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Sunday, 22 December, 2024
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भीमा-कोरेगांव मामला, नवलखा की अपील पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के जजों ने खुद को किया अलग

बाम्बे हाईकोर्ट ने गौतम की एफआईआर को खत्म करने की अपील खारिज कर दी थी जिसको चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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नई दिल्ली : भीमा-कोरेगांव मामले में लगातार नाटकीय मोड़ आ रहा है. इस मामले में गौतम नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अपने खिलाफ की गई एफआईआर को खत्म करने के लिए अदालत में अपील की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट सहित जजों ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी.

गौतम नवलखा ने बाम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. बाम्बे हाई कोर्ट ने गौतम की एफआईआर को खत्म करने की अपील को खारिज कर दिया था.

जस्टिस भट्ट पांचवे ऐसे जज हैं जिसने इस मामले से खुद को अलग किया है. गौतम के मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय पीठ कर रही थी जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत सरम और एस रवींद्र भट्ट शामिल थे.

इससे पहले 1 अक्टूबर को ही सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया था. इस पीठ में जस्टिस एनवी रमन्ना, सुभाष रेड्डी और बीआर गवई शामिल थे.

इस मामले की जांच करते हुए बाम्बे हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को गौतम की एफआईआर से संबंधित अपील को खारिज कर दिया था. गौतम पर माओवादी संगठन से संबंध रखने के आरोप हैं और 2017 में भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा का भी आरोप है. इस मामले में कोर्ट ने कहा था कि उन पर लगे आरोपों को देखते हुए जांच होनी चाहिए.

गौतम नवलखा पर पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस ने भी आरोप लगाया था कि उनके माओवादियों से संबंध हैं और वो सरकार के विरुद्ध काम कर रहे हैं.

इस मामले में और भी कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इन लोगों पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है. सुधा भारद्वाज, वारवरा राव,अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसालवेस को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था.

एक जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव गांव में जातिगत हिंसा को भड़काने में कथित भूमिका के लिए कार्यकर्ताओं को अगस्त 2018 में विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया गया था.

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