मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रशमी ठाकरे शिवसेना के मुखपत्र सामना की नई संपादक होंगी. वो ठाकरे खानदान की पहली बहू होंगी जो पार्टी के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही हैं.
रविवार को हुई घोषणा में रशमी उद्धव की जगह लेने वाली हैं. इससे पहले उद्धव ने बाल ठाकरे की जगह ली थी जो शिवसेना और मुखपत्र सामना के संस्थापक थे.
मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे संपादक के पद से हट गए थे लेकिन वो पार्टी प्रमुख बने हुए हैं.
यह कदम आधिकारिक तौर पर यह संकेत देता है कि शिवसेना में रशमी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं. सूत्रों के अनुसार वो शिवसेना की महिला मोर्चा का नेतृत्व करेंगी. अभी तक 58 वर्षीय रशमी पार्टी के मामले से दूर थीं.
सेना में माहौल
उद्धव को शिवसेना प्रमुख की जिम्मेदारी मिलने के बाद से वो पर्दे के पीछे रह कर काम कर रही थी. सूत्रों का कहना है कि ये उनकी ही कोशिश थी कि उनके बेटे आदित्य ठाकरे पार्टी के मामले में आगे आए हैं. उन्हें महाराष्ट्र कैबिनेट में महत्वपूर्ण भूमिका भी दी गई है वो भी पुराने शिवसैनिकों को नजरअंदाज कर.
सामना की संपादक के नाते वो भी अब प्रत्यक्ष भूमिका में होंगी जो हाई प्रोफाइल एक्जिक्यूटिव एडिटर और राज्य सभा सांसद संजय राउत के साथ मिलकर काम करेंगी.
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही राउत पार्टी के एक बड़े चेहरे के तौर पर सामने आए हैं. भाजपा और शिवसेना के बीच लंबे समय तक सत्ता के लिए खींचतान चली थी.
मराठी पत्रकार एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच सरकार बनाने के अहम सूत्रधार थे.
जब से उन्होंने सामना में काम करना शुरू किया है तब से वो अकेले ही मुखपत्र के संपादकीय के चेहरा हैं. वो रोज संपादकीय लिखते हैं और ठाकरे से मिलते हैं. राउत शिवसैनिकों के लिए और मीडिया के लिए पार्टी का चेहरा हैं.
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक रशमी को राउत के साथ सामंजस्य बिठाने वाले के तौर पर नहीं जाना जाता है.
सूत्र ने कहा कि उन्हें लगता है कि चुनावी राजनीति का हिस्सा होना पार्टी की बागडोर संभालने के लिए महत्वपूर्ण है.
शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर रशमी और राउत के बीच तालमेल खराब हुए तो उससे पार्टी में बांट हो सकती है.
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘रश्मि को अपने विश्वासपात्र मिलिंद नरवेकर का साथ मिलेगा, जो अब सामाना के दैनिक कामकाज में शामिल होंगे. ताई और संजय राउत के बीच निश्चित रूप से परेशानी होगी.’
नेता ने कहा, ‘यह ज्ञात नहीं है कि यह नई व्यवस्था संजय की सहमति से है या नहीं. उद्धवजी ने कभी सामाना में रुचि नहीं ली. इसलिए संजय पूरी तरह से स्वतंत्र थे. लेकिन अब रश्मी नेतृत्व करेंगी.’
राजनीति में प्रवेश?
एक बेहद निजी व्यक्ति, रश्मि अब तक केवल गैर-राजनीतिक रही हैं.
हालांकि, चाहे वह पार्टी के मामलों का प्रबंधन कर रही हो, चुनाव या परिवार को चला रही हो, चीजें कैसे की जाती हैं इस रूप में रश्मि ठाकरे को जाना जाता है.
राजनीतिक विश्लेषक प्रताप अस्बे ने कहा कि रश्मि ठाकरे के लिए सक्रिय राजनीति में यह पहला कदम है.
दिप्रिंट से बात करते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद भरतकुमार राउत ने कहा, ‘रश्मि की बहुत शक्तिशाली भूमिका होगी लेकिन उसके चरित्र के अनुसार, वह सिर्फ नाम के लिए कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी. वह गूंगी गुड़िया (मूक गुड़िया) नहीं होगी.’
वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार प्रकाश अकोलकर ने कहा, ‘यह बिल्कुल गलत निर्णय है. पत्रकारिता में बिल्कुल अनुभव न रखने वाली महिला को एक अखबार का प्रमुख बनाया गया है. यह पार्टी के मुखपत्र पर पकड़ बनाने के लिए एक पारिवारिक व्यवस्था है जो अब पारिवारिक मुखपत्र बन गई है.’
शिवसेना पर ‘जय महाराष्ट्र’ पुस्तक लिखने वाले अकोलकर ने बताया कि बाल ठाकरे मीडिया से जुड़े थे. ‘वह एक कार्टूनिस्ट और एक लेखक थे. रश्मि ठाकरे का मीडिया से कोई संबंध नहीं है. वह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति है जो इसे आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में उपयोग कर रही है.’
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