नई दिल्ली: तमिलनाडु में कुड्डालोर ज़िले के चिदंबरम नटराजर ज़िले के 20 पुरिहितों पर, मंदिर परिसर में एक एससी महिला को कथित रूप से पूजा से रोकने के आरोप में, आनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989, के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है.
कथित घटना मंगलवार को हुई. दिप्रिंट से बात करते हुए कुड्डालोर पुलिस अधीक्षक थीरू सी शक्तिगणेशन ने पुष्ट किया, कि महिला की शिकायत पर उसी दिन मामला दर्ज कर लिया गया था.
एसपी ने कहा, ‘हमने एससी-एसटी एक्ट की उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत, पुरोहितों पर मुक़दमा दर्ज कर लिया है. ये एक निजी मंदिर है. श्रद्धालुओं और पुरोहितों के बीच कुछ झगड़ा हुआ था. पुरोहितों ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से मंदिर समिति ने, मंदिर में प्रवेश को लेकर कुछ बंदिशें लगा रखीं थी. हमने ज़िला कलेक्टर को भी सूचित कर दिया है’.
कथित घटना की वीडियोज़ सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं. उनमें से एक में एक महिला रोते हुए देखी जा सकती है, जिसे कुछ पुरोहितों का एक समूह घेरकर चल रहा है, जिन्हें स्थानीय रूप से धिक्षितर कहा जाता है. दोनों पक्षों के बीच गर्मा-गर्म बहस भी होती है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘जयशीला नाम की एक महिला ने आरोप लगाया है, कि पुरोहितों ने उसे ‘कनगसबाई मेदाई’ में दाख़िल नहीं होने दिया- एक ऐसा चबूतरा जो मंदिर प्रशासन के तय किए हुए कोविड प्रोटोकोल के मुताबिक़, केवल पुरोहितों की पूजा अर्चना के लिए है’.
एक और वीडियो में, महिला को चबूतरे की सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश करते देखा जा सकता है, जबकि पुरोहितों का एक समूह उसपर चिल्ला रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘मंगलवार को उसने शिकायत दर्ज कराई, कि पुरोहितों ने उसे धमकाया और उस पर एक झूठा इल्ज़ाम लगाया, कि उसने मंदिर की एक चीज़ चुराई है.
मंदिर पहले तमिलनाडु सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अंतर्गत था- जो राज्य में मंदिर प्रशासन का प्रबंधन और नियंत्रण करता है. बाद में पूर्व की ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने, उसे पुरोहितों को वापस कर दिया था.
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