नयी दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी शुक्रवार से दो दिन की हड़ताल पर रहेंगे. इससे सामान्य बैंकिंग कामकाज प्रभावित हो सकता है. वेतन संशोधन को लेकर प्रबंधन के साथ बातचीत में सहमति नहीं बनने के बाद बैंक यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है. इंडियन बैंक्स असोसिएशन ने अखबारों में विज्ञापन निकालकर कर्मचारियों की मांगों को गैर वाजिब बताया है.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित विभिन्न बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित कर दिया है कि हड़ताल से उनका सामान्य बैंकिंग परिचालन प्रभावित हो सकता है.
सरकारी बैंकों की हड़ताल ऐसे समय हो रही है जबकि शुक्रवार से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है. शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया जाना है.
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने हड़ताल का आह्वान किया है. इसमें आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), आल इंडिया बैंक एम्पलाइज़ एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक यूनियनें शामिल हैं.
एआईबीओसी के अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि इससे पहले मुख्य श्रमायुक्त के साथ बैठक बेनतीजा रही थी.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों का वेतन संशोधन नवंबर, 2017 से लंबित है.
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ‘भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ हमारी मांगों को लेकर आज हुई बैठक विफल रही है. ऐसे में हम शुक्रवार से दो दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं.’
यूएफबीयू ने एक परिपत्र में आरोप लगाया है कि आईबीए वेतन संशोधन की उनकी मांग पर सख्त रवैया अपना रहा है.
एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि यूएफबीयू की 13 जनवरी को मुंबई में हुई बैठक में हम इस नतीजे पर पहुंचे थे कि हमें अपनी मांगों के समर्थन में अपने आंदोलन को तेज करना होगा.
बैंक का पक्ष
वहीं इंडियन बैंक्स असोसिएशन ने अपना पक्ष रखते हुए प्रमुख अखबारों में विज्ञापन निकाले हैं, जिनमें कहा गया है कि उनकी तरफ से कर्मचारियों के वेतन में 19 प्रतिशत वृद्धि, जिसमें कार्यक्षमता से जुड़े इंसेंटिव शामिल हैं की पेशकश की गई थी जिसके बावजूद बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
देश में मंदी और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति की चर्चा कर्मचारियों से की गई थी. बैंक समय-समय पर कर्मचारियों की सहूलियते बढ़ाते रहते हैं पर यूनियन ऐसी मांगों पर अड़े है जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता.
विज्ञापन में यह भी कहा गया है, ‘ एक मांग पांच दिन के कार्य सप्ताह की है.ये सर्वविदित है कि देश की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुज़र रहा है. बैंक आर्थिक विकास में मुख्य किरदार निभाते हैं , ऐसे में बैंकों में कम दिनों का काम नहीं माना जा सकता. हमारे देश में पहले ही दुनियाभर में दी जाने वाली छुट्टियों से इतर सबसे ज्यादा सार्वजनिक छुट्टियां दी जाती है और इसमें 26 अतिरिक्त छुट्टी जोड़ना जनता के लिए नई समस्या पैदा करेगी.’
बैंको के संगठन का कहना है कि वे बैंकिंग व्यवस्था को ऑनलाइन आदि माध्यमों से चलायेंगे ताकि आम जनता को तकलीफ कम हो.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)