नई दिल्ली: भारत अपने परम्परागत शौर्य को मजबूत करने के अलावा अपनी पश्चिमी एवं उत्तरी सीमा के पास ऐसी शक्तिशाली प्रतिक्रिया देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिसका युद्ध से दूर-दूर तक कोई लेना-देना न हो.
Army Chief General MM Naravane: We are also focusing on dynamic response. We are refining our capacities on both the western and northern borders. We are developing both kinetic and non-kinetic methods. https://t.co/2sYMGekaqe
— ANI (@ANI) March 4, 2020
आर्मी प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, ‘भविष्य में हम लेजर जैसी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों और डायरेक्ट एनर्जी हथियारों का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं.’
आर्मी प्रमुख ने एमएम नरवणे ने युद्ध के बदलते तौर-तरीके पर कहा कि 20वीं शताब्दी के युद्ध के प्रतीक जैसे बड़े मुख्य युद्धक टैंक और लड़ाकू विमान बाहर होने के रास्ते पर हैं.
‘हम गतिशील प्रतिक्रिया पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर अपनी क्षमताओं को उन्नत कर रहे हैं. हम गतिज और गैर-गतिज दोनों तरीकों का विकास कर रहे हैं.
Army Chief: In Iraq and Syria, it is the ISIS an organisation steeped in 17th century, was far more advanced in using social media than the 21st-century forces like the US and the UK https://t.co/xeAyWMtDe5
— ANI (@ANI) March 4, 2020
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने जमीनी युद्ध के विषय पर बुधवार को यहां आयोजित सम्मेलन में कहा कि बालाकोट में किए गए हवाई हमले दिखाते हैं कि अगर आप निपुण हैं तो जरूरी नहीं कि बढ़ा हुआ तनाव हमेशा युद्ध में तब्दील हो जाए.
भारत की उत्तरी सीमा चीन के साथ और पश्चिमी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है.
सेना प्रमुख ने इस ओर इशारा किया कि दक्षिण चीन सागर में चीन का प्रभुत्व दिखाता है कि एक भी गोली चलाए बिना या जवाबी कार्रवाई के लिए उकसाए बिना छोटे-छोटे कदमों से भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
नरवणे ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन की 21वीं सदी की सेनाओं की तुलना में आईएसआईएस तबाही मचाने की गतिविधियों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में कहीं आगे है.