं, जिनका मकसद सुरक्षित और आराम से लैंडिंग सुनिश्चित करना है, जैसे कि- नेविगेशन सेंसर, प्रोपल्सन सिस्टम्स (प्रणोदन प्रणाली- आगे की तरफ धक्का देने वाली), मार्गदर्शन और नियंत्रण आदि हैं.
चंद्रयान-3 के घोषित उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग हैं.
चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत रु. 250 करोड़ (लॉन्च वाहन लागत को छोड़कर) है.
चंद्रयान-3 का विकास चरण जनवरी 2020 में शुरू हुआ और लॉन्च की योजना 2021 में किसी समय बनाई गई थी. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण मिशन की प्रगति में अप्रत्याशित देरी हुई.
चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद चंद्रयान-3 इसरो का अनुवर्ती प्रयास है और अंततः इसे अपने मुख्य मिशन उद्देश्यों में विफल माना गया.
चंद्रमा पृथ्वी के अतीत के भंडार के रूप में कार्य करता है और भारत का एक सफल चंद्र मिशन पृथ्वी पर जीवन को बढ़ाने में मदद करेगा, साथ ही इसे सौर मंडल के बाकी हिस्सों और उससे आगे का पता लगाने में भी सक्षम बनाएगा.
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