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Monday, 23 December, 2024
होमदेश'कॉफी विद करन' को लेकर BJP नेता के PIL को कलकत्ता हाईकोर्ट ने किया खारिज, कहा- 'पब्लिसिटी' स्टंट

‘कॉफी विद करन’ को लेकर BJP नेता के PIL को कलकत्ता हाईकोर्ट ने किया खारिज, कहा- ‘पब्लिसिटी’ स्टंट

नाजिया इलाही खान द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह शो, शब्दों और दृश्यों (विज़िबल रेप्रेज़ेंटेशन) के माध्यम से जातिवाद, कामुकता और अश्लीलता को बढ़ावा दे रहा है.

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नई दिल्ली: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता और एडवोकेट नाजिया इलाही खान द्वारा दायर उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर जातिवाद, कामुकता और अश्लीलता को बढ़ावा देने के लिए निर्माता-निर्देशक करण जौहर और उनके प्रसिद्ध शो ‘कॉफी विद करन’ के निर्माताओं के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘डिज्नी हॉटस्टार’ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.

पिछले 5 दिसंबर को दायर इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए, मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने कहा कि ‘वर्तमान जनहित याचिका दायर करने का उद्देश्य’ ‘पब्लिसिटी’ पाना है.

खान द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह शो, शब्दों और दृश्यों (विज़िबल रेप्रेज़ेंटेशन) के माध्यम से जातिवाद, कामुकता और अश्लीलता को बढ़ावा दे रहा है. इसमें कहा गया था कि इस ‘टॉक शो’ में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. इसलिए, जनहित याचिका में मांग की गई थी कि पुलिस अधिकारियों को शो के निर्माता और निर्देशक के साथ-साथ जौहर और इस शो को स्ट्रीम किए जाने वाले प्लेटफॉर्म डिज्नी हॉटस्टार के खिलाफ भी आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया जाए.

अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता ने स्वयं इस ‘शो’ को देखने का दावा नहीं किया है और यह जनहित याचिका समाचार पत्रों में प्रकाशित ख़बरों पर आधारित थी. इसमें आगे कहा गया है, ‘हालांकि, इस रिट याचिका में कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह खुलासा नहीं किया गया है कि किस प्रकरण में या किस तारीख को ऐसी टिप्पणियां की गईं.’

अदालत ने यह भी कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ‘ठोस सामग्री’ पेश नहीं की गई है और पेश की गईं दलीलों से यह नहीं पता चलता है कि इस शो में हाल ही में कोई आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं.

प्रतिवादियों के वकीलों ने अदालत को यह भी बताया कि इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी (इंटरमीडियरीज गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 एक ग्रीवांस रेड्रेसल मैकेनिज्म (शिकायत निवारण तंत्र) की सुविधा भी प्रदान करता है. मगर, याचिकाकर्ता ने शिकायत निवारण के इस उपाय का अब तक लाभ नहीं उठाया है.

इसके बाद उच्च न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया, ‘इसलिए, मामले की उपरोक्त परिस्थितियों में, हम पाते हैं कि इस जनहित याचिका पर विचार करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है, जिसे तदनुसार खारिज किया जाता है.’


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याचिकाकर्ता ने ‘लाल सिंह चड्ढा’ को भी चुनौती दी थी

इसी याचिकाकर्ता, नाजिया इलाही खान, ने पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में बॉलीवुड फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ के दिखाए जाने पर रोक लगाने की मांग भी की थी. उन्होंने पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1954 के तहत इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए जाने की मांग की थी.

उस जनहित याचिका में दावा किया गया था कि पश्चिम बंगाल में स्थिति अस्थिर बनी हुई है और फिल्म के प्रदर्शन से राज्य में शांति भंग होगी.

हालांकि, अदालत ने 30 अगस्त को यह देखते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि वह फिल्म 11 अगस्त को पहले ही रिलीज हो चुकी थी और राज्य में कुछ भी अप्रिय घटित नहीं हुआ था.

इसने याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की थी, ‘विद्वान एडवोकेट जनरल महोदय ने हमें सूचित किया है कि अब तक इस फिल्म की रिलीज के संबंध में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. इसलिए, हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई आशंका निराधार है.’

(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः राम लाल खन्ना)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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