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Sunday, 3 November, 2024
होमएजुकेशनजामिया ने सीएए समर्थक गैर-मुस्लिम छात्रों को फेल करने की बात कहने वाले प्रोफेसर को सस्पेंड किया, प्रो. बोला- कटाक्ष था

जामिया ने सीएए समर्थक गैर-मुस्लिम छात्रों को फेल करने की बात कहने वाले प्रोफेसर को सस्पेंड किया, प्रो. बोला- कटाक्ष था

सीएए प्रोटेस्ट से जुड़े मामले में जामिया एक प्रोफेसर अहमद अबरार नाम के एक असिस्टेंट प्रोफेसर का ट्वीट है जिसमें उन्होंने सीएए विरोधी छात्रों को कथित तौर पर फेल करने की बात लिखी है.

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नई दिल्ली: नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) को लेकर जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भले ही अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया हो, लेकिन इसे लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. ताज़ा विवाद की जड़ डॉक्टर अहमद अबरार नाम के एक असिस्टेंट प्रोफेसर का ट्वीट है जिसमें उन्होंने सीएए विरोधी छात्रों को कथित तौर पर फेल करने की बात लिखी है.

फिलहाल अबरार ने अपने ट्विटर हैंडल के ट्वीट्स को प्रोटेक्ट कर लिया है. लेकिन विवाद से जुड़े ट्वीट में 25 मार्च को उन्होंने लिखा, ’15 गैर मुस्लिम छात्रों को छोड़कर मैंने मेरे बाकी के सभी छात्रों को पास कर दिया है.’ इसके बाद उन्होंने लिखा कि अगर इन छात्रों को पास होना है तो इन्हें सीएए का विरोध करना पड़ेगा.

उन्होंने ये भी लिखा की सीएए विरोधी छात्रों की संख्या ज़्यादा (55) है. उन्होंने बहुसंख्यकों द्वारा बाकियों को सबक सिखाए जाने की बात भी लिखी है. इससे जुड़ा #CAASupport भी ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है जिसमें अबरार के ट्विट्स पर लोगों की प्रतिक्रिया दिखाई दे रही है.

इस पर एक्शन लेते हुए जामिया प्रशासन ने ट्वीट किया, ‘असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अबरार अहमद ने साार्वजनिक तौर पर ट्वीट करके 15 गैर-मुस्लिम छात्रों को फेल करने की बात कही. सीएए कंडक्ट रूल के तहत ये एक सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का एक गंभीर प्रयास है.’ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उनके ऊपर जांच बिठाई है और जांच के नतीजे सामने आने तक उन्हें ससपेंड कर दिया है.

हालांकि, अबरार के हैंडल के ट्वीट फिलहाल नहीं दिखाई दे रहे लेकिन उनके हैंडल से किए गए एक और वायरल ट्वीट में मामले पर उनकी सफ़ाई सामने आई है. इसमें उन्होंने लिखा है, ‘परीक्षा में भेदभाव से जुड़ा जो पोस्ट मैंने लिखा था वो सीएए और सीएए से जुड़े विरोध को समझाने के लिए एक व्यंग्य था.’

उन्होंने आगे लिखा है कि इसके सहारे उन्होंने ये समझाने की कोशिश की है कि कैसे सरकार इस कानून के जरिए एक समुदाय के ख़िलाफ़ भेदभाव कर रही है. अबरार की मानें तो ना तो ऐसी कोई परीक्षा हुई है और ना ही ऐसा कोई रिज़ल्ट आया है. इसके बाद उन्होंने लोगों को अपनी भावना पर काबू रखने की अपील करते हुए कहा कि वो कभी भेदभाव नहीं करते.

मामले को और बेहतर तरीके से समझने के लिए जब दिप्रिंट ने जामिया के एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने नाम नहीं लिखने की शर्त पर कहा, ‘चाहे परीक्षा हुई हो या नहीं, चाहे नतीजा आया हो या नहीं, वो ऐसी कोई बात कैसे लिख सकते हैं.’ अधिकारी ने कहा कि जामिया को बदनाम करने वाले अबरार की ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी.

एक तरफ़ भारत समेत पूरी दुनिया कोरोनावायरस के चपेट में है और उसके ख़िलाफ़ जंग लड़ रही है. वहीं दूसरी तरफ़ ऐसे समय में किए गए इस ‘व्यंग्यात्मक’ ट्वीट के लिए जामिया प्रशासन अस्सिटेंट प्रोफेसर अबरार को सबक सिखाने की तैयारी में है.

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2 टिप्पणी

  1. Wah muslimo ko baxahne bale logo..tmko duniya kabhi mad nahi karegi….jitani Gandhi bahri hui hai inke dimag Mai or is se jayada gandgi tm jaise reporter ke andar hai Jo…ek gunahgar ko saaaf bachane ka Kam Kar Raha hai…yaji tweet ek Hindu professor karta to Tim uski Jan le let’s…itana ganada likte uske bare Mai ki bo sharm se mar Kara..sharm karo

  2. May be parody, this shows his prejudiced & biased mindset, SHOULD BE SACKED. Unfit to be a teacher, let him be mullah or maulavi…

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