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Friday, 22 November, 2024
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बेंगलुरु में कोविड के बेड की कमी नहीं, सरकार का कहना है कि निजी अस्पताल नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं

आईपीएस और आईएएस अधिकारियों सहित सात विशेष टीमों ने पाया कि कई अस्पताल या तो कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे या जानकारी छिपा रहे थे.

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बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार द्वारा बेंगलुरु में कोविड बेड आवंटन को सुव्यवस्थित करने के लिए गठित सात विशेष टीमों ने निजी अस्पतालों में कई विसंगतियां पाई हैं, जिसमें सरकार के आदेश (बेड का 50 प्रतिशत आवंटित करने ) का अनुपालन न करना और कथित रूप से गलत डेटा देना भी शामिल है.

कर्नाटक सरकार ने 15 जुलाई को सभी अस्पतालों, सरकारी और निजी के लिए अनिवार्य कर दिया था कि वे अपने बेड आवंटन के विवरणों को बताएं और इसे ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) डैशबोर्ड पर अपडेट करें. इससे रोगियों के लिए यह पहचानना आसान होगा कि बेड कहां उपलब्ध हैं.

इसने बीबीएमपी द्वारा भेजे गए कोविड-19 रोगियों के लिए निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत बेड आरक्षित करने का आदेश दिया और कहा सरकार इन रोगियों का खर्च वहन करेगी.

‘निजी अस्पताल नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं’

आईपीएस और आईएएस अधिकारियों सहित सात विशेष टीमों ने पाया कि कई अस्पताल या तो कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे या जानकारी छिपा रहे थे.

इन अस्पतालों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे सही दिशा में काम नहीं करते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है या अपने लाइसेंस को खो सकते हैं.

मंगलवार शाम तक बेंगलुरु शहर में निजी अस्पतालों में 4,849 कोविड आवंटित बेड हैं. इनमें से 1,066 बेड भरे हुए हैं और 3,783 बेड उपलब्ध हैं. निजी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध 2,710 बेड में से 1,782 बेड भरे हुए हैं और 928 बेड आरक्षण के लिए उपलब्ध हैं.

बीबीएमपी रियल टाइम डैशबोर्ड 741 बेड दिखाता है जो सरकारी अस्पतालों में आवंटित किया गया है, जिसमें से 459 भरे हुए हैं और केवल 282 बेड मरीजों के लिए उपलब्ध हैं.

सरकार ने रविवार को इस समस्या पर ध्यान दिया.

मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर ने रविवार रात एक आर्डर के माध्यम से कहा कि यह सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ निजी चिकित्सा संस्थान ऐसे संदर्भित रोगियों और सेल्फ रिपोर्टिंग सिम्पटोमैटिक रोगियों के प्रवेश से इनकार कर रहे हैं, जो किसी न किसी तरह से परेशान हैं.

‘वास्तविक समय डेटा की कमी एक चुनौती’

विशेष टीमों ने सोमवार से अपना काम शुरू किया और तब पाया है कि कई निजी अस्पताल बीबीएमपी द्वारा संदर्भित रोगियों को एडमिट करने से इनकार कर रहे थे या डैशबोर्ड पर बेड की उपलब्धता के सटीक आंकड़े साझा नहीं कर रहे थे.

एक वरिष्ठ अधिकारी, जो विशेष टीम का हिस्सा है ने कहा कि ‘वे सरकार को दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे बेड आवंटित करने के वादे को पूरा कर रहे हैं. जब इसे क्रॉस-सत्यापित किया जाता है, तो यह पाया जाता है कि उन बेड भर गए हैं और कभी-कभी रोगी इसके लिए भुगतान कर रहे होते हैं.’


यह भी पढ़ें : बेंगलुरु में कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर अपोलो और विक्रम अस्पताल के ओपीडी 48 घंटे के लिए सील


एक अन्य मुद्दा यह है कि जिन अस्पतालों की पहचान की गई थी, वे कथित तौर पर तकनीकी कारणों से बेड आवंटन को गलती का हवाला दे रहे हैं. कुछ लोगों ने कथित तौर पर दावा किया था कि उनके पास बेड हैं, लेकिन इससे जुड़ी एक अटेंडेंट नहीं दे सकते हैं.

आईपीएस अधिकारी डी रूपा, आईजीपी (रेलवे), जो विशेष टीम के सदस्य हैं, ने कहा, ‘हमारी जांच में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि निजी अस्पताल वास्तविक समय में अपने बेड आवंटन की स्थिति को अपडेट नहीं करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई अस्पताल कहता है कि 100 बेड हैं और पांच दिनों से अगर सभी बेड भरे हुए हैं, तो अस्पताल के अधिकारी इसे बीबीएमपी सिस्टम पर अपडेट नहीं करते हैं. इसलिए जब बीबीएमपी उनके डेटा को देखता है, तो वे सोचते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक खाली हैं और 10 रोगियों को वहां भेजते हैं. यह तब है जब मरीजों को वापस कर दिया जाता है और हम सुनते हैं कि लोग निजी अस्पतालों में भर्ती नहीं हो रहे हैं.’

एक उदाहरण का हवाला देते हुए, रूपा ने कहा कि बेंगलुरु शहर के किनारे राजाराजेश्वरनगर में एक अस्पताल ने दावा किया कि उसने अपने सभी बेड रामनगर के नजदीकी जिले के मरीजों को आवंटित किए थे.

रूपा ने कहा, ‘उनके पास 700 बेड हैं और रमनगरा में इतने मरीज नहीं हैं कि उन्हें पूरा अस्पताल कोविड-19 मरीजों को समर्पित करना पड़े.’ जब हम वहां गए, तो उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने अब रामनगर के लिए 400 और बीबीएमपी द्वारा भेजे गए रोगियों के लिए 300 आरक्षित किए हैं. अस्पताल सिस्टम से बचने के तरीके खोज रहे हैं.’

‘बेड उपलब्ध हैं, केंद्रीकृत आवंटन सुनिश्चित करेगा’

सरकार अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि निजी अस्पताल नियमों का पालन करें.

हरिशेखरन, आईजीपी (प्रशिक्षण) ने दिप्रिंट को बताया कि ‘इस ऑपरेशन के पीछे मुख्य विचार बेंगलुरू में मृत्यु दर को कम करना है. बेड उपलब्ध हैं, लोगों को यह नहीं पता है कि इसके बारे में कहां और कैसे जाना है. हमारा काम इन अस्पतालों को संवेदनशील बनाना और जब भी आवश्यक हो, उन्हें बेड साझा करने के लिए कहना है.’

नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘अस्पतालों में बिस्तर या इलाज से वंचित लोगों की बहुत अधिक रिपोर्टें हैं. यह निजी अस्पतालों के मनमानी के कारण है. एक महामारी के खिलाफ इस युद्ध में हमें मौद्रिक लाभ खोजने की कोशिश करने के बजाय एक साथ आना चाहिए और इसका मुकाबला करना चाहिए.’

प्रधान सचिव (श्रम) महेश्वर राव ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार के निर्देश लागू हों. लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा क्योंकि उन्हें बेड आवंटित किया जाएगा. टीमें केंद्रीकृत आवंटन सुनिश्चित करेंगी.’

सरकार मिक्स्ड सिग्नल्स दे रही है: निजी अस्पताल

हालांकि, शहर के निजी अस्पताल यह तर्क दे रहे हैं कि सरकार उन्हें मिश्रित संकेत भेज रही है.

प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आर रवींद्र ने दिप्रिंट को बताया कि एक तरफ सरकार ने निजी अस्पतालों को उनके 50 प्रतिशत बेड सौंपने के लिए कहा है, लेकिन दूसरी तरफ कहा कि अगर निजी अस्पताल के डॉक्टर या कर्मचारी बीमार पड़ते हैं, तो अस्पतालों को खुद उनकी देखभाल करनी होगी.

उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार ने अस्पतालों से कहा है कि ‘वे किसी भी मरीज को मना न करें, चाहे कोविड या गैर-कोविड मरीज हो. हम सरकार से जो मांगते हैं वह देने के लिए तैयार हैं. हमारा सबसे बड़ा खेद यह है कि जब आप 50 फीसदी बेड दे देते हैं, तो अन्य मरीजों के लिए अधिक बेड नहीं होंगे. अगर हमारे कर्मचारी प्रभावित होते हैं, तो हमारे रोगियों की देखभाल कौन करेगा? सरकार एक बड़ी बात भूल रही है.’

प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने यह भी तर्क दिया कि मीडिया में बहुत शोर मचाया जा रहा है कि अस्पताल बेड उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. सरकार ने हमें 3,000 कोविड बेड देने के लिए कहा और हमने किया. कई बेड मरीजों से भरे हुए हैं जो भुगतान करने के लिए तैयार हैं. सरकार यह नहीं कह सकती कि हमें अमीरों का ध्यान रखना चाहिए और वे गरीब मरीजों की देखभाल करेंगे. हम मानते हैं कि सभी रोगियों को बिना भेदभाव के कोविड बेड आवंटन पोर्टल के माध्यम से समान रूप से भर्ती किया जाना चाहिए. हम इसे एक साथ लड़ रहे हैं.’

‘हम नहीं जानते कि सरकार किसे खुश करने की कोशिश कर रही है? इंफ्रास्ट्रक्चर कहां है? नर्सें कहां हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को हमारी देखभाल करने में मदद करनी चाहिए. निजी क्षेत्र को सहयोग नहीं करने के लिए दोषी ठहराना गलत है. हम सबसे अच्छा काम कर रहे हैं जो हम कर सकते हैं. हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, हमें बदनाम किया जा रहा है और हमें लगता है कि हम जो अच्छा काम कर रहे हैं उसके लिए हमें स्वीकार नहीं किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि सरकार हमारे साथ प्रतिशोध के साथ आ रही है.

डॉ रवींद्र के अनुसार, बेंगलुरु के कुछ 326 निजी अस्पताल प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के सदस्य हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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