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Saturday, 21 December, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अयोध्या में स्वागत, जानें क्या बोले दोनों तरफ के पक्षकार

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पुलिस ने अयोध्या में सख्ती बढ़ा दी है. पुलिस ने किसी प्रकार के जश्न मनाने पर रोक लगा रखी है. इसके इतर दोनों पक्षों के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्यावासियों के मन में काफी खुशी है. अयोध्या के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है. लोगों ने कहा जिस फैसले का सभी को पिछले 27 सालों से इंतजार था वो आज आ गया है. अब यहां से आगे बढ़कर दूसरे अहम मुद्दे पर सभी का ध्यान होगा.

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पुलिस ने अयोध्या में सख्ती बढ़ा दी है. पुलिस ने किसी प्रकार के जश्न मनाने पर रोक लगा रखी है. इसके इतर दोनों पक्षों के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है.

जहां एक तरफ हिंदू समाज के लोग खुश हैं वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष के लोग भी सहमत दिखाई पड़ रहे हैं. इस फैसले पर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है, ‘मैं अब इस फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं करूंगा. मैंने पूरी तरह से इस फैसले को मान लिया है. मेरी सभी से यही अपील है कि ऐसा कुछ न करें जिससे नफरत फैले. हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए.’

कोर्ट के फैसले के बाद इस विवाद से जुड़े पक्षकार अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा, ‘कोर्ट के फैसले से पुराने विवाद का निपटारा हो गया है जो कि बहुत अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि हम अयोध्या में भव्य मंदिर बनाएंगे.’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन दिए जाने पर महंत गोपाल दास ने कहा, ‘कोर्ट का मस्जिद को अलग से जमीन देने का फैसला एकदम सही है. उन्होंने कहा, अयोध्या के लोग शांति चाहते हैं, सौहार्द के साथ रहते आए हैं और आगे भी रहते आएंगे.’

राम जन्मभूमि मामले में एक और पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. निर्मोही अखाड़ा के महंत धर्मदास ने कहा, ‘विवादित स्थल पर अखाड़े का दावा खारिज होने का उन्हें कोई अफसोस नही है क्योंकि वो भी रामलला का ही पक्ष ले रहे थे.’

फैसले के बाद अयोध्या के लोगों ने एक-दूसरे से मुलाकात की. कई इलाकों में हिंदू-मुस्लिमों ने एक दूसरे से मुलाकात की और एक साथ मिलकर रहने की बात कही.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्य पीठ ने आम सहमति से इस मामले पर फैसला सुनाया है. पांच सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे थे. कोर्ट ने रामलला पक्ष को विवादित जमीन का मालिकाना हक देने का आदेश दिया है. वहीं मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.

रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बनी पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस नज़ीर शामिल थे.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. एएसआई ने यह दावा नहीं किया है कि वहां पहले मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास पर कोई बहस नहीं की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी राजनीतिक दलों और इस मामले से जुड़े लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं.

अयोध्या फैसले से पहले ही उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर लिया गया था. शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से मुलाकात की थी और उन्हें राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी थी.

राज्य में सुरक्षा के मद्देनज़र योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों को सोमवार तक बंद करने के आदेश दे दिए थे.

सुरक्षा के लिहाज से पूरे राज्य में पहले से ही धारा-144 लागू की जा चुकी है.

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