नई दिल्ली: राम मंदिर की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में गठित नई संविधान पीठ आज इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकी. नवगठित बेंच में से जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई बेंच से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके चलते मामले की सुनवाई टल गई. अब नई बेंच गठित होने के बाद अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी.
कोर्ट में आज 10 जनवरी को सुनवाई होनी थी. इसके लिए पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट पांच जजों की संवधिान पीठ का गठन किया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बेंच के समक्ष इस बात का जिक्र किया कि जस्टिस यूयू ललित 1997 में बतौर वकील कल्याण सिंह के लिए कोर्ट में पेश हुए थे. हालांकि, उन्होंने जस्टिस यूयू ललित के हटने की मांग नहीं की थी, लेकिन जस्टिस यूयू ललित ने खुद ही अपना नाम सुनवाई बेंच से वापस लेने की पेशकश की.
इसके पहले शुक्रवार चार जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल की पीठ ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन किया जाएगा जो 10 जनवरी से इस मामले की सुनवाई करेगी. लेकिन जस्टिस यूयू ललित के नाम वापस लेने से सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टल गई है.
जस्टिस ललित के नाम वापस लेने पर महंत रामविलास वेदांती ने सवाल उठाया है कि अगर जस्टिस ललित को कल्याण सिंह के लिए पैरवी के लिए सुनवाई बेंच से हट जाना चाहिए तो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे रंजन गोगोई, जो आज मुख्य न्यायाधीश हैं, को भी इस बेंच से क्यों नहीं हटना चाहिए? यह सिर्फ मामले को लटकाने का बहाना है.
सुप्रीम कोर्ट की यह बेंच अयोध्या जमीन विवाद मामले पर 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेगी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में विवादित अयोध्या जमीन को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों पक्षों में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था.
इसके पहले अक्टूबर में सर्वोच्च न्यायालय अयोध्या में राम मंदिर की यह सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी थी और कहा था कि अब मामले की अगली सुनवाई जनवरी में एक उचित पीठ के समक्ष होगी.