नई दिल्ली: पिछले दो हफ्तों में 100 से अधिक नौनिहालों को गंवाने के बाद बिहार सरकार अब नींद से जाग रही है. मंगलवार को मुख्यमंत्री बच्चों और पीड़ितों का हाल जानने मुजफ्फरपुर पहुंचे. नीतीश कुमार ने पीड़ित और परिवार वालों से मिलकर कई दिशा-निर्देश दिए हैं. बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से निपटने के लिए चौतरफा कदम उठाए जा रहे हैं. डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है. डॉक्टरों की टीम डीएमसीएच और पीएमसीएच से भेजी गई हैं.
खाली पेट न सोएं बच्चे, सरकार चलाएगी जागरूकता अभियान
दीपक कुमार ने यह भी कहा कि बिहार में जागरूकता फैलाने के लिए आशा वर्कर, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर घर भेजा जा रहा है कि बच्चे खाली पेट न सोएं और खाली पेट न रहें. अगर बच्चे में जरा सा भी बुखार और बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. वहीं सभी आशा वर्कर, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर में बांटने के लिए ओआरएस का पैकेट दिया जा रहा है और इसकी महत्ता भी बताई जा रही है.
यही नहीं डॉक्टरों की एक टीम भी इन प्रभावित बच्चों के घरों में जाएगी और निरीक्षण करेगी. टीम प्रभावित हुए बच्चों के सामाजिक-आर्थिक और इनविरोनमेंटल बैकग्राउंड का भी निरीक्षण करेगी. टीम यह भी जानने की कोशिश करेगी कि इस बीमारी के पीछे गरीबी, साफ-सफाई के साथ साथ इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश की जाएगी कि इतनी बड़ी संख्या में बार-बार बीमार पड़ने की वजह क्या है.
Bihar CM Nitish Kumar issues directions after visiting Sri Krishna Medical College & Hospital in Muzaffarpur where 89 children have died of Acute Encephalitis Syndrome(AES). CM said environmental study should be conducted of affected areas & an analysis should be done. (File pic) pic.twitter.com/iym0Wypaju
— ANI (@ANI) June 18, 2019
बदलेगी एसकेएमसीएच की तस्वीर
बिहार के मुख्य सचिव ने बताया एसकेएमसीएच अस्पताल को 2500 बिस्तरों का बनाए जाने की बात की है. फिलहाल यह अभी 610 बिस्तरों का है. अगले साल 2020 में 1500 बेड का बनाया जाएगा और उसके बाद 2500 बेड का किया जाएगा. वहीं इस अस्पताल में 100 बेड का आईसीयू बनाए जाने की बात कही गई है. फिलहाल अभी 50 बेड का है. वहीं अस्पताल में धर्मशाला बनाए जाने की बात कही गई है. बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के मौत की बड़ी वजह उनका अस्पताल देर से आना है. बच्चों के परिवार वालों की स्थिति इतनी खराब है कि वह थोड़ा भी खर्च वहन नहीं कर सकते हैं. परिवार वालों को अस्पताल आने के लिए अब भुगतान भी सरकार करेगी और यह राशि लगभग 400 रुपये तक होगी.
निषाद बोले- बिहार को 4जी से देखे जाने की जरूरत
बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में मरने पर केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन रविवार को मुजफ्फरपुर गए थे. वहां उन्होंने अस्पताल और देख-रेख के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं. वहीं मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निशाद ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बच्चों की मौत की संख्या को शून्य कैसे किया जाए. उन्होंने कहा कि हमें 4जी- गांव, गर्मी, गरीबी और गंदगी पर काम करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस कुछ हद तक इन्ही 4जी के इर्द-गिर्द घूम रही है. निशाद ने यह भी कहा कि मरीज बहुत ही गरीब घरों से आते हैं, इनमें से अधिकतर अनुसूचित जाति के हैं या फिर बहुत ही पिछड़े वर्ग के हैं. उनका जीवन स्तर बहुत ही निम्नस्तर का है. उनके जीवन स्तर में सुधार लाने की जरूरत है क्योंकि जब तब परिवार वाले समझ पाते हैं कि उनका बच्चा बीमार है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. ऐसे लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है.
राबड़ी देवी ने कहा- बिहार के स्वास्थ्य विभाग को ही इंसेफेलाइटिस हो गया है
मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक बच्चों की मौत देखकर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बिहार सरकार, केंद्र सरकार और नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए हैं. उन्होने पूछा कि क्या 14 वर्ष से राज कर रहे मुख्यमंत्री की हज़ारों बच्चों की मौत पर कोई जवाबदेही नहीं? कहां है ग़रीबों के लिए 5 लाख तक के मुफ़्त इलाज की प्रधानमंत्री की आयुष्मान योजना? हम इस नाज़ुक समय में राजनीति नहीं करना चाहते लेकिन ग़रीब बच्चों का समुचित इलाज करना सरकार का धर्म और दायित्व है.
‘मुख्यमंत्री जी सदा की तरह मौन हैं. मुज़फ़्फ़रपुर में 40 बच्चियों के साथ सत्ता संरक्षण में जनबलात्कार किया गया तब भी मौन थे. मुज़फ़्फ़रपुर में ही भाजपाई नेता द्वारा 30 मासूमों को कार से कुचला तब भी मौन और हर वर्ष की तरह फिर हज़ारों बच्चों की चमकी बुखार से मौत पर भी चुप.’
उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्रालय को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘केंद्र और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री कुतर्क गढ़ रहे हैं. एक कहता है मैं मंत्री हूं, डॉक्टर नहीं. मरते बच्चे क़िस्मत का खेल हैं. और फिर उसी क़िस्मत को लात मार बिस्कुट खाते बेशर्मी से मैच का स्कोर पूछता है. एक प्रेस मीटिंग में ही सो रहे हैं. लीची को दोषी बताते हैं. भगवान की आपदा बताते हैं.’
उन्होंने एनडीए पर हमला करते हुए कहा, ‘बिहार में डबल इंजन की सरकार है. इतनी मौतों के बाद अब केंद्र और प्रदेश के मंत्री क्या नृत्य करने चार्टर फ़्लाइट्स से मुज़फ़्फ़रपुर जा रहे हैं? जब अस्पताल के दवाखानों में दवा की जगह कफ़न रखे हैं, डॉक्टर नहीं है तो क्यों नहीं बीमार बच्चों को Air-Ambulance से दिल्ली ले जाते?’
राबड़ी ने कहा कि ’14 बरस से ई लोग बिहार में राज कर रहा है. हर साल बीमारी से हज़ारों बच्चे मरते हैं लेकिन बताते सैंकड़ों हैं. फिर भी रोकथाम का कोई उपाय नहीं, समुचित टीकाकरण नहीं. दवा और इलाज का सारा बजट ईमानदार सुशासनी घोटालों की भेंट चढ़ जाता है. बिहार का बीमार स्वास्थ्य विभाग ख़ुद ICU में है.’
‘एनडीए सरकार की घोर लापरवाही, कुव्यवस्था सीएम की महामारी को लेकर अनुत्तरदायी, असंवेदनशील और अमानवीय अप्रोच, लचर व भ्रष्ट व्यवस्था, स्वास्थ्य मंत्री के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार एवं भ्रष्ट आचरण के कारण ग़रीबों के 1000 से ज़्यादा मासूम बच्चों की चमकी बुखार के बहाने हत्या की गयी है.’
उन्होंने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग को ही इंसेफेलाइटिस यानि मस्तिष्क ज्वर हो गया है.
उन्होंने स्वस्थ्य मंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि हर साल हज़ारों बच्चे मारे जाते हैं लेकिन फिर भी सरकार की कोई तैयारी नहीं होती. दवा और इलाज के अभाव में ग़रीब बाल-बच्चे मर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री पिकनिक कर रहे हैं. सरकार की संवेदना मर चुकी है.