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Friday, 22 November, 2024
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पराली को ठीक से निपटाने पर हो सकता है किसानों का फायदा : विशेषज्ञ

पंजाब और हरियाणा में जलाए जाने वाले पराली से पिछले कुछ सालों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अक्टूबर और नवंबर में बढ़ता रहा है.

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नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और हरियाणा में जलाए जाने वाली पराली को ठीक से निपटान को लेकर चर्चा की. उन्होंने इसके लिए विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों, उद्यमियों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ पिछले दो दिनों में कई बैठकें की हैं. बैठकों में विशेषज्ञों ने पराली को व्यावहारिक रूप से निपटाने की तकनीक बताई. इस दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि पराली के निस्तारण से किसानों का आर्थिक लाभ भी हो सकता है.

पंजाब और हरियाणा में जलाए जाने वाले पराली से पिछले कुछ सालों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अक्टूबर और नवंबर में बढ़ता रहा है. इस समस्या की पहचान कुछ साल पहले हो गई थी लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकला. इस कारण हर साल लाखों एकड़ खेतों में आग लगा दी जाती है.

बैठकों के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया, ‘मैंने विशेषज्ञों के साथ आज कई बैठकें कीं. पराली को सीएनजी में बदलना तकनीकी रूप से और व्यावसायिक रूप से संभव है. यह किसानों को रोजगार, ज़्यादा आय देने के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या का भी समाधान करेगा. हालांकि, इसके लिए सभी सरकारों को एक साथ आने और इस पर काम करने की आवश्यकता है.’

सीएम और विशेषज्ञों की आपसी चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि न केवल आर्थिक रूप से बल्कि व्यावहारिक रूप से भी पराली का निपटान पारिस्थितिकी अनुकूल साधन है. इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की भी संभावना है. सभी राज्य सरकारों और केंद्र को उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए कि अगले साल इस तरह की पर्यावरणीय आपदा दोहराई न जाए.

इस साल हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब होने के कारण मुख्यमंत्री ने कई क्षेत्र के लोगों को पराली को निपटाने के लिए संभावित समाधानों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था. विशेषज्ञों ने बताया कि पराली को जलाने पर रोक लगाने का एकमात्र तरीका धान के भूसे को व्यावसायिक रूप से निपटाने की प्रक्रियाएं विकसित करना है.

एक उद्यमी ने कहा पराली को पर्यावरण के अनुकूल निपटाना किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी बनाया जाना चाहिए, उन्हें पराली जलाने का उपयोग करने के लिए तभी प्रोत्साहित किया जा सकता है. ऐसा करने के लिए सरकर की ओर से उन उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए, जो ऊर्जा पैदा करने के लिए पराली का उपयोग कर सकते हैं.

पिछले दो दिनों में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कच्चे माल के रूप में धान के पुआल का उपयोग करके कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का उत्पादन करने वाले उद्यमियों से मुलाकात की. इक्विटी इन्फ्यूजन या कैपिटल सपोर्ट के साथ बड़े पैमाने पर पराली का उपयोग करके गैस के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक व्यावहारिक आर्थिक मॉडल मौजूद है. इस तरह के समाधान से पूरे सालभर की पराली की मांग बनी रहेगी क्योंकि सीएनजी हर क्षेत्र में एक आवश्यक ईंधन है.

विशेषज्ञों और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच हुई चर्चा में यह निकल कर आया कि पराली या कृषि अपशिष्टों को जैव ईंधन में बदला जा सकता है. अपने उच्च कैलोरी मान और स्थायित्व के साथ यह एक प्रभावी आर्थिक मॉडल भी हो सकता है. उपरोक्त दोनों समाधान परीक्षण पर निर्भर हैं जिससे उद्यमियों को आमदनी भी होगी.

तीसरे मॉडल में फ़ाइल फ़ोल्डर से लेकर पेपर प्लेटों तक के विभिन्न घरेलू और स्टेशनरी आइटमों के उत्पादन के लिए पेपर पल्प में पराली को शामिल किया जा सकता है. ऐसे सभी उत्पादों का एक मौजूदा बाजार है और आसानी से बायोडिग्रेडेबल भी है.

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