नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है.
अमित शाह ने घोषणा की कि एक महत्वपूर्ण कदम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों के बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है.
In a significant step, GoI under the decisive leadership of PM Shri @NarendraModi Ji has decided to reduce disturbed areas under Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) in the states of Nagaland, Assam and Manipur after decades.
— Amit Shah (@AmitShah) March 31, 2022
गृह मंत्री ने ट्वीट किया कि अफस्पा के तहत क्षेत्रों में कमी सुरक्षा की स्थिति में सुधार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उग्रवाद को खत्म करने, उत्तर पूर्व में स्थायी शांति लाने के लिए लगातार प्रयासों और कई समझौतों के कारण तेजी से विकास का परिणाम था.
उन्होंने आगे लिखा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटूट प्रतिबद्धता की वजह से दशकों से उपेक्षा झेल रहा हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास का गवाह बन रहा है. मैं पूर्वोत्तर के लोगों को इस अहम मौके पर बधाई देता हूं.’
नागालैंड के मोन जिले में सेना के घात लगाकर किए गए हमले में 14 नागरिकों के मारे जाने के तीन महीने बाद यह कदम उठाया गया. इस घटना के बाद से राज्य से अफस्पा को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.
जानकारी के मुताबिक नागालैंड में, जहां 1995 से AFSPA लागू है, सात जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को अशांत क्षेत्रों की लिस्ट से हटा दिया जाएगा और अब अफस्पा के तहत नहीं आएगा.
असम में जहां 1990 से अफस्पा के अधीन है वहां 24 जिलों जिसमें 23 पूरी तरह से और एक को आंशिक रूप से उस सूची से हटा दिया गया है. मणिपुर में, जो 2004 से अफस्पा (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) के अधीन है, छह जिलों के 15 पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को हटा दिया गया है.
अफस्पा को निरस्त करने की मांग नागालैंड और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में वर्षों से जारी है और जिसने मोन की घटना के बाद जोर पकड़ा है.
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी देते हुए बताया कि अफस्पा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद रहेगा जहां स्थिति में सुधार होने बाकी हैं.
उन्होंने कहा कि ‘अफस्पा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद रहेगा जहां स्थिति में सुधार होने बाकी हैं. असम का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किमी है, यह पूरा क्षेत्र अशांत क्षेत्र था और अब यह क्षेत्र केवल 31,724.94 वर्ग किमी तक ही सीमित है.’
उन्होंने आगे कहा कि ‘9 जिलों और एक अनुमंडल को छोड़कर असम आज आधी रात से अफस्पा को पूरी तरह से वापस ले लेगा. इससे हमारे 60 फीसदी क्षेत्र से अफस्पा वापस ले लिया जाएगा. आज आधी रात से पूरे निचले, मध्य और उत्तरी असम से अफस्पा हटाया जाएगा.’
बिस्वा ने आगे कहा कि ‘1990 में असम को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था. तब से अफस्पा लगातार लागू था. 1990 से अब तक असम की सरकार 62 बार अफस्पा बढ़ा चुकी है. आज पीएम मोदी ने अफस्पा को उस क्षेत्र से वापस लेने का साहसिक निर्णय लिया है जहां इसकी आवश्यकता नहीं है.’
उधर, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय लिया गया है. नॉर्थ ईस्ट के तीनों प्रदेश असम, मणिपुर और नागालैंड में बसे हुए AFSPA का दायरा घटाया गया है ये एक ऐतिहासिक दिन है इस निर्णय से पता चलता है कि यहां पर शांति वापस से बहाल हुई है.
मोन घटना के बाद 27 दिसंबर को नरेंद्र मोदी सरकार ने नागालैंड से अफ्सपा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पैनल की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया था और यह निर्णय लिया गया था कि कुछ क्षेत्रों से चरणबद्ध तरीके से अफस्पा को हटाया जा सकता है.
गृह मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, 2021 में पूर्वोत्तर में 2014 की तुलना में आतंकवाद की घटनाओं में 74 फीसदी की गिरावट आई है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि सुरक्षाकर्मियों की मौत में भी 60 फीसदी और नागरिकों की मौत में 84 फीसदी की गिरावट आई है. यह राज्यों में ‘बेहतर सुरक्षा स्थिति’ को दर्शाता है.
बयान में कहा गया है, ‘सरकार की लगातार कोशिशों और पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों में कमी आई है.’
इन तीन पूर्वोत्तरी राज्यों में दशकों से अफस्पा लागू है जिसका मकसद क्षेत्र में उग्रवाद से निपटने के लिए तैनात सुरक्षा बलों की मदद करना है.
अफस्पा सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना वॉरंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति देता है और अगर सुरक्षा बलों की गोली से किसी की मौत हो जाए तो भी यह उन्हें गिरफ्तारी और अभियोजन से संरक्षण भी मुहैया कराता है.
अफस्पा को 2018 में मेघालय और 2015 में त्रिपुरा से पूरी तरह से हटा दिया गया था. उस समय, अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों में अधिनियम लागू था.
इस कानून के कथित ‘कड़े’ प्रावधानों की वजह से पूरे पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर से इसे पूरी तरह से हटाने के लिए प्रदर्शन होते रहे हैं.
भाषा के इनपुट से.
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