नई दिल्ली: स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वर्ल्ड बैंक समर्थित 5718 करोड़ रुपए की स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिज़ल्ट्स फ़ॉर स्टेट्स (STARS) योजना को बुधवार को हरी झंडी दी. इस योजना के लिए वर्ल्ड बैंक ने 500 मिलियन डॉलर यानी लगभग 3700 करोड़ रुपए दिए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह घोषणा की. इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन केंद्र सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा नए केंद्र पोषित कार्यक्रम के रूप में होगा.
जावड़ेकर ने बताया कि यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध प्रदेश, केरल और ओडिशा में लागू होगा.
उन्होंने कहा, ‘इससे शिक्षा में मूलभूत सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा. छात्रों के भाषा ज्ञान में सुधार होगा और माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की दर में सुधार होगा.’
जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से राज्यों के बीच सहयोग बढ़ेगा, शिक्षकों का प्रशिक्षण होगा और परीक्षा में सुधार होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत तैयारी के साथ भाग ले सकेगा.
मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘स्टार्स प्रोजेक्ट का पूरा फोकस और इसके तहत होने वाली चीज़ें गुणवत्ता आधारित शिक्षण परिणामों के एनईपी 2020 के उद्देश्यों के साथ मेल खाती हैं.’
बयान में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट को केंद्र की तरफ़ से स्पॉन्सर्ड स्कीम की तौर पर लागू किया जाएगा. इसे लागू करने का ज़िम्मा शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवम् साक्षरता विभाग के पास होगा. इसके तहत नेशनल असेसमेंट सेंटर, परख की स्थापना की जाएगी जो कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था होगी.
शिक्षा में सुधार के लिए इन 6 राज्यों को कई तरह की मदद दी जाएगी. इसके अलावा गुजरात, तमिलनाडु, उत्तराखंड, झारखंड और असम जैसे पांच राज्यों में इसी तरह का एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) फंडेड प्रोजेक्ट को लागू किए जाने की भी संभावना है.
इस योजना के लिए राज्यों के चयन के आधार के बारे में मंत्रालय की एडीजी मौशमी चक्रवर्ती ने दिप्रिंट को जानकारी दी की स्कूलों को परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) के आधार पर चुना गया है. उन्होंने कहा, ‘इनमें से कुछ स्कूल टॉप, कुछ मिड लेवल और कुछ लोअर लेवल के हैं.’
शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुधवार को बयान जारी कर कहा गया है, ‘स्टार्स प्रोजेक्ट द्वारा राज्यों को दिए जा रहे समर्थन के जरिए शिक्षा से जुड़े परिणामों को अच्छा करने और बेहतर लेबर मार्केट परिणामों के लिए छात्रों को स्कूल से काम तक ले जाने से जुड़ी रणनीति पर काम किया जाएगा.’
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दो अहम हिस्सों में बंटा प्रोजेक्ट
स्टार्स प्रोजेक्ट के दो अहम हिस्से हैं. पहले हिस्से में राष्ट्रीय स्तर पर जो चीज़ें की जाएंगी उससे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का फ़ायदा पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके तहत रिटेंशन यानी बच्चों को स्कूल में बनाए रखना, ट्रांज़िशन यानी बच्चों का स्कूल नहीं छूटने देना और कम्पलीशन यानी उनकी पढ़ाई पूरी होने से जुड़े शिक्षा मंत्रालय के डेटा को पुख़्ता किया जाएगा.
राज्यों के पीजीआई स्कोर को बेहतर करने के लिए मंत्रालय की मदद की जाएगी. सीखने से जुड़े माध्यमों को बेहतर बनाने के लिए भी मदद दी जाएगी. जिन राज्यों को इस प्रोजेक्ट में चुना गया है उन्हें अपने अनुभव अन्य राज्यों के साथ शगुन और दीक्षा पोर्टल और अन्य माध्यमों से साझा करना होगा.
किसी विपदा की स्थिति के लिए इसमें कॉन्टिजेंसी इमरजेंसी रेस्पॉन्स कॉम्पोनेंट का प्रावधान है जिसके ज़रिए किसी प्राकृतिक, इंसानों द्वारा उपजी या स्वास्थ्य से जुड़ी विपदा की स्थिति में बच्चों की पढ़ाई को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा.
दूसरे अहम हिस्से के तहत राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट बच्चों की शुरुआती शिक्षा को मज़बूत करने का प्रयास करेगी. स्कूल लीडरशिप और शिक्षकों को बेहतर बनाकर क्लास में दी जाने वाली शिक्षा में भी सुधार की योजना है. बेहतर सर्विस डिलिवरी के लिए गर्वनेंस को डिसेंट्रलाइज़ किया जाएगा.
करियर गाइडेंस और काउंसिलिंग, इंटर्नशिप और स्कूल से बाहर के बच्चों की शिक्षा को मुख्यधारा में लाकर स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा को मज़बूत करने की भी योजना है. आत्मनिर्भर भारत के तहत इस मिशन में पीएम- ईविद्या और फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी मिशन पर भी ध्यान देने की योजना है.
प्रोजेक्ट के तहत जिन अहम नतीजों को हासिल करना है उनमें चुने हुए राज्यों में तीसरी क्लास तक के छात्रों को भाषा के मामले में कुशल बनाना शामिल है. वहीं, छात्रों को सेकेंडरी शिक्षा पूरी करवाने, लर्निंग असेसमेंट सिस्टम को मज़बूत करने, राज्यों के बीच क्रॉस लर्निंग को बेहतर बनाने जैसी बातें भी इसमें शामिल हैं.
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