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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशबरेली में अब 'झुमका' गिरा नहीं बल्कि सजा, वो भी 14 फीट और 270 किलो का

बरेली में अब ‘झुमका’ गिरा नहीं बल्कि सजा, वो भी 14 फीट और 270 किलो का

बरेली डेवलपमेंट अथाॅरिटी(बीडीए) ने शहर के परसा खेड़ा इलाके में झुमका तिराहा बनाया है, जहां पर 14 फीट ऊंचा झुमका लगाकर टूरिस्ट स्पाॅट बनाने का प्रयास किया है.

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लखनऊ/बरेली : 1966 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मेरा साया’ का गाना था ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’, इसने बरेली व उसके झुमका कनेक्शन को देशभर में मशहूर कर दिया. इसके बाद तमाम दूसरी फिल्मों के गानों में भी बरेली के बाजार में झुमका खोने का जिक्र हुआ. अब लगभग 54 साल बाद बरेली को एक झुमका मिल गया है, ये झुमका 14 फीट ऊंचा और 270 किलो का है. दरअसल बरेली डेवलपमेंट अथाॅरिटी (बीडीए) ने शहर के परसा खेड़ा इलाके में झुमका तिराहा बनाया है, जहां पर 14 फीट ऊंचा झुमका लगाकर टूरिस्ट स्पाॅट बनाने का प्रयास किया है.

बीडीए की वाइस चेयरपर्सन दिव्या मित्तल ने दिप्रिंट को बताया कि फरवरी 2019 में जब उनकी पोस्टिंग बरेली में हुई तो उनके जानने वाले अक्सर झुमका गिरा रहे गाने से बरेली को कनेक्ट करते थे और झुमका कहां गिरा ये भी पूछते थे. उनके दिमाग में भी ये खयाल आता था कि कोई तो ऐसा पाॅइंट होना चाहिए जिससे इसे झुमका सिटी कहा जा सके. उन्होंने जानकारी जुटाई तो पता चला कि 2015 में बीडीए द्वारा झुमका पाइंट बनाए जाने की चर्चा उठी थी लेकिन उस वक्त इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं शुरू हो पाया था. दिल्ली से बरेली आने वाले राजमार्ग पर एक पाॅइंट तय किया गया जिसे झुमका तिराहा बनाया गया और वहां 14 फीट ऊंचा और 270 किलो वजन का झुमका लगाया गया है.


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बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडे ने बताया कि स्मार्ट सिटी को लेकर कुछ महीने पहले एक बैठक हुई जिसमें डीआईजी, कमिशनर, बीडीए अधिकारी समेत तमाम लोग शामिल हुए. इस दौरान झुमका तिराहा को लेकर भी चर्चा उठी लेकिन बीडीए के पास फंड की दिक्कत आ रही थी. ऐसे में बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के ओनर व्यापारी केशव अग्रवाल सीएसआर (काॅरपोरेट एंड सोशल रेस्पाॅनसबिलिटी) के तहत बीडीए का सहयोग करने को तैयार हो गए.

पांडे कहते हैं कि उन्हें बेहद खुशी है कि वो खोया हुआ झुमका बरेली को दिलाने में कामयाब हो गए. उनके मुताबिक ‘अब मेरा कोई दोस्त अगर तंज कसते हुए पूछेगा कि तुम डीआईजी रहे बरेली में तो झुमका खोज पाए तो मैं गर्व के साथ कह सकूंगा कि मेरी पोस्टिंग के दौरान ही मिला. मैंने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी. वह बताते हैं कि बरेली में एक काॅलेज के कार्यक्रम के दौरान एक छात्र ने भी सवाल पूछा था कि सर, अभी तक यहां की पुलिस झुमका नहीं ढूंढ़ पाई है जो हम गाने में अक्सर सुनते हैं कि बरेली के बाजार में खोया था.’

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फोटो : प्रशांत श्रीवास्तव / दिप्रिंट

मुरादाबाद से लाया गया पीतल, गुरुग्राम में हुई डिजाइनिंग

बीडीए वीसी दिव्या ने बताया कि पीतल नगरी मुरादाबाद से झुमके के लिए पीतल मंगवाया गया. वहीं, इसकी डिजाइनिंग गुरुग्राम से कराई गई. इसे बनाने में पीतल और तांबे का इस्तेमाल किया गया है. वहीं इसमें करीब आठ महीने का समय भी लग गया.

झुमका करीब दो सौ मीटर दूर से लोगों को नजर आएगा. दिव्या के मुताबिक, ‘इस झुमका तिराहे को टूरिस्ट स्पाॅट के तौर पर भी विकसित करने का प्रयास चल रहा है. इसे लोग नए सेल्फी पाइंट के तौर पर भी देख रहे हैं. हमारी कोशिश है कि बाहर से लोग आएं और इस झुमका सिटी को समझें. उन्हें इस बात का भी अहसास होगा कि खोया झुमका बरेली को वापस मिल गया है.’


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बीडीए से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में लगभग 20 लाख रुपए का खर्चा आया है. बरेली के लोग इस झुमका तिराहे से बेहद खुश हैं. हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि शहर के बीचो बीच इस तिराहे को बनाना चाहिए.

बरेली निवासी रविंदर सिंह ने बताया कि उनके और उनके दोस्तों को एक नया सेल्फी पाॅइंट मिल गया है. हालांकि शहर से ये लगभग 15 किमी दूर है लेकिन वे इस बात से खुश हैं कि बरेली को खोया हुआ झुमका यानी की उसकी पहचान मिल गई है.

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