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Friday, 22 November, 2024
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200 प्वाइंट रोस्टर को लेकर केंद्र सरकार कैबिनेट में अध्यादेश को दी मंजूरी

200 प्वाइंट रोस्टर विश्वविद्यालयों की नौकरियों में एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण को लागू करने की एक नई व्यवस्था है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी अंतिम कैबिनेट बैठक में पिछले कई दिनों से चल रहे 200 प्वाइंट रोस्टर पर अध्यादेश को गुरुवार को मंजूरी दे दी है. 200 प्वाइंट रोस्टर विश्वविद्यालयों की नौकरियों में एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण को लागू करने की एक नई व्यवस्था है.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऐतिहासिक फैसला लिया है – विश्वविद्यालय / महाविद्यालय को एक इकाई मानते हुए ‘केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019′ के प्रचार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.’

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 200 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी विशेष याचिका को 22 जनवरी को खारिज कर दिया था. जिसके बाद सरकार ने 28 फरवरी को पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से खारिज कर दिया था. जिसके बाद देश भर में विभिन्न सगंठनों द्वारा इसको लागू करने के लिए प्रदर्शन कर मोदी सरकार पर दवाब बनाया जाना लगा.

गौरतलब है कि दिप्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को आगे बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे दो बार दोहराया है एक (अक्टूबर 2017 और जनवरी 2019 में). फिलहाल नया फॉर्मूला विभिन्न विश्वविद्यालय के विभागों में कोटा पाने वाले लाभार्थियों के लिए अधिक संतुलित करने की कोशिश है. हालांकि, इस सिस्टम की बहुत आलोचना हुई है, आलोचकों का आरोप है कि यह उन पदों की संख्या को बहुत कम कर देगा जिनके लिए वे आवेदन कर सकते थे.

अपनी याचिका में मंत्रालय ने इस बात का वर्णन किया था कि विभाग के आधार पर नियुक्तियां करना न्याय का गर्भपात करने जैसा है. अगर यह नई प्रणाली लागू कर दी जाती है तो विश्वविद्यालयों में एससी के प्रतिनिधित्व में 58-97 फीसदी, एसटी में 78-100 फीसदी और ओबीसी के सभी पदों की नियुक्तियों में 25-100 फीसदी तक कि गिरावट दर्ज होगी. यानी एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर और प्रोफेसर. यह विश्लेषण 20 विश्वविद्यालयों में किए गए एक अध्ययन पर आधारित था.

अध्यादेश पहले के फार्मूले के आधार पर ही इसे बहाल करना चाहता था. जहां आरक्षण संस्थान के पूरे कर्मचारियों की संख्या के आधार पर दिया जाता था. यह सरकार के जनादेश जिसमें वह ओबीसी के लिए 27 फीसदी, एससी के लिए 15 फीसदी और एसटी के लिए 7.5 फीसदी को सुनिश्चित करने के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता रहा है. केंद्र सरकार ने इस रोस्टर प्रणाली को 2006 में शुरू किया था जिसमें यह आवश्यक था कि हर पोस्ट के लिए 14 रिक्तियां आवश्यक थी.

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