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Friday, 22 November, 2024
होमदेशओबीसी विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद BJP नेताओं ने 'सवर्ण आयोग' के लिए आवाज उठाई

ओबीसी विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद BJP नेताओं ने ‘सवर्ण आयोग’ के लिए आवाज उठाई

मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखकर सवर्ण आयोग के गठन पर विचार करने को कहा है.

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नई दिल्ली: राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अपनी सूची तैयार करने की शक्ति प्रदान करने वाले 127 वें संविधान संशोधन विधेयक, जिसे ओबोसी बिल भी कहा जाता है, को संसद द्वारा पारित किए जाने के कुछ दिनों बाद हीं कई राज्यों में भाजपा नेताओं द्वारा सवर्ण आयोग (उच्च जाति आयोग) की मांग उठाई जा रही है.

हालांकि उनमें से सभी ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की है, लेकिन कुछ लोगों ने आगे बढ़कर इस मामले को सक्रिय रूप से उठाया है.

मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखकर सवर्ण आयोग के गठन पर विचार करने को कहा है.

त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने मानंनीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन्हें सामान्य वर्ग के लोगों के लिए सवर्ण आयोग बनाने की उनकी घोषणा के बारे मे फिर से याद दिलाई है.’

उन्होने कहा. ‘मैं अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए किए गए फ़ैसलों से खुश हूं, लेकिन इसके साथ ही, सामान्य वर्ग के लोगों के मुद्दों और उनकी शिकायतों की देखरेख करने के लिए भी एक आयोग होना चाहिए.’

12 अगस्त को चौहान को लिखे अपने पत्र में त्रिपाठी ने सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा महसूस की जा रही निराशा की भावना के बारे में भी बात की है.

दिप्रिंट के पास उपलब्ध इस पत्र में लिखा गया है, ’मैं आपके ध्यान में यह तथ्य लाना चाहता हूं कि इसी साल 26 जनवरी को रीवा में आपके द्वारा उच्च जाति आयोग के गठन की घोषणा की गई थी. परन्तु, फिलहाल सामान्य वर्ग के लोगों में निराशा और उपेक्षा की भावना घर कर रही है क्योंकि ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों आदि के कल्याण के लिए उच्च जाति आयोग के गठन के संबंध में कोई भी गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं.’

इसमें आगे लिखा गया है, ‘आप एक संवेदनशील नेता और इस राज्य के मुखिया हैं और मुझे पूरी आशा और विश्वास है कि आप जल्द ही इसे संवैधानिक दर्जा देकर एक सवर्ण आयोग का गठन करेंगे. इससे पार्टी को विशेष रूप से ग्वालियर, चंबल और विंध्य क्षेत्र जैसे इलाक़ों में अभूतपूर्व समर्थन मिलेगा. आपके इस सामयिक कदम से बहुत लाभ होगा और सामाजिक सौहार्द का माहौल भी बनेगा.’

हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि, ‘हमारी सरकार पहले ही सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर चुकी है. हम सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र में विश्वास करते हैं, और सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी उपायों को लागू किया जाता है.’

ज्ञात हो कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी थी.

हिमाचल प्रदेश में हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन

हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि वह उच्च जातियों के लिए एक आयोग बनाने पर विचार कर रही है.

बीते 10 अगस्त को कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने यह मुद्दा राज्य विधानसभा में उठाया था और इसके जवाब में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा था कि सरकार इस पर विचार कर रही है.


यह भी पढ़ें : बाघों, भैंसों की गिनती हो सकती है तो जातियों की क्यों नहीं? BJP के भीतर मुखर हो रही जाति जनगणना की मांग


पिछले एक महीने में इस तरह के आयोग की मांग को लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं और ठाकुर का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ आंदोलनकारी समाज के एक वर्ग के खिलाफ नारे लगा रहे थे.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा में एक बड़ा वर्ग इस बात को लेकर चिंतित है कि सरकार अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और ओबीसी समुदायों के लिए कई बड़े फैसले ले रही है, जिससे अन्य समुदाय अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम ओबीसी या एससी समुदायों के लिए किए गए किसी भी कल्याणकारी निर्णय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन साथ ही अन्य समुदायों के मुद्दों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. बहुत से लोग स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और इसे हमारे साथ साझा कर रहे हैं. एक पार्टी के रूप में हमें सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करना है और हमें किसी भी समुदाय को खुद को वंचित महसूस नहीं करवाना चाहिए.’

पार्टी के एक अन्य नेता ने इस ओर इशारा किया कि ऊंची जातियों ने हमेशा से भाजपा को वोट दिया है और सरकार को उनके कल्याण का भी ध्यान रखना चाहिए.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि ‘पार्टी के पदाधिकारियों के साथ-साथ आम लोगों में भी अब बेचैनी बढ़ रही है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सवर्णों ने हमेशा हमारी पार्टी को वोट दिया है और उनका कल्याण भी इस सरकार की जिम्मेदारी है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की घोषणा की गई थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन के बारे में और अध्ययन करने की आवश्यकता है.’

( इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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