नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की बरेली सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर बबलू श्रीवास्तव पर पाकिस्तानी सरकार ने पिछले साल लाहौर बम धमाकों का ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप लगाया है.
मंगलवार को पाकिस्तान ने दावा किया कि ‘भारतीय आतंकवादियों’ ने धमाकों के लिए एक व्हीकल-बॉर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (VBIED) का इस्तेमाल किया था. 23 जून, 2021 को हुए इस हमले में लाहौर के जौहर टाउन में तीन लोगों की मौत हो गई और 24 गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
डोजियर में लिखा है, ‘जौहर टाउन आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड की पहचान हो गई है. यह शख्स भारतीय है और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के लिए काम करता था. हमले को अंजाम देने के लिए रॉ ने ‘भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़े कुछ आतंकवादियों के विशाल नेटवर्क’ खड़ा करने के लिए 875,000 डॉलर मुहैया कराए थे.’
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के अतिरिक्त महानिरीक्षक आतंकवाद-रोधी विभाग (पंजाब) के इमरान महमूद ने दावा किया कि श्रीवास्तव और दिवंगत बहरीन स्थित गैंगस्टर अली बुदेश का संबंध रॉ से था. प्रेस ब्रीफिंग में पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह भी मौजूद थे.
डोजियर जारी होने के दो दिन बाद भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे पर बहसबाजी की थी.
यूएनएससी में कश्मीर मुद्दे पर प्रस्तावों को लागू करने के पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के अनुरोध के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस्लामाबाद ‘(अल-कायदा नेता) ओसामा बिन लादेन की मेजबानी’ के बाद आतंकवाद पर ‘उपदेश’ नहीं दे सकता है.
‘श्रीवास्तव 2021 में वाघा के रास्ते लाहौर पहुंचा था’
पाकिस्तान ने श्रीवास्तव को रॉ का प्रमुख आदमी बताया और कथित आतंकी फंडिंग और नेटवर्क स्थापित करने आरोप लगाया है, खासतौर से जौहर टाउन हमले के मामले में. पाकिस्तानी डोजियर में यह भी दावा किया गया है कि उसने 2021 में वाघा बॉर्डर को क्रॉस करते लाहौर का दौरा किया था. हालांकि इसमें उस महीने का जिक्र नहीं है जिसमें कथित यात्रा की गई थी.
‘बबलू’ उपनाम से जाने जाने वाले ओम प्रकाश श्रीवास्तव 90 के दशक के मध्य से सलाखों के पीछे हैं. अंडरवर्ल्ड डॉन को सिंगापुर में पकड़ा गया था और 1995 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, वह हत्या और अपहरण से जुड़े 42 मामलों में वांछित था. लेकिन उस पर सिर्फ चार मामलों में ही मुकदमा चलाया जा सका.
मार्च 1993 में इलाहाबाद में एक सीनियर कस्टम अधिकारी की हत्या में उनकी संलिप्तता से संबंधित सबसे हाई-प्रोफाइल मामला था, जिसके लिए श्रीवास्तव को दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.
(अनुवाद : संघप्रिया मौर्य | संपादन : ऋषभ राज)
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