नई दिल्ली: बिहार के अररिया जिले की 22 वर्षीया गैंग रेप सर्वाइवर को सिविल कोर्ट की कार्रवाई बाधित करने के आरोप में जेल भेजा गया है. सर्वाइवर की मदद कर रहे दो अन्य सोशल वर्कर्स कल्याणी बडोला और तन्मय निवेदिता को भी इस आरोप के तहत 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
गौरतलब है कि 6 जुलाई को हुए गैंग रेप की इस घटना की एफआईआर 7 जुलाई को महिला थाना में दर्ज की गई. उसके बाद 10 जुलाई को सर्वाइवर अररिया सिविल कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हुईं. उनके साथ-साथ मजदूरों के लिए काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन की कल्याणी और तन्मय भी थे. सर्वाइवर ने उस रात की सारी बातें एफआईआर में लिखते हुए जल्द से जल्द मेडिकल कराने की मांग की है.
10 तारीख को ही महिला थाना में न्यायिक दंडाधिकारी के हवाले से दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक सर्वाइवर और सोशल वर्कर्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक पर बल का प्रयोग करना और डराना), 228 (न्यायिक कार्यवाही के दौरान अपमान करने और विघ्न डालने की कोशिश करना ), 188, 180, 120(बी) और कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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यहां ये बताना जरूरी हो जाता है कि महिला द्वारा केज दर्ज कराए हुए एक हफ्ते से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक उनकी मेडिकल रिपोर्ट भी नहीं आई है. मेडिकल रिपोर्ट 14 जिलाई को ही आनी थी, 15 जुलाई को जब दिप्रिंट ने इस मामले में अधिकारियों से बात करने की कोशिश की बार-बार फोन करने और मैसेज किए जाने का उन्होंने जवाब नहीं दिया है.
जब दिप्रिंट ने इस मामले में छानबीन की तो एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने बताया कि रिपोर्ट मेडिकल रिपोर्ट 14 जुलाई को आनी थी लेकिन नहीं आई है. गैंग रेप सर्वाइवर को जेल भेजे जाने की बात पर वो कहते हैं, ‘कोर्ट की कार्रवाई में पुलिस अधिकारी शामिल नहीं थे. सर्वाइवर की गिरफ्तारी का मामला माननीय कोर्ट से न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा की गई एफआईआर के आधार पर चलाया गया है.’
दिप्रिंट को मिली सर्वाइवर के ऊपर दर्ज कराई गई एफआईआर की कॉपी के मुताबिक, ‘बयान दर्ज करने के दौरान तीनों ने पीठासीन पदाधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार करके उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई और न्यायलय की कार्रवाई को बाधित करने की कोशिश की. सर्वाइवर ने लिखित बयान पर ये कहते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि जब तक कल्याणी और तन्मय नहीं पढ़ेंगे, तब तक वो हस्ताक्षर नहीं करेंगी.’ एफआईआर में यह भी लिखा गया है कि सर्वाइवर ने जज के कक्ष से बाहर जाकर अनुसंधानकर्ता के साथ गाली गलौच किया.
सर्वाइवर, कल्याणी और तन्मय के फोन जब्त कर लिए गए हैं. तीनों को ही अररिया से लगभग 225 किलोमीटर दूर समस्तीपुर की दलसिंग सराय जेल में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
जन जागरण शक्ति संगठन ने इस मामले को लेकर कहा है, ’10 तारीख को सर्वाइवर जज के सामने अपना बयान दर्ज कराते वक्त थोड़ा घबरा गई थीं. मीडिया में अपनी पहचान उजागर होने और चार दिन एक ही घटनाक्रम को बार-बार दोहराने की वजह से वो मानसिक रूप से परेशान हो गई थीं. साथ ही उनके परिवार से भी उन्हें कोई साथ नहीं मिला है. ऐसे में उन्होंने अपने लिखित बयान पर हस्ताक्षर करने की बात पर कल्याणी को बुलाने के लिए कहा. लेकिन सर्वाइवर की इस घबराहट को कोर्ट ने अपमान की तरह लिया और उस पर ही मामला दर्ज कर लिया.’
अपने सार्वजनिक बयान में संगठन ने आगे कहा है, ‘इसके बाद सर्वाइवर की मदद कर रहे कल्याणी और तन्मय को कोर्ट ने हिरासत में लेने के आदेश दे दिए. उन्हें रातभर हिरासत में रखा गया और फिर अगले दिन अदालत की कार्रवाई बाधित करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. अब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.’
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क्या था मामला?
ग़ौरतलब है कि 7 जुलाई को सर्वाइवर ने महिला थाना (अररिया) में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. दिप्रिंट को मिली शिकायत की कॉपी के मुताबिक 6 जुलाई 2020 की शाम को वो एक परिचित लड़के के साथ बाइक सीखने गई थीं. लेकिन बाइक सिखाने के बाद वो एक जगह रुक गया. थोड़ी देर बाद तीन आदमी आए और उसे जबरदस्ती सुनसान जगह पर ले गए. वहां एक और आदमी को बुला लिया. बाद में चारों ने एक एक करके उसके साथ गैंग रेप किया. गैंग रेप करने के बाद उन्होंने सर्वाइवर को छोड़ा और कहा कि वो दोबारा आएंगे. साहिल जो महिला को मोटरसाइकिल सिखाता था वह इसमें शामिल नहीं था.
सर्वाइवर के मुताबिक उसी रात उन्हें अपनी पहचान के उस लड़के और अन्य नंबरों से फोन आए. वो परेशान होकर जन जागरण शक्ति की कल्याणी बडोला के पास आईं. जिसके बाद संस्थान ने एफआईआर लिखवाने से लेकर पूरे मामले में मदद की.
अररिया एसपी धुरात साईली की तबीयत खराब होने का हवाला देते हुए एसडीपीओ पुष्कर कुमार दिप्रिंट को बताया कि इस मामले में महिला की शिकायत के बाद ही एफ़आईआर दर्ज कर ली गई थी. फिलहाल कार्रवाई चल रही है. कुमार ने आगे कहा, ‘एफआईआर के एक दिन बाद ही एक आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है और कोर्ट में पेश भी किया जा चुका है. शिकायत में सर्वाइवर ने जिन लोगों पर आरोप लगाए थे, उन बाकी लोगों को भी ढूंढा जा रहा है.’
लेकिन संगठन का आरोप है कि इस पूरे मामले में गैंग रेप की जांच पीछे छूट गई है और सर्वाइवर का कोर्ट की अवमानना का आरोप बड़ी बहस का मुद्दा बना दिया गया है. संगठन का ये भी कहना है, ‘एक विशेष मीडियाकर्मी का रिकॉर्ड रूम में उपस्थित होना भी कई सवाल पैदा करता है. मीडिया में सर्वाइवर के नाम और पहचान को जाहिर करना गैर कानूनी है और ये बात जांच का विषय होनी चाहिए.’
दिल्ली हाईकोर्ट के क्रिमिनल वकील अजय वर्मा दिप्रिंट इस मामले पर सर्वाइवर पर हुई एफआईआर को पढ़ने के बाद कहते हैं, ‘जज को संवेदनशील होना चाहिए. अपनी ईगो को अलग रखना चाहिए.’
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वह आगे कहते हैं, ‘अगर मामला कोर्ट के बाहर गाली गलौच का भी था तो सर्वाइवर को शो कॉज नोटिस भेजा जाना चाहिए था और उन्हें स्पष्टीकरण देने का मौका दिया जाना चाहिए था. या फिर कोर्ट की अवमानना का मामला हाईकोर्ट को रेफरेंस के तौर पर भेजना चाहिए था. गैंग रेप के मामलों में न्यायलय को अतिरिक्त संवदेनशील बर्ताव करना चाहिए.’
संगठन के सचिव आशीष रंजन और कई सामाजिक कार्यकर्ता देश में कोरोना के हालात के मद्देनज़र उन्होंने तीनों को रिहा करने की मांग तेजी से उठा रहे हैं.