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Wednesday, 13 November, 2024
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सियाचिन में सैनिकों के पास जूते और चश्मे की कमी के कारण कैग ने सेना की खिंचाई की

सोमवार को संसद में टेबल की गयी रिपोर्ट के अनुसार कैग ने भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने में 'देरी के लिए सरकार' से भी सवाल उठाया है.

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नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने लद्दाख और सियाचिन जैसे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के चश्मे, जूते और अन्य कपड़ों और उपकरणों की खरीद में देरी के लिए सेना की खिंचाई की है.

संसद के दोनों सदनों में सोमवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कैग ने सरकार से भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना में बिना कारण के देरी के लिए भी सवाल किया है, जिसे 1999 में कारगिल समीक्षा समिति द्वारा अनुशंसित किया गया था.

इस रिपोर्ट में खरीद में अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया गया है और रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा भूमि के लीज के नवीनीकरण में 25.48 करोड़ रुपए के नुकसान के लिए खिंचाई की है.

एक गंभीर तस्वीर

सीएजी की रिपोर्ट में जवानों को कठिन परिस्थितियों- लद्दाख और सियाचिन जैसे ज्यादा ऊंचाई वाले पोस्टिंग पर शून्य से नीचे तापमान वाली जगहों पर महत्वपूर्ण उपकरणों की उपलब्धता के बारे में एक विकट तस्वीर पेश की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है नवंबर 2015 और सितंबर 2016 के बीच जूते की कमी, जो कि- 55 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पैरों की रक्षा कर सकता है, ने कर्मियों को फिर से ठीक-ठाक किए गए जूते चुनने के लिए मजबूर किया गया.

रिपोर्ट में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री देहरादून से 750 चश्मों की कमी को भी चिह्नित किया गया है.

इसके अलावा बैग के चयन में अनियमितताएं हैं जो अनुबंध में सूचीबद्ध विनिर्देशों को पूरा नहीं करती हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है डीजीक्‍यूए द्वारा परीक्षण विधि को अपनाना (रक्षा मंत्रालय के तहत गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय) अनुबंध के प्रावधानों से अलग है, जिसके परिणामस्वरूप घटिया गुणवत्ता की स्वीकार्यता हुई है.

31,779 घटिया स्लीपिंग बैग की खरीद में कथित अनियमितताओं को भी दर्शाया गया है. 7.74 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत पर पुराने विनिर्देशों के साथ भयानक परिस्थिति में तैनात सैनिकों के लिए खरीदे गए फेस मास्क को भी ‘घटिया’ करार दिया गया है.

विशेष कपड़ों और पर्वतारोहण उपकरणों को जारी करने में बड़े स्तर पर खामियां हैं जो सैनिकों को सर्दियों का चोग़ा न होने पर वैकल्पिक कपड़ों जगह दिए जाते हैं.

इसने कई उदाहरणों की ओर इशारा किया जहां आवश्यकता होने के बाद खरीद में चार साल तक की देरी हुई.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह सालाना समीक्षा के प्रावधान मकसद को कम करने के अलावा सशक्त समिति के गठन के बहुत महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा नहीं किया है. खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच और उन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

इसमें रक्षा मंत्रालय से अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परीक्षण प्रक्रियाओं को बनाने का आह्वान किया गया है.

कैग ने यह भी दावा किया कि ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को कम मात्रा में राशन दिया गया था, इस तथ्य के कारण कि इन क्षेत्रों के लिए भोजन की आपूर्ति महंगी थी. रिपोर्ट बताती है, सैनिकों के लिए कैलोरी की मात्रा कम हो गई है.

विलंबित विश्वविद्यालय

कारगिल समीक्षा समिति ने एक भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का सुझाव दिया था, जिसे 1999 में युद्ध की स्थिति की समीक्षा करने और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को बढ़ाने का सुझाव देने के लिए स्थापित किया गया था. विश्वविद्यालय भारत की सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए की गई सिफारिशों में से एक था.

विश्वविद्यालय की स्थापना में देरी का संकेत देते हुए सीएजी ने कहा कि इसने अनुमानित परियोजना लागत को 395 करोड़ रुपये से 4,007.22 करोड़ रुपये (दिसंबर 2017) तक बढ़ा दिया था.

सीएजी ने बताया है कि मई 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय को गुड़गांव में आने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी और यह जमीन कैंपस के लिए सितंबर 2012 में 164.62 करोड़ रुपये में हासिल की गई थी. हालांकि, यह भी कहा कि विश्वविद्यालय पर एक मसौदा कानून दिसंबर 2017 से कैबिनेट सचिवालय के पास लंबित है.

रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय को रक्षा भूमि के लिए पट्टों के नवीकरण में देरी के कारण सरकारी खजाने को 25.48 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के लिए फटकार लगायी थी.

2011 में कैग ने उल्लेख किया था कि लोक लेखा समिति ने सिफारिश की है कि रक्षा मंत्रालय (एमओडी) को नुकसान से बचने के लिए पट्टा नवीनीकरण प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए.

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि एमओडी ने जून 2018 तक खेल और मनोरंजन क्लबों की रक्षा भूमि के पट्टों के नवीनीकरण के लिए नीति को अंतिम रूप नहीं दिया है. इसके अलावा, एमओडी/डायरेक्टर जनरल ऑफ डिफेंस एस्टेट (डिजिडीयी) ने नवीकरण या समाप्ति के लिए कार्रवाई नहीं की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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