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Thursday, 21 November, 2024
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गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी अली बाबर ने कहा- ‘मां के इलाज के पैसों के लिए लश्कर में हुआ शामिल’

अली बाबर उन 6 आतंकियों में से एक था जो कि 18 सितंबर को भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय सेना द्वारा देखे जाने पर चार भाग गए, क्रॉस फायरिंग में एक की जान चली गई और अली बाबर ने समर्पण कर दिया.

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नई दिल्ली: एक कथित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी अली बाबर पतरा ने, जिसे 18 सितंबर को पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ करते हुए गिरफ्तार किया गया, कथित रूप से भारतीय अधिकारियों को बताया है, कि वो ‘आतंकी संगठन में शामिल होने का इच्छुक नहीं था, और उसने सिर्फ अपनी मां के इलाज का ख़र्च उठाने के लिए ये क़दम उठाया’. ये दावा सुरक्षा एजेंसी के एक सूत्र ने किया है.

सूत्र के अनुसार, 18 वर्षीय पतरा ने दावा किया है कि 2019 में पाकिस्तान के मरकज़-ए-ख़ैबर, गढ़ी हबीबुल्लाह स्थित एलईटी रंगरूटों के कैंप में 21 दिन तक ट्रेनिंग लेने के बाद भी, वो ‘10 दिन का ब्रेक’ लेकर पंजाब के ओकारा में अपनी मां से मिलने, घर वापस चला गया था और वापस नहीं लौटा था.

सूत्र का कहना है कि पैसा कमाने के लिए उसने छोटे-मोटे काम किए, लेकिन 2021 में उसे अपने हैण्डलर्स से फिर संपर्क करना पड़ा, जब उसे अपनी मां के इलाज के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ी.

मंगलवार को जारी एक बयान में सेना ने कहा, कि पतरा उन छह एलईटी आतंकियों में से है, जिन्होंने 18 सितंबर को पाकिस्तानी चौकी जबरी के जनरल एरिया से, भारत में घुसपैठ की कोशिश की थी.

उनमें से चार- तैयब, अबु बाकर सलफी, अबु ख़िताब और उस्मान, जिनकी पतरा ने कथित रूप से पूछताछ के दौरान शिनाख़्त की- (भारतीय सेना द्वारा देख लिए जाने पर) ‘घने झाड़-झंखाड़ का फायदा उठाकर’ नियंत्रण रेखा (एलओसी) से वापस पाकिस्तान की ओर भाग गए. छह में से एक- जिसकी पहचान बाद में क़ारी अनस के रूप में हुई- मार गिराया गया, और पतरा ने सरेंडर कर दिया.

सूत्र के अनुसार, पूछताछ के दौरान पतरा ने सुरक्षा एजेंसी अधिकारियों को बताया कि ‘2019 में अपनी ट्रेनिंग के बाद, वो छुट्टी लेकर चला गया था और वापस नहीं आया था, क्योंकि उसे एलईटी के जिहाद नैरेटिव पर बहुत यक़ीन नहीं था, और वो उनकी हरकतों में शामिल नहीं होना चाहता था. लेकिन, अपनी ख़राब आर्थिक स्थिति और मां की बीमारी को देखते हुए, उसने अपने हैण्डलर से फिर संपर्क किया, जिसने पतरा से कहा कि अगर उसे अपनी मां के इलाज के लिए पैसे चाहिए, तो उसे पहले एक रिफ्रेशर कोर्स करना होगा, और उसके बाद भारत में एक कार्रवाई के लिए जाना होगा, जिस पर वो फौरन तैयार हो गया’.

सूत्र ने बताया कि लगभग दो वर्षों के अंतराल के बाद, जब उसके हैण्डलर ने उससे कहा कि ‘एक महीने की कार्रवाई’ के लिए उसे भारत जाना होगा, तो पतरा अप्रैल 2021 में एक ‘रिफ्रेशर कोर्स’ के लिए चला गया.

सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि पूछताछ के दौरान, कथित आतंकी के बयान के अनुसार, एलईटी ने उससे कहा था कि एक महीने की कार्रवाई के तहत, उसे बारामूला पहुंचकर हथियार और गोलाबारूद की खेप पहुंचानी होगी, और कुछ लोगों से मुलाक़ात करनी होगी, जिसके बाद उसे सुरक्षित पाकिस्तान वापस ले आया जाएगा.

सूत्र ने दावा किया, ‘पतरा इस ऑपरेशन के लिए राज़ी हो गया, क्योंकि उसे कहा गया था कि एक महीने के अंदर उसे वापस बुला लिया जाएगा, और इस दौरान उसकी मां की देखभाल की जाएगी’.


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‘50,000 रुपए के लिए आतंकियों में शामिल हो गया’

अपनी पूछताछ के दौरान, कथित रूप से पतरा ने सुरक्षा एजेंसी अधिकारियों के बताया, कि उसके पिता 2014 में गुज़र गए थे जब वो बहुत छोटा था, और परिवार की ख़राब आर्थिक स्थिति की वजह से, उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी.

फिर उसने सियालकोट में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया, जहां उसकी मुलाक़ात अनस से हुई, जो पतरा के अनुसार कथित रूप से आईएसआई के लिए काम करता था, और उसके लिए लोगों को भर्ती करता था.

सूत्र ने कहा, ‘अनस ने उसे 20,000 रुपए दिए, और 30,000 रुपए और देने का वादा किया जो बाद में मिलना था. फिर उसने पतरा का संपर्क आईएसआई से कराया, और उन्होंने पतरा को पाकिस्तानी सेना के संपर्क में कर दिया. इसके बाद उसे ट्रेनिंग के लिए कैम्प ख़ैबर डेलीहबीबुल्लाह ले जाया गया’.

‘उसे (पतरा को) गुमराह किया गया और ग़रीबी की वजह से, लालच देकर एलईटी में शामिल कर लिया गया. उसके परिवार की मुश्किल से गुज़र-बसर होती थी. ग़रीबी से बचने के लिए उसने स्कूल छोड़ दिया, और छोटे-मोटे काम करने लगा. लेकिन, वो पैसा उसका घर चलाने के लिए काफी नहीं था, ख़ासकर एक बीमार मां के साथ, और इसी वजह से वो अनस के साथ काम करने को राज़ी हो गया’.

AK 47 को जोड़ने की ट्रेनिंग, एक महीने की योजना

पूछताछ के दौरान पतरा ने कथित रूप से बताया है, कि आतंकियों में शामिल होने के बाद, उसने 2019 में गढ़ी हबीबुल्लाह कैम्प (केपीके) में तीन हफ्ते की शुरूआती ट्रेनिंग हासिल की. सूत्र का दावा था कि शारीरिक तथा हथियारों की ट्रेनिंग देने के लिए तैनात ज़्यादातर प्रशिक्षक, कथित रूप से पाकिस्तानी सेना के कर्मी थे.

पतरा ने पूछताछ के दौरान कथित रूप से अधिकारियों को बताया, कि उसका ट्रेनर अबु हंज़ाला एक रिटायर्ड पाकिस्तानी सेना कर्मी था, और ट्रेनिंग के दौरान उसे एके 47 जोड़ना, हथगोले फेंकना, और कसरत करना सिखाया गया था.

सूत्र ने बताया, ‘पतरा ने हमें बताया कि ट्रेनिंग के बाद उनके फोटो एलईटी काडर को भेजे गए और उसका चयन कर लिया गया. फिर उसे बुलाया गया और उससे बारामूला तथा पाटन का नक़्शा बनाने के कहा गया. इसके बाद उसे पाकिस्तानी सेना के शेर कैंप ले जाया गया, जहां उसे कुछ एके 47 रायफलें, गोलाबारूद, और अन्य विस्फोटक दिए गए’.

लेकिन लगता है कि वो पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था, और ‘10 दिन का ब्रेक लेकर’ अपनी मां से मिलने चला गया.

सूत्र ने बताया, ‘दस दिन के बाद वो वापस नहीं आया और ग़ायब हो गया. लेकिन दो साल के बाद उसने फिर से अनस से संपर्क किया, क्योंकि उसका गुज़ारा नहीं हो पा रहा था, और वो अपनी मां के इलाज के लिए पर्याप्त पैसा नहीं जुटा सका था’.

‘इसके बाद उसे एक रिफ्रेशर कोर्स में शामिल किया गया, और उससे कहा गया कि एक महीने की कार्रवाई के लिए उसे भारत जाना होगा’.


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सरेंडर और एक ‘अनुरोध’

18 सितंबर की रात पतरा और उसके सहयोगियों ने, कथित रूप से उरी सेक्टर से भारत में घुसपैठ करने के लिए, भारत-पाकिस्तान सीमा पर तार को काट दिया.

सेना की ओर से जारी बयान के अनुसार, घुसपैठ की कोशिश के दौरान जब दो आतंकी एलओसी को पार कर रहे थे, तो भारत के एक गश्ती दल ने उन्हें देख लिया. घने झाड़-झंखाड़ का फायदा उठाते हुए, चार आतंकी एलओसी की पीओके साइड की ओर वापस भाग गए, जबकि बाक़ी दो आतंकी भारतीय क्षेत्र में घुसने में कामयाब हो गए.

उसके बाद अतिरिक्त बल शामिल किए गए, और संदिग्ध इलाक़ों में और अधिक गश्तें शुरू की गईं, और उन्हें पकड़ने के लिए भाग निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए.

25 सितंबर की रात, ऐसी ही एक गश्त के दौरान दोनों लोग दिखाई पड़ गए. भारतीय सेना के अनुसार वो लोग एलओसी के क़रीब 800 मीटर अंदर थे.

26 सितंबर की दोपहर तक क़ारी अनस को एक गोलीबारी में ढेर कर दिया गया, और पतरा ने सरेंडर कर दिया.

कथित आतंकियों ने घुसपैठ के लिए जो रास्ता लिया, वो सवाई नाला आतंकी कैंप से हल्लन शुमाली लॉन्चपैड, वहां से जबरी और फिर सलामाबाद नाला जाता था. सूत्र ने बताया, ‘ये सलामाबाद नाला था जिसके रास्ते आतंकियों ने, 2016 में पाकिस्तान सेना की मदद से घुसपैठ की थी, और ऊरी गैरिसन पर आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था’.

दूसरे सूत्र ने कहा कि पूछताछ के दौरान, पतरा ने कथित रूप से सेना अधिकारियों से अनुरोध किया, कि उसकी मां का ख़याल रखा जाए, और ‘आईएसआई तथा पाकिस्तानी सेना से ये भी अनुरोध किया, कि उसे वापस बुला लिया जाए’.

‘उसने कहा कि वो भारतीय सेना का आभारी है, कि उसके सैनिकों ने उसे नहीं मारा. लेकिन अब उसे वापस पाकिस्तान में अपनी मां की चिंता सता रही है. उसने कहा कि वो फिर से अपनी मां से मिलना चाहता है, और उसे ये भी चिंता है कि एलईटी उसकी मां को चोट पहुंचा सकती है.’

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