नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की मौत और इससे पहले की घटनाओं के संबंध में उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा.
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि अतीक और अशरफ को ले जा रहे वाहन को सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया और उनकी परेड क्यों कराई गई. जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यूपी सरकार से एक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले को तीन सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
अदालत ने स्पष्ट किया कि यूपी सरकार अपने हलफनामे में सभी उठाए गए कदमों का भी उल्लेख करेगी और अतीक और उसके भाई की हत्या से ठीक पहले की घटना के संबंध में उठाए गए कदमों का खुलासा करेगी.
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने झांसी में पुलिस के साथ हुई उस मुठभेड़ के संबंध में भी उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी जिसमें अतीक अहमद का बेटा असद मारा गया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटी) के दल ने असद को 13 अप्रैल को एक मुठभेड़ में मार गिराया था.
इसके दो दिन बाद अतीक अहमद तथा अशरफ की मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी. यह हत्या उस वक्त की गयी थी जब दोनों को पुलिस की सुरक्षा में स्वास्थ्य जांच के लिए प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था.
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं जिसमें 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 पुलिस मुठभेड़ों की जांच करने का अनुरोध किया गया है.
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