scorecardresearch
Sunday, 20 July, 2025
होमदेशबेंगलुरु भगदड़: भीड़ नियंत्रण के बारे में विज्ञान हमें क्या बताता है

बेंगलुरु भगदड़: भीड़ नियंत्रण के बारे में विज्ञान हमें क्या बताता है

बुधवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई. रिसर्च बताती है कि भीड़ में लहरों जैसे पैटर्न दिखाई देते हैं, जिन्हें पहचानने से हादसों को रोकने में मदद मिल सकती है.

Text Size:

नई दिल्ली: चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की जीत के जश्न के दौरान बुधवार को मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. भारत में भगदड़ की घटनाएं बार-बार होती रहती हैं, लेकिन फ्रांसीसी और स्पेनिश शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी से पता चलता है कि भीड़ में ही भीड़ के बीच भी भगदड़ की घटनाएं होती हैं. इसमें कहा गया है कि इन ऑस्किलेशन्स की सटीक पहचान और ड्रोन और सीसीटीवी के ज़रिए निगरानी से भीड़ पर नियंत्रण और सामूहिक समारोहों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.

फरवरी में नेचर में छपी इस स्टडी में स्पेन के सैन फर्मिन उत्सव के वीडियो फुटेज का विश्लेषण किया गया, जो हर साल जुलाई में आयोजित बैलों की दौड़ के लिए लोकप्रिय है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जब भीड़ एक निश्चित डेनसिटी पर पहुंच जाती है, तो स्वतःस्फूर्त और लयबद्ध पैटर्न उभर आते हैं. इसे ‘कलेक्टिव ऑस्किलेशन’ कहा जाता है, भीड़ ने खुद को संगठित किया और अनैच्छिक रूप से बड़े पैमाने पर वेव जैसे पैटर्न बनाने शुरू कर दिए.

इस साल भारत में कई भगदड़ें हुई हैं. 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जिसमें प्रयागराज में महाकुंभ मेले में जाने वाले कई यात्री भी शामिल थे, जहां जनवरी में भी भगदड़ मची थी. धार्मिक आयोजन में भीड़ को संभालने वाले उपाय विफल होने के कारण कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई.

हालांकि, इन आयोजनों की कोई वैज्ञानिक जांच नहीं हुई है, लेकिन नेचर में छपी स्टडी से मिली जानकारी आयोजकों को अगली भगदड़ को रोकने में मदद कर सकती है.

द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में फ्रांस स्थित फिजिसिस्ट (भौतिक विज्ञानी) डॉ. डेनिस बार्टोलो, जो इस स्टडी के सह-लेखक हैं, ने कहा कि उन्होंने भीड़ की हरकतों को फिल्माने के लिए पूरे प्लाजा में कैमरे लगाए थे. पहले तो यह “अनियमित, अव्यवस्थित, अशांत” लगा, लेकिन बार्टोलो और उनकी टीम ने “किसी वस्तु के फ्लो को उसकी दिशा और वेलोसिटी का निरीक्षण करके मापने” के लिए फ्लूयड डायनेमिक तकनीकों का इस्तेमाल किया.

स्टडी से पता चलता है कि ऐसा ऑर्बिटल मोशन — जिसे उस खास प्लाजा में पूरा होने में 18 सेकंड लगे — जर्मनी के डुइसबर्ग में 2010 के लव परेड में हुई भगदड़ से ठीक पहले पता चला था. शोधकर्ताओं ने पाया कि लोगों के एक महत्वपूर्ण डेनसिटी से ऊपर, ये ऑस्किलेशन बिना किसी बाहरी मार्गदर्शन के लगभग स्वाभाविक रूप से उभरते हैं.

ये ऑस्किलेशन लोगों के बीच रेंडम बातचीत के कारण होते हैं — जगह पाने के लिए हल्का धक्का, पैरों का हिलना, या यहां तक कि रुकने की जगह तलाशना. ये “विषम घर्षण बल” भीड़ को एक प्रकार का सामूहिक गुण प्रदान करते हैं, जिसके कारण लोग वेव्स के जैसे गुण दिखाते हैं.

ऑस्किलेशन कहां और कब शुरू होते हैं, इसकी मेपिंग करके, सामूहिक आयोजनों के आयोजक ड्रोन या सीसीटीवी जैसे निगरानी टूल्स के ज़रिए आपदा आने से पहले भीड़ में क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं. अगर इन सर्कुलर मोशन्स का पता लगाया जाता है, तो संबंधित कार्रवाई की जा सकती है, जिससे भगदड़ जैसी स्थितियों को टाला जा सकता है.

दिसंबर 2024 में नेचर में छपी एक ऐसी ही स्टडी में लिखा गया कि मैराथन आयोजनों में भीड़ कैसे व्यवहार करती है, जहां धावकों के समूह एक ही दिशा में दौड़ते हैं. विशेष रूप से, लक्ष्य “भीड़ के डायनेमिक्स पर दौड़ कर्मचारियों के प्रभाव की जांच करना” था.

पानी में लहरों की तरह, सिमुलेशन ने भीड़ के बीच से गुज़रते हुए लहर जैसे पैटर्न दिखाए. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में कहा गया है, “हम साफ तौर से देख सकते हैं कि पार्टिकल्स के शुरुआती समरूप और रेंडम वेलोसिटी से शुरू होकर डेनसिटी और वेलोसिटी पैटर्न बनते हैं.”

लेकिन NYT की एक रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि असल दुनिया में इसके इस्तेमाल सीमित हो सकते हैं — “एक अच्छी तरह से रोशनी वाले स्थान को हाई क्वालिटी कैमरों से फिल्माना एक बात है, लेकिन उदाहरण के लिए रात के समय की सुरक्षा फुटेज में सर्कुलर हरकतों का पता नहीं चल सकता है.”

हालांकि, यह पहचानना कि भगदड़ जैसी घटनाओं से ठीक पहले पैटर्न बनते हैं, प्रभावी भीड़ प्रबंधन तकनीकों के निर्माण का पहला कदम है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘मेरा भाई क्रिकेट का दीवाना था, उसी ने जान ले ली’: चिन्नास्वामी भगदड़ ने परिवारों को तोड़ दिया


 

share & View comments