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Tuesday, 4 February, 2025
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ताहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में, कई हाई-प्रोफाइल भगोड़े अब भी पकड़ से बाहर

भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या का प्रत्यर्पण पिछले 5 सालों से 'अंतिम चरण' में अटका हुआ है. अन्य जिनके मामले भी इस दलदल में फंसे हुए हैं, उनमें हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी और नीरव मोदी शामिल हैं.

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नई दिल्ली: जबकि भारतीय सरकार जल्द ही मुंबई हमले के आरोपी ताहव्वुर राणा को भारत लाने के लिए तैयार है, ऐसे कई उच्च-प्रोफ़ाइल भगोड़े हैं जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जिनकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया सालों से अटकी हुई है.

पिछले सप्ताह, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की अंतिम याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भारत को प्रत्यर्पित किए जाने को चुनौती दी थी. पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा पर 26/11 के आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है, जिसमें 174 लोग मारे गए और 300 से अधिक लोग घायल हुए.

भारत में केंद्रीय एजेंसियां उन्हें वापस लाने की तैयारी कर रही हैं. दिप्रिंट ने सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के हवाले से जनवरी के पहले सप्ताह में बताया था कि अमेरिकी विदेश सचिव की मंजूरी मिलने के 24 घंटे के भीतर प्रत्यर्पण प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है.

अपील की, लेकिन कोई सफलता नहीं

जबकि ताहव्वुर राणा को वापस लाने के लिए अमेरिकी विदेश सचिव कार्यालय से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है, वहीं नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कारोबारियों के प्रत्यर्पण मामले “अंतिम चरण” में अटके हुए हैं.

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या का प्रत्यर्पण पिछले पांच वर्षों से “अंतिम चरण” में फंसा हुआ है. यूके की अदालत में प्रत्यर्पण के खिलाफ उनकी अपील खारिज होने के बाद, 2020 में उन्हें ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति भी नहीं मिली थी.

राज्यसभा के पूर्व सदस्य माल्या पर 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. वह 2016 में ब्रिटेन भाग गए थे. चार साल बाद, ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने उनकी प्रत्यर्पण अपील खारिज कर दी थी. 2017 में यूके पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में जमानत दे दी गई.

हालांकि, ब्रिटिश उच्चायोग के अनुसार, यूके गृह सचिव को अंतिम फैसला लेना है, लेकिन एक कानूनी अड़चन बनी हुई है जिसे हल किए बिना प्रत्यर्पण संभव नहीं होगा. 2020 में दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया था. भारत अन्य देशों के साथ भी संपर्क में है, जहां माना जाता है कि माल्या की संपत्तियां हैं, ताकि अगर वह किसी अन्य देश में स्थानांतरित हों तो वहां से प्रत्यर्पण किया जा सके.

नीरव मोदी, जो 11,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में आरोपी हैं, ने 2022 में भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपनी अंतिम कानूनी अपील भी हार दी थी. हालांकि, उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राजनीतिक शरण की भी मांग की है.

मोदी ने यह अनुरोध 2018 में किया था, उसी वर्ष जब वह भारत से फरार हुए थे, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. 2019 में यूके पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और तब से वह बिना जमानत थेम्ससाइड जेल, ग्रीनविच में बंद हैं. यूके गृह सचिव ने अप्रैल 2021 में उनके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने अदालत में इसे चुनौती दी थी.

फरार हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के मामले में, इंटरपोल ने नवंबर 2022 में उनके खिलाफ जारी रेड नोटिस को हटा दिया. यह नोटिस किसी भगोड़े के स्थान का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है. चोकसी, जो नीरव मोदी के चाचा हैं, पीएनबी घोटाले में भी वॉन्टिड हैं.

सीबीआई ने चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस बहाल करने की अपील की थी. फरवरी 2018 में, एजेंसी ने चोकसी के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिन पर कई अन्य एफआईआर भी दर्ज हैं. वह जनवरी 2018 में भारत से भाग गए थे.

भारतीय सरकार ने पहले एंटीगुआ और बारबुडा की सरकार से संपर्क किया था, क्योंकि चोकसी ने नवंबर 2017 में वहां की नागरिकता ले ली थी.

मई 2021 में चोकसी को डोमिनिका में अवैध प्रवेश के आरोप में हिरासत में लिया गया था, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई. उनके वकीलों का दावा था कि भारतीय एजेंसियों ने उन्हें एंटीगुआ और बारबुडा से अगवा किया था. मई 2022 में डोमिनिका सरकार ने उनके खिलाफ अवैध प्रवेश के आरोप हटा दिए थे. सीबीआई ने अगस्त 2018 में उनके प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ और बारबुडा में अर्जी दी थी.

इस बीच, यूके की अदालतों में भारतीय सरकार के खिलाफ चोकसी की अपील को उनके प्रत्यर्पण में देरी के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. एंटीगुआ और बारबुडा में भी उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील लंबित है, जहां वह दावा कर रहे हैं कि भारतीय एजेंसियों ने उनकी कथित अपहरण की जांच नहीं की है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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