नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनीतिक गतिरोध के बीच भारत में काम कर रहे अधिकांश कनाडाई राजनयिक भारत छोड़कर या तो जा चुके हैं, या जाने की तैयारी में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकांश कनाडाई राजनयिक या तो सिंगापुर चले गए हैं या फिर कुआलांलपुर.
यह रिपोर्ट भारतीय पक्ष द्वारा भारत में कनाडा के राजनयिक कर्मचारियों की कटौती की मांग के एक दिन बाद आई है.
बता दें कि कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि अलगाववादी सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता थी, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं.
गुरुवार को एक साप्ताहिक प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया से कहा, “राजनयिकों की यहां बहुत अधिक उपस्थिति या राजनयिक उपस्थिति को देखते हुए और उनके द्वारा हमारे आंतरिक मामलों में उनके निरंतर हस्तक्षेप को देखते हुए हमने अपनी-अपनी राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग की है. इसे पूरा करने में शामिल तौर-तरीकों पर लगातार चर्चा चल रही है.”
उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि कनाडाई राजनयिक उपस्थिति अधिक है, तो हम मानते हैं कि इसमें कमी करनी होगी.”
यह कहते हुए कि भारत का ध्यान अपनी राजनयिक उपस्थिति के संदर्भ में ‘समानता’ हासिल करने पर है विदेश मंत्रालय ने भारत के “आंतरिक मामलों” में उनके निरंतर “हस्तक्षेप” का हवाला देते हुए भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या में कमी करने का आह्वान किया.
दोनों देशों के बीच राजनयिक खींचतान के बीच नई दिल्ली ने कनाडा के लिए वीज़ा परिचालन को निलंबित कर दिया और भारत में कनाडाई राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की बात कही है.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ओटावा के पास भारत में सेवारत कनाडाई राजनयिकों की संख्या को कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों को बराबर करने के लिए 10 अक्टूबर तक का समय है.
इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में बहस के दौरान आरोप लगाया था कि निज्जर की घातक गोलीबारी के पीछे भारत सरकार का हाथ है.
कनाडाई संसद में एक बहस के दौरान ट्रूडो ने दावा किया कि उनके देश के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि “भारत सरकार के एजेंटों” ने कनाडाई नागरिक की हत्या को अंजाम दिया, जो सरे के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के अध्यक्ष थे.
हालांकि, भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे ‘बेतुका’ और ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया था.
हालांकि, कनाडा ने अभी तक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के दावे का समर्थन करने के लिए कोई सार्वजनिक सबूत उपलब्ध नहीं कराया है.
राजनयिक तनाव के बीच अपने सुर नरम करते हुए ट्रूडो ने कहा कि ओटावा “भारत के साथ मिलकर काम करना” चाहता है.
निज्जर, जिसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर दिया था, को 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक पार्किंग क्षेत्र में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी.
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