नई दिल्ली: चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. 2019 में विफलता के बाद चंद्रमा पर उतरने के भारत के दूसरे प्रयास और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतरने वाला पहला देश बन चुका है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन निदेशक देश के अंतरिक्ष मिशन को एक ऐतिहासिक क्षण बनाने वाले उन वैज्ञानिकों से मिलवा रहे हैं जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाया और इतिहास रचा है. इन्हीं वैज्ञानिकों की मेहनत की वजह से आज भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने चांद के साउथ पोल पर लैंड किया है.
एस सोमनाथ, इसरो अध्यक्ष
पिछले साल जनवरी में अंतरिक्ष एजेंसी का नेतृत्व संभालने के बाद इसरो अध्यक्ष एक जाना माना नाम बन गए हैं. तब से, सोमनाथ भारत के तीसरे चंद्र मिशन का एक मुख्य चेहरा बन गए हैं.
सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के साथ-साथ तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक के रूप में कार्य किया है – ये दोनों इसरो में रॉकेट के डेवल्पमेंट पर काम कर रहे हैं.
उनकी विशेषज्ञता प्रक्षेपण वाहनों के सिस्टम इंजीनियरिंग में हैं, और उन्होंने पीएसएलवी और जीएसएलवी एमकेIII के डिजाइन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसे अब लॉन्च वाहन मार्क-III के रूप में जाना जाता है. इन दोनों लॉन्च वाहनों का एक सफल लॉन्च का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है.
पी वीरमुथुवेल, चंद्रयान-3 परियोजना निदेशक
तमिलनाडु के विल्लुपुरम में एक साधारण परिवार से आने वाले वीरमुथुवेल ने 2019 में चंद्रयान -3 के परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला हुआ है. आईआईटी-मद्रास के पूर्व छात्र पहले इसरो के मुख्य कार्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक थे.
वह कई रिमोट सेंसिंग उपग्रहों, भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन ‘मंगलयान’ और हाल ही में चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 सहित विभिन्न परियोजनाओं का हिस्सा रहे हैं.
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एस उन्नीकृष्णन नायर, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक
नायर केरल में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक हैं और उन्होंने वीएसएससी लॉन्च व्हीकल मार्क-III को विकसित किया है. वीएसएससी के प्रमुख के रूप में, नायर और उनकी टीम चंद्रयान-3 मिशन के विभिन्न पहलुओं की देखरेख कर रही है.
1985 में वीएसएससी तिरुवनंतपुरम में अपने करियर की शुरुआत करने वाले नायर ने अपने कार्यकाल के दौरान वाहन तंत्र, ध्वनिक सुरक्षा प्रणालियों और पेलोड फेयरिंग क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
इसके अलावा नायर बेंगलुरु के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के पहले निदेशक भी हैं. उन्हें मानव अंतरिक्ष उड़ान, और पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकास जैसी उन्नत परियोजनाओं का नेतृत्व करने में विशेषज्ञता प्राप्त है.
नायर ने पहले कक्षीय पुनः प्रवेश प्रयोग, स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट (एसआरई) में अध्ययन चरण के शुरू होने से लेकर 2007 में इसके मिशन की उपलब्धि तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने देश में पहली बार वाहन पुनः प्रवेश के लिए पैराशूट और अन्य रिकवरी सिस्टम विकसित करने में मौलिक योगदान दिया है.
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने समुद्र से एसआरई की वसूली के लिए पुनर्प्राप्ति प्रक्रियाओं को तैयार करने और कार्यान्वयन के लिए सेवाओं सहित विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
एम शंकरन, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर निदेशक
2021 से, शंकरन यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में निदेशक रहे हैं, जो ऐसे उपग्रह विकसित करने के लिए जिम्मेदार है जो भारत की संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज जैसी विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.
यूआरएससी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, शंकरन यूआरएससी में संचार और पावर सिस्टम क्षेत्र के उप निदेशक के रूप में कार्य कर रहे थे और विकास का नेतृत्व कर रहे थे.
यूआरएससी और इसरो में अपने 35 वर्षों के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने मुख्य रूप से सौर सरणियों, बिजली प्रणालियों, सैटेलाइट पोजिशनिंग सिस्टम और लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) उपग्रहों, भूस्थैतिक और नेविगेशन उपग्रहों और बाहरी अंतरिक्ष मिशनों के लिए आरएफ संचार प्रणालियों के क्षेत्रों में योगदान दिया है. जैसे चंद्रयान, मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) आदि.
उन्होंने चंद्रयान-1 और 2, मार्स ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट आदि जैसे अंतरग्रहीय मिशन के लिए बिजली उत्पादन और वितरण प्रणालियों के लिए एक अद्वितीय डिजाइन विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
ए राजराजन, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र निदेशक
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में, राजराजन की टीम इसरो की लॉन्च की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लॉन्च कॉम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करती है.
इससे पहले, उन्होंने समय-समय पर ‘प्रोपल्शन एंड स्पेस ऑर्डिनेंस एंटिटी (पीआरएसओ), एयरो स्पेस ऑर्डनेंस एंटिटी (एएसओई), कंपोजिट्स एंटिटी (सीएमएसई) और स्ट्रक्चर्स एंटिटी (एसटीआर)’ सहित विभिन्न वीएसएससी संस्थाओं के उप निदेशक के रूप में जिम्मेदारी संभाली है. .
उन्होंने कंपोजिट उत्पादों के डिजाइन और विकास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है और उपग्रहों और लॉन्च वाहन उप-प्रणालियों के लिए कंपोजिट के विकास के लिए कई नवीन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
2017 में, PSLV C39 मिशन की विफलता के बाद, उन्हें प्रोपल्शन एंड स्पेस ऑर्डिनेंस एंटिटी (PRSO) के उप निदेशक के रूप में एक अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी. राजराजन ने मुद्दों को संबोधित करने और सिस्टम के विश्लेषणात्मक तरीकों में सुधार के साथ-साथ सिस्टम की विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए टीम का नेतृत्व किया है.
(अनुवाद/ आशा शाह)
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