कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को पंचायत चुनावों में तैनाती के लिए 24 घंटे के भीतर केंद्रीय बलों की मांग करने का आदेश दिया.
अदालत के निर्देश में कहा गया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कंपनियों की संख्या 2013 के पंचायत चुनावों की तुलना में कम नहीं होनी चाहिए. अदालत का यह फैसला विपक्षी दलों के इन आरोपों के बीच आया है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस आगामी 8 जुलाई को होने वाले चुनावों के लिए उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से हतोत्साहित करने के लिए हिंसा और डराने-धमकाने की रणनीति अपना रही है.
अदालत ने कहा कि 2013 की तुलना में अब अधिक जिले हैं और यह चुनाव एकल चरण में होने जा रहा है जबकि 2013 में पांच चरणों में चुनाव हुए थे.
अदालत का आदेश भाजपा और कांग्रेस द्वारा दायर अवमानना याचिका के जवाब में था.
8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों से पहले, राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार झड़पें देखी गईं, जिसमें बीरभूम के अहमदपुर में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिस में एक हिंसक घटना भी शामिल है, जहां कथित तौर पर क्रूड बम फेंके गए थे. साथ ही मालदा जिले में एक टीएमसी कार्यकर्ता की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई.
चुनाव 8 जुलाई को एक ही चरण में होगा और मतगणना 11 जुलाई को होगी.
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी क्योंकि इसे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जाएगा.
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