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Sunday, 3 November, 2024
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49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर के पीछे बिहार का वकील, लालू और अमिताभ पर भी साध चुका है निशाना

50 वर्ष के सुधीर कुमार ओझा ने बॉलीवुड के किसिंग दृश्य और जंक फूड के विज्ञापनों को लेकर कई हस्तियों को कोर्ट में लाने की कोशिश की है.

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पटना: इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन और श्याम बेनेगल समेत 49 हस्तियों ने जुलाई में भारत में बढ़ती असहिष्णुता को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा था.

मशहूर हस्तियों के खिलाफ इस एफआईआर के पीछे बिहार के मुजफ्फरपुर के एक वकील हैं, जो लगातार मुक़दमा करते हैं. जिन्होंने कई हस्तियों को बॉलीवुड के स्मूचिंग सीन और खतरनाक जंक फूड के विज्ञापन जैसे मुद्दों पर अदालत में खींचने का प्रयास किया है.

ओझा ने 1996 में लॉ प्रैक्टिस शुरू किया था. उन्होंने दावा किया है कि 745 जनहित याचिकाएं दायर की है. यह सभी याचिकाएं उन्होंने खुद दायर की थी जिनमें से 130 मामलों को अदालतों द्वारा खारिज कर दिया गया है.

49 हस्तियों के खिलाफ उनकी याचिका वायरल होने के बाद शुक्रवार को दिप्रिंट से बात करते हुए ओझा ने इस कदम का बचाव किया. ओझा ने कहा, ‘मुझे पीएम को पत्र लिखने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मीडिया में प्रकाशित होने के बाद उन्होंने जानबूझकर प्रधानमंत्री और देश की छवि को धूमिल करने की कोशिश की.’

उन्होंने कहा, ‘इसका प्रमाण यह है कि 62 अन्य कलाकारों ने एक पत्र लिखा, जिसमें देश की छवि को धूमिल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया.’

49 हस्तियों को बुधवार को बुक किया गया था. ओझा ने 27 जुलाई को उनके खिलाफ एक स्थानीय अदालत का रुख किया था, जिसमें अदालत ने 18 सितंबर को अभियुक्त के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था.


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समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से लिखा है कि उन्होंने आईपीसी की धारा 49 के तहत राजद्रोह, सार्वजनिक उपद्रव, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और शांति भंग करने के इरादे से अपमानित करने के तहत मामला दर्ज किया था.

कोई भी सुरक्षित नहीं है

ओझा की जनहित याचिकाओं ने विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध लोगों को टारगेट किया है. ऋतिक रोशन और अभिषेक बच्चन से लेकर अमिताभ बच्चन, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और यहां तक ​​कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी टारगेट किया है.

2007 में उन्होंने धूम 2 के निर्माताओं और अभिनेताओं के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें एक किसिंग सीन पर फिल्माकर के ऊपर अश्लीलता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था. ओझा के अनुसार, फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं के वकीलों द्वारा भविष्य की फिल्मों में चुंबन दृश्य नहीं रखने के आश्वासन के बाद मामला हटा लिया गया था.

उसी वर्ष ओझा ने एनएच 28 पर अनाधिकृत रूप से व नियम के विपरीत हेलीकॉप्टर उतारे जाने के आरोप में पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामला दायर किया था. मामले को खारिज कर दिया गया और ओझा वर्तमान में पटना उच्च न्यायालय में लड़ रहे हैं. हालांकि, इसका प्रभाव सब देख सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि ‘तब से, किसी भी राजनेता ने एनएच पर फिर से अपना चॉपर उतारने की हिम्मत नहीं की.’

2006 में ओझा ने छठ पर्व को ‘नाटक’ के रूप में वर्णित करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दावा किया कि उन्होंने बिहारियों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है. ओझा के अनुसार, ठाकरे के खिलाफ वारंट जारी किया गया था और एमएनएस प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी थी. उन्होंने कहा कि मामला अभी भी दिल्ली उच्च न्यायालय में है.

उन्होंने एक और केस फाइल किया था जब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी ने कथित रूप से कहा कि तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना है और मानव निर्मित नहीं है.


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ओझा ने कहा, ‘उनके खिलाफ मामला खारिज कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल से अनुमति नहीं मांगी थी, जैसा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में सेवारत नेताओं के खिलाफ मामलों के लिए आवश्यक होता है.’

2013 में अमिताभ बच्चन के खिलाफ ओझा की जनहित याचिका दायर की थी जिसमें बच्चन ने नूडल्स मैगी की खपत को बढ़ावा दिया था, जिसे उन्होंने ‘स्वास्थ्य के लिए खतरनाक’ बताया था लेकिन यह मामला अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था.

ऐसे कई लोग हैं जो सवाल करते हैं कि ओझा की याचिकाओं को अदालत में कैसे दाखिल किया जाता है और उन्हें एक प्रचारक के तौर पर जाना जाता है. लेकिन वकील खुद के बारे में आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए न्यायपालिका को एक उपकरण के रूप में उपयोग किया है.’

जैसा कि पहले रिपोर्ट किया गया था कि 23 जुलाई को पीएम को लिखे एक खुले पत्र में, फिल्म-निर्माता मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल और अपर्णा सेन के साथ-साथ गायक शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 हस्तियों ने धार्मिक पहचान-आधारित अपराधों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और उल्लेख किया है कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर होने वाले कई लिंचिंगों के साथ एक उत्तेजक लड़ाई का कारण बन गया था.

उनके टिप्पणी को 62 सार्वजनिक हस्तियों ने चुनौती दी थी, जिसमें गीतकार प्रसून जोशी और अभिनेत्री कंगना रनौत शामिल हैं, जिन्होंने पत्र-लेखकों की चुप्पी पर सवाल उठाया था ‘जब आदिवासी और हाशिए पर पड़े लोग नक्सली आतंक के शिकार हो गए थे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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