रायपुर: इसे छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासन की नाकामी और संवेदनहीनता ही कहेंगे कि एक 27 वर्षीय व्यक्ति उनके सामने अपने अन्धविश्वास को साबित कर सिद्धि पाने के लिए जमीदोज समाधि लगाकर जान दे देता है और सरकार के नुमाइंदे उसे बचा भी नही पाते हैं. ऐसा ही वाकया हुआ राज्य में महासमुंद जिले के पचरी गांव में जहां 27 वर्षीय एक युवक चमनलाल जोशी ने जमीन के अंदर 108 घंटे की ऐसी समाधि लगाई की वह अपनी जान ही गवां बैठा.
चमनलाल पिछले पांच वर्षों से छत्तीसगढ़ के जाने माने संत बाबा गुरुघासीदास के जन्म दिवस के अवसर पर समाधि लगाकर यह बताने का प्रयास करता रहा कि 72 घंटे या फिर उससे अधिक समय तक बिना किसी हवा पानी के जमीन के अंदर रहने के बावजूद भी बाबा उसे बचा लेंगे. पहले तीन साल उसके समाधि की समयावधि 72 घंटे रही लेकिन 2017 में समय 12 घंटे बढ़ाकर 84 घंटे की कर दी थी वहीं पिछले वर्ष चमनलाल ने 96 घंटे की समाधि लगाकर जीवित बच गया था लेकिन इस वर्ष वह इतना खुशकिस्मत नहीं रहा.
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष चमनलाल ने अपनी समाधि लगाए जाने की अवधि 12 घंटे बढ़ा कर 108 घंटे कर दी थी और 16 दिसंबर को पूरे रीति रिवाज के साथ जमीन के अंदर बनाये गए गड्ढे में सामने एक दिया जलाकर ध्यानमग्न हो गया. जिस गड्ढे में चमनलाल बैठा था उसे लकड़ी की कच्ची छत बनाकर फिर मिट्टी से पूरी तरह ढक दिया गया था. 20 दिसंबर की दोपहर ग्रामीणों ने जब उसे गड्ढे से बाहर निकाला तो चमनलाल का शरीर एक बुत में तब्दील हो चुका था.
यह सोचकर की विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी कुछ घरेलू इलाज से वह सामान्य हो जाएगा ग्रामीणों ने शाम तक उसे घर में ही रखा परंतु जब होश नहीं आया तो जिला अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार चमनलाल की मृत्यु वहां लाने से करीब 24 घंटे पहले ऑक्सिजन की कमी के कारण दम घुटने से हो गयी थी.
ज्ञात हो की इस पूरी घटना के दौरान स्थानीय पुलिस ने अपनी निगरानी बनाये रखी थी लेकिन चममलाल की जान बचाने में असफल रही. पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों ने यह माना की बल प्रयोग से इसे रोका जा सकता लेकिन स्थानीय पुलिस ने साहस नहीं दिखाया.
इस संबंध में दिप्रिंट ने जिला प्रशासन से संपर्क किया तो जिलाधिकारी एसके जैन ने इस हादसे पर खेद तो जताया लेकिन यह बता नहीं पाए कि प्रशासन मृतक को क्यों नही बचा पाया. जैन ने बताया की चमनलाल की अटूट आस्था के आगे ग्रामीणों ने उसका साथ दिया और प्रशासन उसमे हस्तक्षेप नही कर पाया. जिलाधिकारी कहते हैं ‘यह वाकई बहुत दुखद घटना है और शासन इस मामले में उचित कार्यवाही कर घटना स्थल को किसी प्रकार की धार्मिक मान्यता देनेवाली प्रक्रिया को प्रतिबंधित करेगा.’
वहीं पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने बताया की ऐसा नही था की पुलिस ने अपने दायित्व का पूरा निर्वहन नहीं किया. पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मृतक के अंधविश्वास और अड़ियल रवैए की वजह से ग्रामीणों ने भी बाबा के प्रति अपनी आस्था की वजह से उसका साथ दिया जिसके कारण सुरक्षाकर्मियों ने किसी प्रकार का बल प्रयोग करना उचित नही समझा.
शुक्ला कहते हैं, ‘क्या बाबा जो सबके आराध्य हैं अपने भक्तों को इस प्रकार के कृत्य के लिए प्रेरित करेंगे. स्थानीय एसएचओ और उनकी टीम ने मृतक को कई बार समझाया था की ऐसा करना उसले लिए जान लेवा हो सकता है लेकिन वह नहीं माना.’
उन्होंने आगे बताया की मृतक के माता-पिता नही हैं लेकिन एक भाई है जिसका नाम नंदलाल जोशी है. जब पुलिस ने नंदलाल से अपने भाई को समझाने का आग्रह किया तो उसने ऐसा करने से मना कर दिया.
शुक्ला के अनुसार नंदलाल ने भी ग्रामीणों की बात में सहमति जताते हुए कहा की जब पिछले पांच साल से उसे कुछ नहीं हुआ तो इस वर्ष भी कुछ नही होगा और यह मृतक की आस्था का सवाल था.
शुक्ला आगे कहते हैं कि उन्होंने एसएचओ को आदेश दिया था कि आवश्यकता पड़े तो चमनलाल को बलपूर्वक उठा लिया जाय लेकिन स्थानीय पुलिस ग्रामीणों के विरोध के चलते असहाय थी.
शुक्ला ने कहा की उनकी टीम इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि मृतक के समाधि स्थल को किस प्रकार की सामाजिक मान्यता या फिर मुद्दा कोई राजनीतिक रंग न ले. पुलिस और महासमुंद जिला प्रशासन चमनलाल के समाधि स्थल का सामाजिक महिमा मंडन से बचाने के प्रयास में जुटी है.