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Tuesday, 12 August, 2025
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ASI जारी करेगा विवादित कीलाड़ी खुदाई रिपोर्ट, साथ में होंगे ‘विशेषज्ञों के सवाल’

एएसआई की वेबसाइट पर पुरातत्वविद रामकृष्ण की रिपोर्ट डालने का फैसला तब आया जब मामला केंद्र बनाम तमिलनाडु बन गया. एएसआई बदलाव चाहता था, स्टालिन बोले—केंद्र तमिल विरासत को कमज़ोर कर रहा है.

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नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) तमिलनाडु के कीलाड़ी खुदाई स्थल पर पुरातत्वविद अमरनाथ रामकृष्ण की विवादित रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर जारी करने की तैयारी कर रहा है. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.

जनवरी 2023 में सौंपे गए 982 पन्नों की इस रिपोर्ट पर काफी विवाद हुआ था. एएसआई ने इसमें “जोड़ और सुधार” करने को कहा था, लेकिन पुरातत्वविद ने इनकार कर दिया. मामला संसद तक पहुंचा, जहां तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र पर तमिल विरासत की अहमियत घटाने का आरोप लगाया.

एएसआई की संयुक्त महानिदेशक (स्मारक) और प्रवक्ता नंदिनी भट्टाचार्य साहू ने दिप्रिंट को बताया, “हम अमरनाथ रामकृष्ण की रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर डालने की योजना बना रहे हैं. यह सॉफ्ट कॉपी में होगी और अंत में विषय विशेषज्ञों के सवाल भी शामिल होंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि यह रिपोर्ट का अंतिम संस्करण नहीं होगा.

प्रवक्ता ने आगे कहा, “हम इसे प्रकाशित करना चाहते हैं. एएसआई में कोई भी इस रिपोर्ट को रोकना नहीं चाहता, क्योंकि इसमें बहुत मेहनत लगी है, लेकिन एएसआई में रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले एक तय प्रक्रिया का पालन ज़रूरी है.”

रामकृष्ण की रिपोर्ट में कीलाड़ी को तीन कालखंडों में बांटा गया है— प्रारंभिक-पूर्व ऐतिहासिक (ईसा पूर्व 8वीं सदी से ईसा पूर्व 5वीं सदी), परिपक्व प्रारंभिक ऐतिहासिक (ईसा पूर्व 5वीं सदी से ईसा पूर्व 1वीं सदी), उत्तर प्रारंभिक ऐतिहासिक (ईसा पूर्व 1वीं सदी से ईस्वी 3वीं सदी), लेकिन संसद में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार इन तीनों कालखंडों के नाम बदलने की ज़रूरत है और पहले कालखंड के लिए दिया गया ईसा पूर्व 8वीं से 5वीं सदी का समय बिल्कुल उचित नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कुछ जानकारियां अधूरी हैं—जैसे गांव का नक्शा जिसे फिर से बनाना होगा, ऊंचाई-निचाई का नक्शा और कुछ चित्रलिपियों की तस्वीरें. मदुरै के पास स्थित कीलाड़ी में खुदाई के दौरान कई अहम पुरातात्विक खोजें हुई हैं—जैसे 8वीं सदी ईसा पूर्व का सुव्यवस्थित शहरी बस्ती का सबूत, जो पहले के अनुमान से भी पुराना हो सकता है. यहां से तमिल ब्राह्मी लिपि वाले मिट्टी के बर्तन, साक्षर समाज और नगरीय योजना के प्रमाण मिले हैं.

राजनीतिक दखल के आरोप

मई में, तमिलनाडु सरकार के राजनीतिक दखल और तमिल विरासत को दबाने के आरोपों पर जवाब देते हुए एएसआई ने कहा— “एएसआई नियमित रूप से उन स्थलों की रिपोर्ट प्रकाशित करता है जिनकी खुदाई महानिदेशक, एएसआई के अधीन होती है. इस पहलू पर विशेष जोर दिया जाता है, क्योंकि हर खुदाई में काफी समय, ऊर्जा और धन खर्च होता है और अगर रिपोर्ट प्रकाशित न हो तो खुदाई का मूल उद्देश्य अधूरा रह जाता है.”

एएसआई के अनुसार, प्रक्रिया के तहत कीलाड़ी रिपोर्ट को विशेषज्ञों के पास जांच के लिए भेजा गया. विशेषज्ञों की राय रामकृष्ण को बताई गई, लेकिन उन्होंने कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया.

जून में, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि रिपोर्ट को आधिकारिक मान्यता देने से पहले इसमें और वैज्ञानिक प्रमाण की ज़रूरत है. 21 जुलाई को मोदी सरकार ने संसद में कहा कि कीलाड़ी की खुदाई से जुड़े सटीक निष्कर्ष जारी करने के लिए एएसआई पूरी तरह कानून और वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.

7 अगस्त को अभिनेता और राज्यसभा सांसद कमल हासन ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और कीलाड़ी की प्राचीनता की मान्यता जल्दी देने की अपील की.

कमल हासन ने एक्स पर पोस्ट किया, “तमिलनाडु के लोगों के प्रतिनिधि और एक कलाकार के तौर पर मैंने उनसे कुछ अनुरोध रखे, जिनमें सबसे अहम कीलाड़ी की प्राचीनता की मान्यता को तेज़ी से पूरा करने की मांग थी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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