नई दिल्ली: सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने 15 दिन के भीतर (दिल्ली) नगर निगम शिक्षक संघ के सदस्यों को सैलरी दिए जाने का आदेश दिया है. सैलरी की समस्या से जूझ रहे प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के मामले में नगर निगम शिक्षक संघ ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद कैट का दरवाज़ा खटखटाया था.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) तीन भागों में बंटा है. नगर निगम शिक्षक संघ के जेनरल सेकेरेट्री राम निवास सोलंकी ने बताया, ‘इसके लिए काम करने वाले नॉर्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एनडीएमसी) के 8000 शिक्षकों को 3 महीने की सैलरी नहीं मिली है. साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (एसडीएमसी) के 6000 और ईस्ट दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (ईडीएमसी) के 5000 शिक्षकों को 1 महीने की सैलरी नहीं मिली. इस मामले में सबसे ज़्यादा प्रभावित एनडीएमसी के शिक्षक हैं.’
इस मामले में सोमवार 14 जून को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए फ़ैसला सुनाते हुए कैट ने कहा, ‘रेस्पॉन्डेंट्स का कहना है कि (शिक्षकों की) सैलरी समय से दी जा रही है. हालांकि, अगर कर्मचारियों को अभी भी सैलरी नहीं मिल रही है तो इन्हें ये 15 दिनों के भीतर मिल जानी चाहिए.’
मामले में अगली सुनवाई 29 जून को होनी है.
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘हमने एनडीएमसी और अन्य दो कॉर्पोरेशन को अप्रैल, मई और जून के महीने के पैसे अपनी तरफ़ से दे दिए हैं.’ अधिकारी ने इसपर कमेंट करने से मना कर दिया कि कॉर्पोरेशन शिक्षकों को सैलरी क्यों नहीं दे रही है. हालांकि इस मामले में एनडीएमसी के मेयर अवतार सिंह को फ़ोन और मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका कोई जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं आया है.
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कैट का आदेश पेंडिंग सैलरी देने में मदद करेगा
नगर निगम शिक्षक संघ के जेनरल सेकेरेट्री राम निवास सोलंकी ने दिप्रिंट से कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिग से हुई मामले की सुनाई के दौरान कैट से झूठ बोला गया है.
उन्होंने कहा, ‘अगर हमें सैलरी मिल रही होती तो हम हाई कोर्ट या कैट के पास जाने की क्या ज़रूरत थी.’
सोलंकी ने कहा, ‘एनडीएमसी के प्राइमरी स्कूलों के 8000 शिक्षक 3 महीने से धक्के खा रहे हैं. हमें मार्च, अप्रैल और मई की सैलरी नहीं मिली है.’
सोलंकी के मुताबिक इसके पहले शिक्षक संघ ने 6 जून को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 8 जून को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने इन्हें कैट के पास जाने का निर्देश दिया.
शिक्षक संघ वकील अजेश लुथरा ने बताया कि ये मामला बेहद पेचीदा है और सैलरी देर से मिलने की दिक्कत 2015 से बनी हुई है. उन्होंने कहा, ‘इसे लेकर हम कई बार कैट के पास गए हैं. जब यहां से आदेश आता है तो सैलरी दे दी जाती है वरना तो मामला लटका रहता है.’
उन्होंने बताया कि एसडीएमसी और ईडीएमसी के शिक्षकों को भी मई की सैलरी नहीं मिली है. इसलिए मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और तीनों नगरपालिकाओं को पार्टी बनाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘सैलरी के मामले में 60 प्रतिशत नगरपालिकाओं और 40 प्रतिशत दिल्ली सरकार को देना होता है.’
एक तरफ़ दिल्ली में जहां आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की सरकार है, नहीं नगरपालिका पर भाजपा के हाथों में है. लुथार ने कहा, ‘नगरपालिकाएं और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर पैसे नहीं देने के आरोप लगाते रहते हैं. लेकिन जब आदेश आता हैै तो सैलरी अपने आप आ जाती है. फिर हम भी पचड़े में नहीं पड़ते की आख़िर ग़लती किसकी है.’
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‘दिल्ली सरकार और NDMC के बीच समस्या’
मामले में गृह मंत्रालय की तरफ़ से पेश हुए वकील ज्ञानेंद्र सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्र समय से पैसे दे देता है. उन्होंने कहा, ‘केंद्र समय से पैसे दे देता हैं. दिक्कत दिल्ली सरकार और एनडीएमसी के बीच है.’
एनडीएमसी के शिक्षकों के मामले में हाई कोर्ट वकील अशोक अग्रवाल ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की है. याचिका में अपील करत हुए कहा गया है कि एनडीएमसी के मुताबिक उनके पास कथित तौर पर पैसे नहीं हैै. ऐसे में दिल्ली सरकार को शिक्षकों की सैलरी देनी चाहिए और बाद में एनडीएमसी से इसका हिसाब करना चाहिए.
आपको बता दें कि एनडीएमसी में सिर्फ़ शिक्षकों की ही नहीं बल्कि डॉक्टरों की सैलरी की भी समस्या बनी हुई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एनडीएमसी के अस्पतालों में काम कर रहे स्थायी और रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी जारी किए जाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इनकी मार्च और अप्रैल की सैलरी दी जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंदूराव और कस्तूरबा गांधी के डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने के मामले से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स का स्वत: संज्ञान लिया था.
सैलरी नहीं मिलने पर इन अस्पतालों की डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफ़ा देने की बात कही है. मामले में अगली सुनवाई 8 जुलाई को होनी है.