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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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‘रजनीगंधा’ और ‘बातों बातों में’ जैसी फिल्मों से बड़े पर्दे पर मध्यम वर्ग की दुनिया दिखाने वाले बासु चटर्जी नहीं रहे

बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित रजनीगंधा, छोटी सी बात, चितचोर, बातों बातों में जैसी फिल्में देश की बड़ी आबादी वाले मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती थी.

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नई दिल्ली: फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक बासु चटर्जी का 93 वर्ष की उम्र में मुंबई में गुरुवार को निधन हो गया. भारत के मध्यम वर्ग को अपनी सिनेमाई दुनिया में जगह देने के लिए उन्हें जाना जाता था.

फिल्म निर्माता और आईएफटीडीए के अध्यक्ष अशोक पंडित ने ट्वीट कर उनकी मृत्यु की खबर साझा की. उन्होंने लिखा, ‘मैं बड़े दुख के साथ आप सभी को ये बता रहा हूं कि शानदार फिल्म निर्माता बासु चटर्जी अब नहीं रहे. उनका अंतिम संस्कार दोपहर 3 बजे सांताक्रूज श्मशान घाट पर किया जाएगा. यह फिल्म जगत के लिए बड़ी हानि है. हम आपको याद करेंगे सर.’

फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीट कर उनकी मृत्यु पर शोक जताया और उनके साथ की अपनी फिल्म मंजिल को याद किया. उन्होंने लिखा, ‘बासु चटर्जी के निधन पर प्रार्थना और संवेदना .. एक शांत, मृदुभाषी, सौम्य मानव .. उनकी फिल्मों ने मध्य भारत के जीवन को दर्शाया .. उनके साथ ‘मंजिल’ फिल्म की .. एक दुखद हानि.’

फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर ने ट्वीट कर लिखा, ‘बासु चटर्जी की मृत्यु से दुखी हूं. उन्हें हमेशा साधारण फिल्मों और लाइट हर्टिड कॉमेडी फिल्मों के लिए जाना जाता रहेगा.’

फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने ट्वीट कर लिखा, ‘बासु चटर्जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुःख हुआ. मुझे उनके साथ स्वामी, अपने पराये और जीना यहां जैसी 3 प्यारी फिल्में करने का सौभाग्य मिला.’

1970 के दशक में जिस तरह भारतीय सिनेमा अपने पुराने ढर्रे से निकलकर आगे बढ़ रहा था उसमें बासु चटर्जी द्वारा बनाई गई फिल्मों का अहम योगदान है. 70 के दशक के बाद के सिनेमा को बदलने में ऋषिकेश मुखर्जी और बासु भट्टाचार्य का भी योगदान माना जाता है.

दूरदर्शन के शुरुआती दिनों में उन्होंने दो प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक बनाए जिनमें ब्योमकेश बक्शी और रजनी शामिल है. लॉकडाउन के कारण हाल ही में ब्योमकेश बक्शी का दूरदर्शन पर फिर से प्रसारण किया जा रहा है.

बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित रजनीगंधा, छोटी सी बात, चितचोर, बातों बातों में  जैसी फिल्में देश की बड़ी आबादी वाले मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती थी. इन फिल्मों में मध्यम वर्ग की उस सामान्य दुनिया को रचा गया जिसे हर कोई अपनी जिंदगी में जीता तो था लेकिन उसने कभी इसे बड़े पर्दे पर नहीं देखा था.

बासु चटर्जी का जन्म राजस्थान के अजमेर में 10 जनवरी 1930 को हुआ था. कार्टूनिस्ट के तौर पर उन्होंने अपना कैरियर शुरू किया था.


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बासु चटर्जी ने अपनी कई फिल्मों में अमोल पालेकर को बतौर अभिनेता मौका दिया था. उन फिल्मों की खूबसूरती ये है कि ये जीवन जीना सिखाती है.

चटर्जी निर्देशित फिल्म छोटी सी बात भीड़-भाड़ और बस स्टैंड पे प्रेम की तलाश में जूझते प्रेमी की कहानी है. जिसमें अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा हैं. प्रेम की तलाश में घूमते प्रेमियों को मंजिल तक पहुंचाने में बासु चटर्जी अपनी फिल्मों के माध्यम से सफल जान पड़ते हैं.

अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा की एक और फ़िल्म है रजनीगंधा. उसे भी बासु चटर्जी ने ही निर्देशित किया है. उसमें भी आपको प्रेम का अलग जायका मिलेगा. जो मध्यम वर्ग के सामान्य दुनिया का हम आप को आभास कराता है.

1992 में बासु चटर्जी को फिल्म दुर्गा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.

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