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गुरूवार, 19 जून, 2025
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सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन के लिए बिहार को मिलेगी 4,415 करोड़ की विश्व बैंक सहायता

इस परियोजना को वित्तीय वर्ष 2025-26 से शुरू कर सात वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसका कार्यान्वयन जल संसाधन विभाग के अलावा ग्रामीण विकास और कृषि विभाग की सहभागिता से किया जाएगा.

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पटना: बिहार में बाढ़ और सूखे की दोहरी चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ी पहल की है। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ‘बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना’ (Bihar Water Security and Irrigation Modernization Project – BWISMP) को मंजूरी दे दी.

यह परियोजना विश्व बैंक की मदद से 4,415 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की जाएगी, जिसका मकसद राज्य में आधुनिक सिंचाई प्रणाली और बेहतर बाढ़ प्रबंधन ढांचा तैयार करना है.

इस परियोजना के तहत राज्य के बाढ़, जलजमाव और सूखा प्रभावित जिलों में प्रभावी उपाय किए जाएंगे. इसके जरिए न सिर्फ सिंचाई के पुराने ढांचों को आधुनिक बनाया जाएगा, बल्कि प्रमुख नदियों में आने वाले अतिरिक्त जलप्रवाह को भी नियंत्रित किया जाएगा.

प्रमुख चार घटक, सात साल का कार्यकाल

परियोजना को चार प्रमुख अवयवों में बांटा गया है:

जलवायु अनुकूल सिंचाई व्यवस्था (2487 करोड़ रुपये)

बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण (1525 करोड़ रुपये)

जल शासन प्रणाली (243 करोड़ रुपये)

परियोजना प्रबंधन (160 करोड़ रुपये)

इस परियोजना को वित्तीय वर्ष 2025-26 से शुरू कर सात वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसका कार्यान्वयन जल संसाधन विभाग के अलावा ग्रामीण विकास और कृषि विभाग की सहभागिता से किया जाएगा.

BWISMP के तहत कई प्रमुख सिंचाई संरचनाओं का आधुनिकीकरण प्रस्तावित है. इनमें सोन, गंडक और कोसी बैराजों की मरम्मत, सोन पश्चिमी मुख्य नहर, पश्चिमी कोसी परियोजना, झंझारपुर शाखा नहर और सारण मुख्य नहर का उन्नयन शामिल है. इसका उद्देश्य वर्षा पर निर्भरता घटाकर किसानों को हर मौसम में सिंचाई की सुविधा देना है.

परियोजना में बाढ़ प्रभावित इलाकों में तटबंधों और स्परों की मजबूती और मरम्मत पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से इन ढांचों को नई डिजाइन और तकनीक से मजबूत किया जाएगा. प्रस्तावित योजनाओं में बागमती के बाएं तटबंध का सुदृढ़ीकरण, कटिहार के कुर्सेला प्रखंड में कटाव रोधी कार्य, सिकरहट्टा-मंझारी बांध और पूर्वी कोसी तटबंध के 25 स्परों का जीर्णोद्धार शामिल है.

कुल 4,415 करोड़ रुपये की इस परियोजना में 70 प्रतिशत (3090.50 करोड़ रुपये) राशि विश्व बैंक से ऋण के रूप में प्राप्त होगी, जबकि शेष 30 प्रतिशत (1324.50 करोड़ रुपये) राशि बिहार सरकार स्वयं वहन करेगी.

इस परियोजना को राज्य सरकार ने जल संसाधन क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया है, जिससे न केवल आपदा प्रबंधन को मजबूती मिलेगी, बल्कि कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया संबल मिलेगा.

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