लखनऊ: पिछले महीने अतीक अहमद की हत्या और मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराए जाने से उत्तर प्रदेश के दो गैंगस्टरों से नेता बनने वालों की कहानियों का अंत लग सकता है, लेकिन पुलिस का काम अभी खत्म नहीं हुआ है, दोनों की पत्नियों सहित उनके परिवार के सदस्य फरार हैं.
प्रयागराज के डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि मऊ के बाहुबली मुख्तार अंसारी को 29 अप्रैल को हत्या और अपहरण के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार इन संदिग्ध “वंशों” के शेष परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपनी अथक कार्रवाई जारी रखे हुए है.
2 मई को प्रयागराज पुलिस ने आधिकारिक तौर पर अतीक अहमद की फरार पत्नी शाइस्ता परवीन को “माफिया अपराधी” के रूप में पहचाना. यह जानकारी उमेश पाल हत्याकांड में परवीन को शरण देने के संदेह में एक कथित सहयोगी और दो संदिग्धों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दिखाई दी, जिसमें उसे एक साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है.
इस बीच अंसारी की पत्नी अफशां के सिर पर भी इनाम है और वो भी कई मामलों में नामज़द है.
पुलिस मुख्तार अंसारी के सबसे छोटे बेटे उमर की भी तलाश कर रही है, जो अभी भी फरार है, जबकि अतीक के बड़े बेटों के लिए नियंत्रण कड़ा कर दिया गया है, जो पहले से ही सलाखों के पीछे हैं.
आइए नज़र डालते हैं जेल में बंद ‘माफिया’ परिवार के सदस्यों पर एक नज़र जो वर्तमान में यूपी पुलिस के रडार पर हैं.
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अतीक अहमद ‘वंश’— चार बेटे, ‘माफिया पत्नी’
पूर्व सांसद अतीक और उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन, जो कभी खुद मेयर पद की दावेदार थी, उसके पांच बच्चे रहे — उमर, अली, असद और दो नाबालिग जिनका दिप्रिंट नाम नहीं ले रहा है.
उन्नीस वर्षीय असद — भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य और अतीक के विरोधी उमेश पाल की हत्या का एक संदिग्ध— 13 अप्रैल को एक पुलिस ‘मुठभेड़’ में मारा गया था, इसके ठीक दो दिन बाद, तीन हमलावरों ने पूरे मीडिया के सामने उसके पिता और चाचा को गोली मार दी थी.
इससे कुलमाता परवीन और चार बेटे रह जाते हैं, जिनमें से उमर और अली फिलहाल जेल में हैं और दो नाबालिग हैं.
शाइस्ता परवीन
कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी की बेटी 51-वर्षीय परवीन पर अपने पति की कुछ आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
वह जनवरी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गई और 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद अपने पति की बेगुनाही की मुखर समर्थक थीं. उसने यहां तक आरोप लगाया कि हत्या प्रयागराज के मेयर पद के लिए उसकी संभावित उम्मीदवारी को खत्म करने की साजिश थी.
हालांकि, बाद में पाल की पत्नी की शिकायत के बाद हत्या के सिलसिले में उस पर मामला दर्ज किया गया और वे अंडरग्राऊंड हो गई, जबकि कथित रूप से दो कथित शूटरों के साथ उसकी तस्वीरें वायरल हो गईं.
दिप्रिंट को मिले यूपी पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, परवीन उमेश पाल की हत्या समेत कुल तीन मामलों में नामज़द है.
अप्रैल में पुलिस ने पहले ही परवीन को पकड़ने वाली सूचना के लिए इनाम को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया था.
2 मई को प्रयागराज पुलिस ने अतीक के कथित सहयोगियों में से एक के बेटे के खिलाफ धूमनगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर में आधिकारिक रूप से परवीन को “माफिया अपराधी” के रूप में नामित किया.
विचाराधीन एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-216 के तहत दर्ज की गई थी, जो एक फरार अपराधी या किसी ऐसे व्यक्ति को शरण देने से संबंधित है, जिसके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया हो.
इसमें कहा गया है कि अतीक के सहयोगी जफरुल्ला का बेटा अतिन जाफर परवीन और अन्य उमेश पाल मामले के संदिग्धों को पुलिस से छुपाने में मदद कर रहा था.
जफरुल्ला खुद इस समय अतीक के बड़े बेटे उमर अहमद के साथ लखनऊ जेल में बंद है.
दिप्रिंट के पास मौजूद एफआईआर की एक कॉपी में लिखा है, “अतीन जफर ज्यादातर लखनऊ के यूनिवर्सल क्रीसेंट बिल्डिंग में अतीक के फ्लैट में रहता था, लेकिन उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस की सख्ती बढ़ने के बाद प्रयागराज आ गया. जफर माफिया अपराधी शाइस्ता परवीन और उसके शूटरों को छिपने के लिए आश्रय प्रदान करके उनकी मदद कर रहा था.”
इसके अलावा, एफआईआर में कहा गया है कि शाइस्ता और साबिर, उमेश पाल मामले में तीन भगोड़े हमलावरों में से एक ने गुड्डू मुस्लिम और अरमान बिहारी के साथ खुल्दाबाद क्षेत्र में जफर के आवास पर शरण मांगी थी. इसमें कहा गया है कि शुरू में उनका इरादा अतीक और अशरफ के जनाज़े में शामिल होने का था, लेकिन गिरफ्तार होने के डर से सभी ने योजना बदल दी.
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उमर और अली अहमद
अतीक अहमद और शाइस्ता परवीन के सबसे बड़े बेटे उमर 2018 में मोहित जायसवाल नामक एक व्यवसायी के कथित अपहरण और प्रताड़ना के मामले में पिछले साल अगस्त से लखनऊ की जेल में बंद हैं.
पिछले महीने मामले में तय किए गए आरोपों के अनुसार, जायसवाल को अतीक के सहयोगियों द्वारा कथित रूप से अगवा कर लिया गया था और देवरिया जेल ले जाया गया था, जहां गैंगस्टर और अन्य लोगों ने उसके साथ मारपीट की और उसे एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया, ताकि वे उसकी 45 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़प सकें.
अतीक के दूसरे बेटे, अली अहमद प्रयागराज में नैनी सेंट्रल जेल में 2021 में उसके खिलाफ एक संपत्ति डीलर को कथित रूप से जबरन वसूली और धमकी देने के आरोप में दर्ज एक एफआईआर के सिलसिले में बंद है.
कुछ महीनों तक फरार रहने के बाद अली ने जुलाई 2022 में एक अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
नैनी जेल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि अली अहमद से मिलने वालों नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं. अन्य कैदियों के विपरीत अली से मिलने की इच्छा रखने वालों को अनुमति दिए जाने से पहले प्रयागराज पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) द्वारा सत्यापन से गुज़रना होगा.
अधिकारी ने बताया, “जेल मैनुअल के दिशानिर्देशों के अनुसार आगंतुकों को उनसे मिलने की अनुमति है, लेकिन वे पहले एलआईयू द्वारा सत्यापन से गुजरेंगे.”
विशेष रूप से अतीक के मृतक तीसरे बेटे असद का उमेश पाल हत्याकांड तक कोई आपराधिक इतिहास नहीं था, जिसमें उसे एक शूटर के रूप में नामित किया गया था. पुलिस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को पहले बताया था, असद, जो कभी कथित तौर पर विदेश में पढ़ाई करने का सपना देखता था, ने शायद “एड्रेनालाईन रश” में अपनी बंदूक निकाल दी थी.
अतीक के दो सबसे छोटे बेटे प्रयागराज के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक में कक्षा 9 और 11 में पढ़ते थे. हालांकि, उमेश पाल हत्याकांड के बाद उनकी ज़िंदगी ने करवट ले ली है.
24 फरवरी को हत्या के दिन, दोनों किशोरों को पुलिस ने पकड़ लिया और प्रयागराज के राजरूपपुर में एक बाल संरक्षण गृह में रखा, उन्हें किसी भी आपराधिक मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है.
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मुख्तार अंसारी का कुनबा— एक जेल में, दो फरार
दिप्रिंट के पास मौजूद पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, पूर्वी यूपी के मऊ सदर से पांच बार विधायक रह चुके मुख्तार अंसारी अंतर्राज्यीय गैंग नंबर 191 और गाजीपुर के मुहम्मदाबाद पुलिस थाने के हिस्ट्रीशीटर 16-बी का सरगना है.
अंसारी के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, दिल्ली, लखनऊ, मऊ, बाराबंकी, आजमगढ़, आगरा, चंदौली और पंजाब के अलग-अलग थानों में कुल 61 मामले दर्ज हैं.
पिछले महीने गाजीपुर में एक एमपी/एमएलए अदालत ने उसे 2007 के गैंगस्टर्स एक्ट के मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. यह मामला 2005 में भाजपा नेता कृष्णानंद राय की हत्या के दो साल बाद 2007 में दर्ज किया गया था, जबकि अंसारी को चार साल पहले बरी कर दिया गया था.
हालांकि, पुलिस की नज़र अंसारी की फरार पत्नी अफशां और छोटे बेटे उमर पर भी है. दंपति का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी जो मऊ सदर निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक है, वर्तमान में पत्नी के साथ जेल में बंद है.
अफशां अंसारी
पिछले महीने यूपी पुलिस द्वारा भगोड़ा घोषित की गई अफशां अंसारी के खिलाफ मऊ और गाजीपुर के थानों में कुल 11 मामले दर्ज हैं.
इन मामलों में चोरी, जालसाजी, धोखाधड़ी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, आपराधिक धमकी और गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज आरोप शामिल हैं.
अफशां अंसारी को पकड़ने की कोशिश में यूपी पुलिस ने पिछले महीने इनाम की राशि को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था.
इसके अलावा, मऊ पुलिस ने पिछले महीने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और इमिग्रेशन डिपार्टमेंट को अफशां के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने के लिए अनुरोध भेजा था क्योंकि उन्हें कथित तौर पर संदेह था कि वो देश छोड़कर भागने की कोशिश कर सकती है.
अफशां ने पिछले साल इलाहाबाद हाई कोर्ट से अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगवा दी थी, लेकिन कथित तौर पर वह पुलिस द्वारा उन्हें जारी किए गए नोटिसों का पालन करने में विफल रही, जिसमें लंबित जांच के लिए उनकी उपस्थिति का अनुरोध किया गया था.
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अब्बास अंसारी और पत्नी निखत बानो
अब्बास अंसारी के खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर, मऊ और चित्रकूट में स्थित विभिन्न पुलिस थानों में धोखाधड़ी और जालसाजी से लेकर आपराधिक धमकी और जबरन वसूली की धमकी के कुल आठ मामले दर्ज हैं.
पिछले साल के विधानसभा चुनावों के दौरान, अब्बास अंसारी ने मऊ सदर निर्वाचन क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और सीट जीती.
हालांकि, पिछले साल 3 मार्च को एक अभियान रैली के दौरान सरकारी अधिकारियों के बारे में कथित विवादित टिप्पणी करने पर वह मुश्किल में पड़ गया.
इसके चलते उनके खिलाफ मऊ के कोतवाली थाने में आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 186 (स्वेच्छा से एक लोक सेवक को उनके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा), 189 (एक लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी), 153 ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 171 एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण), और 120 (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
इस मामले में अब्बास फिलहाल कासगंज जेल में बंद है.
इस बीच, अब्बास की पत्नी निखत बानो भी इस फरवरी में कानूनी पचड़े में पड़ गईं, जब उन्हें चित्रकूट जेल में अपने पति से अवैध रूप से मिलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्हें कासगंज शिफ्ट कर दिया गया था.
कथित तौर पर दोनों की बैठकें जेल अधीक्षक के कार्यालय से सटे एक कमरे में आयोजित की गईं और जेल रिकॉर्ड से हटा दी गईं.
बानो पर 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूतों को मिटाना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उसकी गिरफ्तारी ने जेल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया, जिससे कथित लापरवाही के लिए जेल अधीक्षक सहित आठ जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया.
इस मामले में अब्बास, निखत के ड्राइवर नियाज, जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर, उप जेल अधीक्षक सुशील कुमार, कांस्टेबल जगमोहन और ड्यूटी पर मौजूद अन्य जेल कर्मचारियों पर मामला दर्ज किया गया था. निखत फिलहाल चित्रकूट जेल में बंद है.
उमर अंसारी
दिप्रिंट के पास मौजूद पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, मुख्तार अंसारी के सबसे छोटे बेटे उमर के खिलाफ गाजीपुर और मऊ के थानों में धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य अपराधों के कुल छह मामले दर्ज हैं.
पिछले महीने के अंत में मऊ के एक एमपी/एमएलए कोर्ट ने उमर अंसारी के खिलाफ उनके भाई अब्बास के समान प्रचार भाषण मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया था.
मऊ अंचल अधिकारी (नगर) धनंजय मिश्रा ने मीडियाकर्मियों को बताया कि छापेमारी की जा रही है.
अधिकारी ने कहा,“उमर को गिरफ्तार करने के लिए टीमों का गठन किया गया है. हम उसकी तलाश करेंगे जहां भी वह संभवत: मिलेगा और अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.”
उमर अभी फरार है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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