नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने पहले के आदेशों को दोहराते हुए ग्रीन क्रैकर्स में अनुमोदित फॉर्मूलेशन के साथ बेरियम के उपयोग की अनुमति देने के लिए पटाखा निर्माताओं द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया.
जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने पटाखा निर्माताओं द्वारा ज्वाइंड क्रैकर्स या लड़ियों जैसे जुड़े हुए पटाखों का उपयोग करने के लिए दायर याचिका को भी खारिज कर दिया. इसने कहा कि वह “फिलहाल” आवेदनों को अस्वीकार कर रहा है.
अदालत वर्तमान में एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जो मूल रूप से तीन शिशुओं – अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव भसीन – द्वारा 2015 में अपने कानूनी अभिभावकों के माध्यम से दायर की गई थी. मामले में दो याचिकाकर्ता छह महीने पुराने थे और एक 14 महीने पुराना था.
गौरतलब है कि दीवाली 10 से 14 नवंबर तक मनाई जाएगी.
मूल याचिका में दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण पर प्रकाश डाला गया था, जिसमें कहा गया था कि खराब वायु गुणवत्ता हर किसी को प्रभावित करती है, बच्चे वायु प्रदूषकों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. उन्होंने कहा कि इससे अस्थमा, खांसी, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि संज्ञानात्मक हानि यानी कॉगनिटिव इंपेयरमेंट भी हो सकती है.
शुक्रवार का घटनाक्रम एक सप्ताह से अधिक समय बाद सामने आया है जब अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद मनोज तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में लगाए गए पूर्ण पटाखा प्रतिबंध में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
ग्रीन पटाखों पर समय की पाबंदी – अदालत ने अब तक क्या कहा है
वर्षों से इस मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार और नागरिकों के कर्तव्य के बारे में बात की है – संविधान का अनुच्छेद 48 ए और 51 ए (जी).
अक्टूबर 2018 में कोर्ट ने याचिका पर ऐतिहासिक आदेश जारी किया. इसने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया, बल्कि उन्हें फोड़ने पर कई शर्तें लगा दीं. उदाहरण के लिए, इसमें कहा गया कि केवल ग्रीन पटाखों का निर्माण और बिक्री की जानी चाहिए.
इसमें कहा गया है कि दीवाली या गुरुपर्व जैसे अन्य त्योहारों पर, जब आम तौर पर पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है, तो इसे पूरे भारत में रात 8 बजे से 10 बजे के बीच सख्ती से किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर पटाखों का इस्तेमाल केवल रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक ही किया जा सकता है. लेकिन बाद में इसने दक्षिणी राज्यों को दो घंटे के विंडो पीरियड में, सुबह पटाखे फोड़ने की अनुमति दे दी.
अक्टूबर 2018 के आदेश में पटाखों के निर्माण में बेरियम नाइट्रेट सहित रसायनों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसी आदेश से, अदालत ने संयुक्त पटाखों (श्रृंखला पटाखे या लड़ियों) के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया, यह कहते हुए कि यह “प्रदूषित वायु, शोर और ठोस अपशिष्ट समस्याओं” का कारण बनता है.
अदालत ने कहा था, “प्रमुख भारतीय शहर सख्त समय प्रतिबंध के साथ सामुदायिक फायर-क्रैकिंग का विकल्प तलाश सकते हैं, जैसा कि कुछ देशों में अपनाया गया है. जिन अन्य प्रतिबंधों पर विचार किया जा सकता है उनमें शामिल हैं – पटाखे फोड़ने की अनुमति केवल संबंधित राज्य सरकारों द्वारा पूर्व-चिह्नित और पूर्व-निर्धारित क्षेत्रों में ही दी जा सकती है,”
तब से अदालत हरित पटाखों के निर्माण और तैनाती के लिए प्रस्तुत योजनाओं की निगरानी करते हुए इसी तरह के कई आदेश जारी कर रही है.
अक्टूबर 2021 में, अदालत ने कहा कि अदालत के विभिन्न निर्देशों के बावजूद, प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग जारी है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और केवल कुछ आतिशबाजी – उदाहरण के लिए बेरियम साल्ट युक्त – पर प्रतिबंध है.
इसने प्रतिबंध को सख्ती से लागू नहीं करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भी खिंचाई की और उन्हें चेतावनी दी कि यदि किसी भी प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी. उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/प्रिंट मीडिया/स्थानीय केबल सेवाओं के माध्यम से प्रतिबंध का व्यापक प्रचार करने के लिए भी कहा गया था.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः मुख्य न्यायाधीश ने बताया ‘ऐतिहासिक दिन’, मामलों को ट्रैक करने वाले डेटा ग्रिड के अंतर्गत आया SC