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Thursday, 21 November, 2024
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आर्थिक पैकेज में नजरंदाज किए जाने पर खुदरा व्यापारी निराश, पीएम मोदी से दखल की मांग

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से पत्र लिखकर खुदरा व्यापारियों ने अपने वित्तीय और पुनरुद्धार के लिए आर्थिक पैकेज में पीएम मोदी के दखल की मांग की है. 

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नई दिल्ली: 20 लाख करोड़ के मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज से बाहर रखे जाने पर व्यापारियों ने निराशा जताई है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ओर से निर्मला सीतारमण से पैकेज में खुदरा व्यापारियों को शामिल करने की मांग की है. साथ ही अपने वित्तीय और पुनरुद्धार के लिए पीएम मोदी से आर्थिक पैकेज में दखल देने को कहा है.

संगठन ने कहा, हालांकि सबसे अधिक प्रतिबद्ध क्षेत्रों में से एक को आर्थिक पैकेज की व्यापक घोषणाओं में जगह नहीं मिलना निराशाजनक है.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने प्रधान मंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में कहा कि हमारा मानना ​​है कि यह एक अनजानी चूक है न कि जान-बूझकर क्योंकि पूरे देश में व्यापारियों को पता है कि पीएम और सरकार घरेलू व्यापार क्षेत्र को कितना तवज्जो देती है.

संगठन ने पीएम मोदी को देश में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने में भारत के व्यापारियों के अथक प्रयासों की भी याद दिलाई है. साथ ही लॉकडाउन के दौरान 15 दिन पहले पीएम मोदी के तीन ट्वीट के जरिए व्यापारियों की महत्वपूर्ण भूमिका की उनकी बात का भी ध्यान दिलाया है. उन्होंने आगे कहा कि कैट और भारत के व्यापारी इस सरकार की हर प्रगतिशील नीति और कार्रवाई का साथ दिए हैं- जैसे वह जीएसटी कार्यान्वयन, डिजिटल भुगतान, प्लास्टिक पर प्रतिबंध वगैरह.

कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर यही बात दोहराई है.

भरतिया और खंडेलवाल ने आर्थिक पैकेज से व्यापारियों के बाहर रखने पर गहरी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि यह तब है जब इसकी उन्हें सबसे अधिक जरूरत है. वे आगे कहते हैं कि देश के लगभग 45% व्यापारी ग्रामीण और अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं जबकि 55% अन्य व्यापारी शहरी क्षेत्रों में अपने व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं और देश में लॉकडाउन के हटने पर वित्तीय भार उठाने वाला यह एक बड़ा समूह है.

कैट ने राहत पैकेज में व्यापारियों को खास तौर पर शामिल करने की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री को लॉकडाउन के बाद आने वाली अपनी परेशानियों को ध्यान दिलाते हुए लिखा है कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को कर्मचारियों को वेतन, जीएसटी, आयकर और अन्य सरकारी भुगतान- ईएमआई, व्यापारियों द्वारा लिए गए ऋण और अन्य आकस्मिक खर्चों पर बैंक ब्याज, जैसे विभिन्न वित्तीय जिम्मेदारी पूरी करनी है.

कैट ने कहा है कि बाजारों के खुलने के बाद 45-60 दिन तक इसमें देरी होगी. ठीक से सहयोग नहीं मिला तो हमें डर है कि लगभग 20% सीमांत व्यापारियों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं सिवाय अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने के.

इससे पहले कैट ने बताया कि उसने इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. संगठन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को भी पत्र भेजा है.

कैट की दिल्ली-एनसीआर इकाई के संयोजक सुशील कुमार जैन ने कहा कि आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय सरकार ने व्यापारियों की उपेक्षा की है.

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