नई दिल्ली: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कृषि के विकास एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में कृषि रोडमैप की शुरुआत की गई. कृषि रोडमैप बनाकर बिहार विकास कर रहा है. कृषि रोडमैप से फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ी है. राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता लगभग दोगुनी हुई है और ये पिछले तीन कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन की वजह से हुआ है.
राज्य में 75 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है. इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2008 में राज्य के पहले कृषि रोडमैप की शुरुआत की गई. तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों पहले कृषि रोडमैप का शुभारंभ किया गया था. दूसरे कृषि रोडमैप का शुभारंभ वर्ष 2012 तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा तथा तीसरे कृषि रोड का शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा वर्ष 2017 में किया गया. 18 अक्तूबर, 2023 को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र के बापू सभागार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के चतुर्थ कृषि रोडमैप (2023-28) का शुभारंभ किया.
बिहार में कृषि रोडमैप से किसानों को काफी फायदा हुआ है. धान, मक्का, गेहूं और आलू का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ी है. वर्ष 2008 से वर्ष 2012 तक पहले कृषि रोडमैप के तहत कार्य किये गए. वर्ष 2011-12 में नालंदा के एक किसान ने प्रति हेक्टेयर धान का सबसे ज़्यादा उत्पादन कर चीन को पीछे छोड़ दिया. इससे पहले प्रति हेक्टेयर का रिकॉर्ड चीन के नाम था. आलू के उत्पादन में भी नालंदा ज़िले के एक गांव ने विश्व कीर्तिमान बनाया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक दूसरे कृषि रोडमैप के तहत कार्य किये गए, जिसके फलस्वरूप फल, सब्जी, दूध, अंडा एवं मछली का उत्पादन काफी बढ़ा है. उत्पादकता बढ़ने से किसानों को काफी फायदा हुआ है.
बिहार में मछली का उत्पादन ढाई गुना बढ़ा है. अब बिहार मछली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है. चावल, गेहूं और मक्का के उत्पादन को लेकर बिहार को कई कृषि कर्मण पुरस्कार मिले हैं. आलू, गोभी, बैंगन और टमाटर का उत्पादन भी काफी बढ़ा है. बिहार में मखाना का भी उत्पादन काफी बढ़ा है.
वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक तीसरे कृषि रोडमैप के अंतर्गत कार्य तय किए गए थे, लेकिन इसका कार्यकाल एक साल के लिये बढ़ाकर वर्ष 2023 तक कर दिया गया. बचे हुए कार्य एवं आगे के कार्य और विस्तार को लेकर चतुर्थ कृषि रोडमैप की शुरुआत की गई है. इसके तहत तेज़ी से कार्य होंगे, ताकि किसानों को और फायदा हो सके. चतुर्थ कृषि रोडमैप में कृषि के साथ-साथ पशुओं की उचित देखभाल के लिये भी व्यवस्था की गई है. प्रत्येक 8 से 10 पंचायत पर पशु अस्पताल खोला जा रहा है, ताकि पशुओं की उचित देखभाल और इलाज हो सके. उत्तर बिहार का एक बड़ा हिस्सा चौर क्षेत्र है। वहाँ वर्ष में 9 महीना पानी लगा रहता है. 9 लाख हेक्टेयर भूमि चौर क्षेत्र है। कृषि रोडमैप के तहत ऐसे 6 ज़िलों के लिये योजना की शुरुआत की गई है.
कृषि रोड मैप का लक्ष्य राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ाना है, साथ ही अगले पांच वर्षों में किसानों की आय में भी वृद्धि करना है. चतुर्थ कृषि रोडमैप के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये मंत्रिमंडल ने 1 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपए की स्वीकृति दी. चतुर्थ कृषि रोडमैप को बहुत व्यापक बनाया गया है. इससे न सिर्फ उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. इससे राज्य को भी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि अब चौथा कृषि रोड मैप इसे और आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है. आगामी पांच वर्षों में फसलों के विविधिकरण, बेहतर सिंचाई सुविधा, भूमि और जल संरक्षण, जलवायु अनुकूल कृषि, जैसे विषयों पर बल दिया जायेगा.
वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप को लाया गया था. वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीसरे रोड मैप की शुरुआत की थी. दूसरे रोड मैप की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुरुआत की थी. पहले रोड मैप में किसानों की आया बढ़ाने के लक्ष्य को रखा गया. हर भारतीय की थाली में ‘बिहारी व्यंजन’ परोसने की तैयारी पर काम हुआ. बीज उत्पादन के साथ ही किसानों की उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास किया गया. चावल के उत्पादन में बिहार बेहद सफल रहा था. दूसरे कृषि रोडमैप में बिहार काफी सफल रहा था. कृषि कर्मण अवार्ड भी बिहार के पास दिखा. तीसरे कृषि रोड मैप पर ऑर्गेकिन खेती पर जोर दिया गया. अब चौथे कृषि रोड मैप के जरिए खेती को टेक्नॉलाजी से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा.
बिहार का चौथा कृषि रोड मैप लॉन्च कर दिया गया. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया है कि इस रोड मैप के तहत काम अगर अच्छे से होता है तो किसानों की आमदनी और बढ़ेगी. सीएम ने कहा कि चौथे रोड मैप को अच्छे से बनाया गया और इसमें सभी बातों का ध्यान रखा गया है. यह बहुत व्यापक है. इससे उत्पादन और उत्पादकता बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ेगी. वहीं इस रोडमैप की खासियत क्या होगी इसपर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता लगभग दोगुनी हुई है और ये पिछले तीन कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन की वजह से हुआ है. बिहार मशरूम, शहद, मखाना और मछली उत्पादन में आगे है. उन्होंने कहा कि अब चौथा कृषि रोड मैप इसे और आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है. आगामी पांच वर्षों में फसलों के विविधिकरण, बेहतर सिंचाई सुविधा, भूमि और जल संरक्षण, जलवायु अनुकूल कृषि, जैसे विषयों पर बल दिया जायेगा.
वर्ष 2011-12 में नालंदा के एक किसान ने धान के उत्पादन में प्रति हेक्टेयर की उपज में कीर्तिमान बनाकर चीन को पीछे छोड़ दिया. आलू के उत्पादन में भी नालंदा के एक गांव ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. सीएम ने बताया कि 2012 से 2017 के बीच दूसरे रोडमैप में कई अहम काम हुए और इसमें फल, दूध, सब्जी, अंडा और मछली का उत्पादन बढ़ा. बताया गया कि तीसरे रोडमैप का कार्यकाल 2017 से 2022 तक था लेकिन इसमें एक साल की बढ़ोतरी की गयी थी. अब 2024 के रोडमैप पर काम होगा. वहीं सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पांचवें कृषि रोड मैप की अब जरुरत नहीं पड़ेगी.
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