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Sunday, 12 October, 2025
होमदेशIPS ‘सुसाइड’ केस में चंडीगढ़ पुलिस ने FIR में किया बदलाव, जोड़ी SC/ST एक्ट की आजीवन कारावास वाली धारा

IPS ‘सुसाइड’ केस में चंडीगढ़ पुलिस ने FIR में किया बदलाव, जोड़ी SC/ST एक्ट की आजीवन कारावास वाली धारा

आईपीएस अफसर वाई.पी. कुमार की पत्नी और आईएएस अफसर अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ एसएसपी को प्रतिनिधित्व देकर एफआईआर में 2 ‘गड़बड़ियों’ की ओर इशारा किया था, जिनमें एससी/एसटी एक्ट की हल्की धारा लगाना भी शामिल था.

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गुरुग्राम: आईपीएस अफसर वाई. पुरन कुमार सुसाइड केस में चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर में बड़ा बदलाव किया है. इसमें एससी/एसटी एक्ट की वह धारा, जिसमें सिर्फ छह महीने की सज़ा का प्रावधान था, उसे हटाकर अब वह धारा लगा दी गई है जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है. यह कार्रवाई उस दिन हुई जब हरियाणा सरकार ने रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरणिया का तबादला कर दिया — वही अधिकारी जिन पर कुमार ने उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.

चंडीगढ़ पुलिस के एक सूत्र ने पुष्टि की कि सेक्टर-11 थाने में 9 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर नंबर 156 में शुरू में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) लगाई गई थी, जिसे अब बदलकर धारा 3(2)(V) कर दिया गया है.

शनिवार को ही हरियाणा सरकार ने बिजरणिया को हटा कर उनकी जगह हरियाणा सशस्त्र पुलिस की 5वीं बटालियन, मधुबन के कमांडेंट सुरेंद्र सिंह भोरिया को नया रोहतक एसपी नियुक्त किया. गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि बिजरणिया की नई पोस्टिंग के आदेश अलग से जारी किए जाएंगे.

9 अक्टूबर को अपनी मूल शिकायत में, पुरन कुमार की पत्नी और आईएएस अफसर अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने रोहतक एसपी बिजरणिया के ज़रिए उनके पति को फंसाने की साज़िश रची. बाद में बिजरणिया का तबादला कर दिया गया.

पुरन कुमार ने अपने कथित आठ पन्नों के ‘फाइनल नोट’ में भी इन दोनों अधिकारियों पर यही आरोप लगाए थे. बढ़ते विरोध के बीच 9 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.

अगले दिन, अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ एसएसपी कंवरदीप कौर को एक प्रतिनिधित्व दिया, जिसमें उन्होंने एफआईआर के कॉलम 7 में आरोपियों के नाम न लिखे जाने, एससी/एसटी एक्ट की हल्की धारा लगाने और उनके पति की जेब से मिले ‘फाइनल नोट’ की प्रति न देने पर आपत्ति जताई थी ताकि वह एफआईआर में लिखे गए नोट से तुलना कर सकें.

एफआईआर दर्ज होने वाले दिन दिप्रिंट से बात करते हुए एसएसपी कंवरदीप कौर ने कहा था कि जब आरोपियों की संख्या ज़्यादा होती है (फाइनल नोट में 15 अधिकारियों के नाम थे) तो कॉलम 7 में नाम न लिखना आम प्रैक्टिस है.

जहां तक ‘फाइनल नोट’ की प्रति देने की बात थी, एसएसपी ने कहा कि घटनास्थल से मिले सभी सामान ‘केस प्रॉपर्टी’ बन जाते हैं और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने से पहले उन्हें किसी से साझा नहीं किया जा सकता. हालांकि, उन्होंने कहा कि अमनीत पी. कुमार के अनुरोध पर कोर्ट से अनुमति मांगी जाएगी और अगर कोर्ट इजाज़त देता है तो नोट उन्हें दे दिया जाएगा.

एससी/एसटी एक्ट की हल्की धारा लगाने के सवाल पर कौर ने कहा था कि इस पर पुलिस बाद में लिखित बयान देगी. हालांकि, शनिवार को पुलिस ने अमनीत की मांग मानते हुए एफआईआर में धारा 3(1)(r) की जगह 3(2)(V) लगा दी.

चंडीगढ़ पुलिस की 21 पन्नों की शुरुआती एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 108 और 3(5), और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) का ज़िक्र था. इसमें पुरन कुमार का आठ पन्नों का ‘फाइनल नोट’ और उनकी पत्नी की तीन पन्नों की शिकायत की प्रति भी शामिल थी.

10 अक्टूबर को दिए प्रतिनिधित्व में अमनीत पी. कुमार ने कहा था, “एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की जो धारा लगाई गई है वह कमज़ोर है. इस मामले में लागू होने वाली उचित धारा 3(2)(V) है. सही कानूनी प्रावधान लागू करने के लिए धाराएं इसी अनुसार जोड़ी जानी चाहिए.”

एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(V) के तहत, अगर कोई व्यक्ति जो स्वयं एससी या एसटी समुदाय का सदस्य नहीं है, किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ उनकी जाति या जनजातीय पहचान के आधार पर कोई ऐसा अपराध करता है जो भारतीय दंड संहिता के तहत 10 साल या उससे अधिक की सज़ा वाला है, तो उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.

वाई. पुरन कुमार सुसाइड केस में एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा लगी है, जिसकी सज़ा 10 साल तक की है. इसी आधार पर अमनीत ने धारा 3(2)(V) लगाने की मांग की थी.

एसआईटी ने तेज़ की जांच

उपरोक्त सूत्र ने बताया कि आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अगुवाई वाली चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी ने शनिवार को हरियाणा पुलिस को पत्र लिखकर रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 319 और जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी है.

इस एफआईआर में पुरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार पर रिश्वत मांगने का आरोप है, जिसमें पुरन कुमार को भी आरोपी बनाया गया था.

सूत्र के मुताबिक, जैसे ही चंडीगढ़ पुलिस को इस एफआईआर से जुड़े रिकॉर्ड मिलेंगे, एसआईटी पूर्व रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरणिया को पूछताछ के लिए बुला सकती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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