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Wednesday, 6 November, 2024
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औरंगाबाद हिंसा : अब तक की ‘सबसे खतरनाक एफआईआर’, दंगाइयों से बांस के लट्ठ और मोबाइल बरामद

आरोप लगे हैं कि बिहार पुलिस ने ‘बदले की भावना’ से प्रदर्शन खत्म होने के बाद लोगों के घरों में घुसकर मार-पीट की है और घरेलू महिलाओं को ‘दंगे के आरोप में’ जेल ले गई है.

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औरंगाबाद: न केवल उत्तर प्रदेश पुलिस, बल्कि बिहार पुलिस पर भी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए विरोधों के दौरान बर्बरता के गंभीर आरोप लगे हैं. बर्बरता के वीडियो बिहार के औरंगाबाद जिले से आए हैं, जहां पुलिस निजी संपत्ति को बुरी तरह तोड़ती नजर आ रही है, आरोप लगे हैं कि बिहार पुलिस ने ‘बदले की भावना’ से प्रदर्शन खत्म होने के बाद लोगों के घरों में घुसकर मार-पीट की है और घरेलू महिलाओं को ‘दंगे के आरोप में’ जेल ले गई है.

21 दिसंबर को सीएए-एनआरसी के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार बंद बुलाया था. राज्य में जगह-जगह रैलियां निकाली गईं. लेकिन, फुलवारी शरीफ और औरंगाबाद में ये प्रदर्शन हिंसात्मक हो गए, जहां दो गुटों की झड़प ने पथराव का रूप ले लिया. इन जिलों से हाल ही में एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट भी आई है, जो पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाती है.

जिले के राजद नेता युसुफ अंसारी बताते हैं, ‘औरंगाबाद शहर में उस दिन करीब सुबह सवा आठ बजे से लोग रमेश चौक पर इकट्ठा हुए थे. ये प्रोटेस्ट तीन घंटे तक चला था. इसके बाद लोग अपने अपने घरों में लौटने लगे थे. प्रदर्शन खत्म होने की घोषणा कर दी गई थी.’

अंसारी बताते हैं, ‘इससे पहले भी 16 दिसंबर को प्रदर्शन हुआ था, स्थानीय अखबारों के मुताबिक इस प्रदर्शन में 35 से 40 हजार लोग इकट्ठा हुए थे. लेकिन कोई हिंसा नहीं हुई. मगर 21 तारीख को शहर के पांडेय पुस्तकालय के पास भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष अनिल गुप्ता और उनके साथियों ने प्रदर्शन से लौट रहे लड़कों को ‘पाकिस्तान जाओ’ जैसी बातें कहकर ललकारा. उन लड़कों का समूह भी मनचला था. इन दोनों समूहों के बीच झड़प हो गई और बात मारपीट तक पहुंची. पुलिस आई तो पुलिस के किसी सदस्य को संभवतः पत्थर लग गया.

इसके बाद की भयावह तस्वीर खींचते हुए युसूफ अंसारी कहते हैं, इसके आधे-एक घंटे बाद पुलिस भारी संख्या में कुरैशी मुहल्ला, न्यू काजी मुहल्ला, आजादनगर, पठान टोली में वापस लौटी और लोगों को घरों से बाहर निकाल निकालकर मारा. लगभग 85 लोगों के नाम एफआईआर में हैं. पुलिस अभी मानेगी नहीं. लगभग 150 और लोगों को फंसाने की कोशिश में है पुलिस. कुछ समय पहले रामनवमी पर इसी पांडेय चौक पर बवाल हुआ था. उस वक्त भी पुलिस के टारगेट पर मुसलमान समुदाय ही था.’

भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष अनिल गुप्ता बताते हैं कि वो पुलिस की कार्रवाई से खुश हैं. 21 तारीख़ को कुछ लोगों की भीड़ आयी थी और उसी दौरान उनकी व बाक़ी लोगों के बीच हाथापाई हुई थी. वो राजद नेता के बयानों को बेसलेस बताते हैं.

हालांकि, दिप्रिंट से हुई बातचीत में औरंगाबाद के एसपी दीपक बरनवाल इन आरोपों से इनकार करते हैं और कार्रवाई का भरोसा दिलाते हैं. वहीं, पुलिस की लिखी एफआईआर इस घटना का एक अलग चेहरा बताती है.

क्या लिखा है पुलिस एफआईआर में ?

ये एफआईआर 21 तारीख को ही 44 वर्षीय मनोज कुमार के हवाले से लिखी गई है, जो ग्रामीण विकास अभिकरण, औरंगाबाद में सहायक अभियंता के पद पर पदस्थापित हैं. इस एफआईआर में पुलिसिया कार्रवाई और गिरफ्तारी का पूरा ब्यौरा इस प्रकार है-:

सवा बारह बजे धरना समाप्त होने के बाद 200 लोगों से ज्यादा की भीड़ नवाडीह की तरफ से आई. वार्ड पार्षद सिकंदर हयात के ललकारने पर भीड़ ने आसपास की दुकानें तोड़ी और लोगों को मारा. इस भीड़ ने पुलिस के लिए ‘मारों सालों को’ जैसे शब्द इस्तेमाल किए. साथ ही इसमें कुछ महिला उपद्रवियों के शामिल होने की बात लिखी है. एसपी, एसडीपीओ, हवलदार हेंमत कुमार शर्मा, ब्रह्मदेव महतो और कुछ पुलिस वाले इस दौरान घायल हुए. पुलिस मुस्लिम मोहल्लों में सूतली बम जैसे विस्फोटकों के होने की बात भी करती है. पुलिस का दावा है कि कुरैशी मुहल्ले में 7 फीट लंबे और संख्या में 77 बांस के लठ्ठ भी बरामद हुए हैं. भीड़ द्वारा पुलिस पर गोला फेंकने और कट्टे से गोली चलाने के जवाब में पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले और स्टंड ग्रेनेड छोड़ने का जिक्र है.

एफआईआर में लोगों के लिए ‘दंगाई’ शब्द इस्तेमाल किया गया है. बताया गया है कि 22 दंगाइयों से 23 मोबाइल जब्त किए गए हैं. एक दंगाई के मोबाइल में 19 दिसंबर को एक व्हॉटसेप ग्रुप बनाया गया- ‘आवाज दो हम एक हैं’.


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एडमिन रहबर दानिश हैं. पुलिस का दावा है कि इस वॉट्सऐप ग्रुप में पुलिस की कार्रवाई के बारे में जानकारी आदान-प्रदान की जा रही थी, जिससे पुलिस प्रशासन की गोपनीयता भंग हो रही थी.

‘जिस परिवार के 15 लोगों को पुलिस ने उठा लिया’

गिरफ्तार हुई तीन महिलाएं (दो इशरत खातून और हसीना खातून) एक ही परिवार की थीं. कुरैशी मोहल्ले में एक परिवार में शादी के चलते तीनों ही महिलाएं मेहमान के तौर पर आई हुई थीं. इस परिवार के ही रिश्तेदारों समेत15 लोगों को पुलिस ने उठाया है. सभी के नाम एफआईआर में भी दर्ज हैं. परिवार के बुजुर्ग शहाबुद्दीन कुरैशी बताते हैं, ‘मेरे साले के बेटे शौकत कुरैशी का उस दिन लगन था. वकील ने कहा है कि केस मत करो वरना डीएम फंसा देगा. इसलिए हम कुछ बोल ही नहीं रहे हैं. हमारे घर में 15 साल के इमरान को भी पुलिस ने खूब मारा. कुल पांच लोगों के पैर-हाथ टूटे हैं. सारी अलमारियां, बक्से और लगन के लिए बना खाना सब बर्बाद कर दिया. डेढ़ बजे पुलिस घरों में घुसी थी और करीब पौने घंटे बाद निकली थी. हम लोग तो रैली का हिस्सा भी नहीं थे.’

 

‘तुम्हें आजादी चाहिए? हम देते हैं आजादी’

पठानटोली में रह रहीं 20 वर्षीय खुर्शीदा खातून के घर एक किस्म की उदासी पसरी हुई है. खुर्शीदा मगध यूनिवर्सिटी में बीएससी की पढ़ाई कर रही हैं. दिप्रिंट से हुई टेलिफॉनिक बातचीत में वो कहती हैं, ‘करीब दोपहर के एक बजे पुलिस का जत्था हमारे घर के दरवाजे पर आया, वो बंदूक लेकर आए थे. धमकी दे रहे थे कि दरवाजा खोलो, वरना गेट तोड़ देंगे. तुमको आजादी चाहिए, अभी देते हैं. घर में सिर्फ महिलाएं और 80 साल के एक बुजुर्ग मौजूद थे. मर्द बाहर दुकानों पर काम करने गए थे. आखिरकार पुलिस दरवाजा तोड़कर घुस गई. भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए वो हमारी अलमारी और बाकी सारा सामान तोड़ते रहे. मेरी एक बहन ने वीडियो बनाने की कोशिश को तो उसे गंदी गालियां दीं. वो हमारे घर के बुजुर्ग आदमी को भी ले जा रहे थे. हमने दर्ख्वास्त की. अस्सी साल का बूढ़ा आदमी कैसे पत्थर फेंकने जाएगा. उसके बाद अगले दिन अखबारों में खबरें छपीं कि पुलिस वाले घायल हुए. अखबारों में जो हमारे साथ और बाकी मोहल्ले वालों के साथ हुआ उसका कोई जिक्र नहीं था.’

पुलिस अभी ‘आरोपों की व्याख्या’ कर रही है

एसपी दीपक बरनवाल बताते हैं, ‘इस मामले में अब तक 46 लोग गिरफ्तार हुए हैं.’ आगे की जानकारी के लिए वो समय मांगते हैं, लेकिन लगातार दो दिन तक फोन और मैसेजेज के बावजूद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आता है.

एसडीपीओ अनूप सिंह बताते हैं कि इस मामले में आर्म्स एक्ट, आइटी एक्ट और एक्सप्लोसिव एक्ट लगाए गए हैं. अनूप सिंह मामले की ज्यादा जानकारी के लिए कहते हैं कि एसएचओ रवि भूषण ही बता पाएंगे. एसएचओ रवि भूषण दिप्रिंट को बताते हैं, ‘85 पर मुकदमा दर्ज है. इनके पास से 4 देसी बम मिले हैं. लगभग 150 लोगों की तलाश जारी है.’

एफआईआर में ‘फोन जब्त किए गए’ लाइन की महत्ता पूछने पर वो कहते हैं कि इस लाइन की व्याख्या अभी की जा रही है, वो इशरत खातून और हसीना खातून के परिवार के आरोपों को गलत बताते हुए कहते हैं कि हमें कोई शादी का माहौल नजर नहीं आया. साथ ही वो व्हॉटसऐप ग्रुप के भड़काऊ शब्दों पर जोर देते हुए कहते हैं कि उसमें ये लिखा था कि ‘अब समय आ गया है’ व ‘शांत रहने का समय नहीं है’. लेकिन एसएचओ इन लाइनों के आगे-पीछे की लाइनें पूछने पर बताते हैं कि अभी उसकी भी जांच चल रही है, पर ये नहीं बता पाते कि इन वाक्यों के आधार पर किसी को दंगाई कैसे घोषित कर सकते हैं.


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भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष अनिल गुप्ता के इस पूरे मामले में शामिल होने या ना होने के सवाल पर वो साफ कहते हैं कि पुलिस ये सब जानकारी नहीं बताएगी. अनिल गुप्ता का नाम एफआईआर में शामिल नहीं किए जाने के सवाल पर वो फोन काट देते हैं.

इन केसों को देख रहे वकील मोहम्मद मेराज दिप्रिंट को बताते हैं, ‘85 लोगों में से 2 को छोड़कर बाकी सारे मुसलमान हैं. सात लोग पुलिस लाठीचार्ज में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सारे घायल भी मुसलमान ही हैं. उनके इलाज अस्पताल में हो रहे हैं. इसके बाद इन्हें गया की जेल में भेजा जाएगा. नामजद लोगों में कुछ बच्चे भी हैं. किसी का पेपर भी है. घरेलू महिलाएं भी हैं. पुलिस ने अपना बचाव करने के लिए ये धाराएं लगा दी हैं. एक तरह से ये रद्दी एफआईआर है.’

लेकिन, पुलिस के मुताबिक केवल दो लोगों के परिवारों की तरफ से एप्लिकेशन आए हैं कि वो किशोर हैं. जबकि परिवार के मुताबिक एफआईआर में दर्ज एक 28 साल का व्यक्ति एक 16 साल का बच्चा अहमद है.

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