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रविवार, 25 मई, 2025
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सांस्कृतिक पुनर्जागरण और समावेशी विकास का प्रतीक बना बस्तर : सीएम विष्णुदेव साय

यह महोत्सव 7 जिलों के 32 ब्लॉकों में तीन चरणों में आयोजित किया गया, जिसमें 47,000 कलाकारों, 1,885 ग्राम पंचायतों और 1,743 सांस्कृतिक दलों ने भाग लिया.

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रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली स्थित अशोक होटल में आयोजित मुख्यमंत्री सम्मेलन में छत्तीसगढ़ सरकार को उसके विकास मॉडल और नवाचार पहलों के लिए विशेष सराहना मिली.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा बस्तर ओलंपिक और बस्तर पांडुम पर दी गई प्रस्तुति ने प्रधानमंत्री और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों का ध्यान आकर्षित किया. इस मौके पर छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव भी मौजूद रहे.

मुख्यमंत्री साय ने सम्मेलन में राज्य की सुशासन की दिशा में की जा रही कोशिशों की जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ ने ‘गुड गवर्नेंस और कन्वर्जेंस’ के लिए अलग विभाग की स्थापना की है. साथ ही, योजनाओं की निगरानी ‘अटल मॉनिटरिंग पोर्टल’ जैसे डिजिटल टूल्स से की जा रही है, जिससे शिकायतों का समय पर निपटारा और योजनाओं की वास्तविक समय में ट्रैकिंग सुनिश्चित हो रही है.

उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल योजनाएं शुरू करना नहीं, बल्कि उन्हें ईमानदारी और प्रभावशीलता से ज़मीन पर उतारना है.”

सम्मेलन में केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया गया.

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं छत्तीसगढ़ में ग्राम सभाओं, जनसंपर्क और तकनीक आधारित पहलों के माध्यम से जमीनी स्तर तक पहुंचाई जा रही हैं.

सम्मेलन की खास बात रही बस्तर ओलंपिक और बस्तर पांडुम पर विशेष प्रस्तुति. प्रधानमंत्री मोदी के ‘खेलोगे इंडिया, जीतोगे इंडिया’ के आह्वान का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने इस सोच को धरातल पर उतार दिया है.

बस्तर ओलंपिक को उन्होंने केवल खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बताया, जिसने युवाओं के हाथों से बंदूकें छीनकर भालों, तीरों और गेंदों को थमा दिया है. यह आयोजन 7 जिलों के 32 विकासखंडों में 40 दिनों तक तीन स्तरों – ब्लॉक, जिला और संभाग – में हुआ, जिसमें 1.65 लाख खिलाड़ियों ने भाग लिया.

इस प्रतियोगिता में तीरंदाजी, दौड़, खो-खो, कबड्डी और रस्साकशी जैसे 11 पारंपरिक आदिवासी खेल शामिल रहे। प्रतिभागियों को चार वर्गों – जूनियर, सीनियर, आत्मसमर्पित नक्सली और दिव्यांग – में बांटा गया. खास बात यह रही कि दूर-दराज के गांवों से महिलाओं और दिव्यांगों की उत्साही भागीदारी देखने को मिली.

मुख्यमंत्री साय ने डोर्नापाल के दिव्यांग एथलीट पुनम सन्ना की प्रेरणादायक कहानी साझा की. कभी नक्सल हिंसा से प्रभावित इस इलाके से ताल्लुक रखने वाले सन्ना आज व्हीलचेयर एथलीट हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बस्तर ओलंपिक की सराहना करते हुए इसे “बस्तर की आत्मा का उत्सव” बताया था.

मुख्यमंत्री ने बस्तर पांडुम उत्सव की सफलता का भी उल्लेख किया, जिसने न केवल आदिवासी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और लोक कलाओं को संरक्षित किया है, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय पहचान भी दिलाई है.

यह महोत्सव 7 जिलों के 32 ब्लॉकों में तीन चरणों में आयोजित किया गया, जिसमें 47,000 कलाकारों, 1,885 ग्राम पंचायतों और 1,743 सांस्कृतिक दलों ने भाग लिया. इसमें लोकनृत्य, संगीत, स्थानीय हाट बाजार और पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिताएं शामिल थीं. प्रतिभागियों को 2.4 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई, जिससे समुदाय में उत्साह और गर्व का संचार हुआ.

इस पहल ने युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों को एक साथ जोड़कर न सिर्फ आपसी एकता को मजबूत किया है, बल्कि पहले संघर्षग्रस्त रहे क्षेत्रों में शांति, उत्सव और विकास का नया संदेश दिया है.

मुख्यमंत्री सम्मेलन में देश भर से चुनिंदा राज्यों को अपनी सर्वश्रेष्ठ पहलें प्रस्तुत करने का मौका मिला.इसमें छत्तीसगढ़ का ‘बस्तर मॉडल’ एक उल्लेखनीय उदाहरण बनकर उभरा.

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