रिश्मा कोल्लापू उस दिन को याद करती हैं जब उन्हें और उनके सहपाठियों को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया था. एक सरकारी स्कूल में दसवीं कक्षा पास करने वाली इस किशोरी के लिए यह गर्व का क्षण था. लेकिन 19 मई को टीवी पर हुई उस मुलाकात के बाद से रिश्मा की जिंदगी एक बुरे सपने जैसी हो गई है.
और यह सब इसलिए क्योंकि उसने और उसके अन्य दोस्तों ने धाराप्रवाह अंग्रेजी में बात की थी – वह भी भारतीय लहजे (एक्सेंट) में नहीं, बल्कि एक अलग तरह की अमेरिकी ट्वैंग (नाक के स्वर के साथ बात करना) के साथ.
उसके बाद से ही उसे और उसके दोस्तों को – जो सभी 15 साल से कम उम्र के हैं – सोशल मीडिया पर इस हद तक ट्रोल किया गया कि उन्हें मनोवैज्ञानिक परामर्श (काउंसलिंग) की ज़रूरत पड़ गई. यहां तक कि राजनीतिक नेताओं ने भी उन पर निशाना साधा है.
शिक्षा प्रणाली और भविष्य के प्रति आकांक्षी युवाओं द्वारा उनका उत्साहवर्धन और सम्मान किया जाना चाहिए था, मगर आंध्र प्रदेश में अब वे अपमानजनक उपहास के निशाने पर हैं.
तीव्र उपहास की शुरुआत
जब जगन के साथ उनकी बातचीत के वीडियो वायरल हुए, तो सोशल मीडिया पर ये सवाल उठने लगे कि आखिर किसी सरकारी स्कूल के छात्र इस तरह के ‘पश्चिमी उच्चारण’ में बात कैसे कर सकते हैं?
इस छात्रों का मजाक उड़ाने वाले कई मीम्स और वीडियो ऑनलाइन सामने आए, जबकि उनके अपने घर के आस-पास उन्हें डराने-धमकाने और लगातार उपहास की घटनाओं सामना करना पड़ा. इन छात्रों की सामूहिक गैसलाइटिंग (मनोवैज्ञानिक तरीकों से किसी शख्स को अपने स्वयं के विवेक पर संदेह करने के लिए बाध्य करना) ने उन्हें अपनी खुद की प्रभावशाली उपलब्धि पर संदेह करने के लिए मजबूर कर दिया है. एक अन्य छात्रा अनुषा पेयाला ने दिप्रिंट को बताया, ‘शुरुआत में, मैं बहुत खुश और गर्वित थी और मेरे माता-पिता भी ऐसा ही महसूस कर रहे थे. लेकिन, तमाम मीम्स देखने के बाद मैं कई दिनों तक परेशान रही. मैं केवल यही सोच रही थी कि क्या मैंने कुछ गलत किया? क्या कोई खास एक्सेंट होना इतनी बुरी बात है? लोग हमारा इतना मज़ाक क्यों उड़ा रहे हैं?’
जल्द ही, ये अफवाहें फ़ैल गईं कि इस तरह के ‘संभ्रांत लहजे’ (पॉश एक्सेंट) में बोलने वाले छात्र अपनी दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा भी पास नहीं कर सके. इन खोखले दावों का खंडन करने के लिए कुछ छात्रों ने मीडिया को अपना रिपोर्ट कार्ड भी दिखाया.
विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के मुद्दे को फिर से उठाते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में इन अंग्रेजी बोलने वाले छात्रों की नकल उतारी और यूट्यूब वीडियोज ने आग में घी का काम किया.
ये छात्र जिस किसी भी मिलते वह उनकी ट्रोलिंग और मीम्स की बात उठता. अनुषा, जो अब ग्यारहवीं या इंटरमीडिएट कॉलेज – जैसा कि आंध्र प्रदेश में इसे कहा जाता है – के स्तर पर है, ने कहा ‘उन्होंने हमारा मज़ाक उड़ाते हुए वीडियो दिखाए. ऐसे सैकड़ों वीडियो थे.’
इस अनवरत रूप से हो रही ऑनलाइन ट्रोलिंग और सार्वजनिक अपमान ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला. आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के बेंदापुडी जिला परिषद स्कूल – जहां ये छात्र पड़ते हैं – में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में कार्यरत प्रसाद गंता वीरा ने कहा, ‘छात्रों को काउंसलिंग दी गई और उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए कहा गया.’
एक युवा लड़की को तब ट्रोलिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा, जब लोगों ने उसके द्वारा अपने भारतीय नाम को अंग्रेजी में पेश करने के तरीके का मजाक बनाना शुरू कर दिया. यह अधिकांश मीम्स का मुख्य बिंदु बन गया, और आज भी उसका मजाक उड़ा रहे सैकड़ों वीडियो और इंस्टाग्राम रील मौजूद हैं. एक वीडियो में, विदेश में रहने वाले एक भारतीय ने उस देश के एक स्थानीय नागरिक के साथ मिलकर मुख्यमंत्री से इस लड़की का नाम पूछे जाने और उसके जवाब को लिप सिंक किया. वह लड़की- जो साक्षात्कार के समय दसवीं कक्षा में थी- और उसका परिवार, दिप्रिंट से बात करने से हिचक रहा था.
हाल ही में अखिल भारतीय स्तर पर सफल होने वाली फिल्म आरआरआर, जिसमें बॉलीवुड महिला आइकन आलिया भट्ट ने अपने चरित्र का परिचय दिया है, से चुराए गए एक वीडियो क्लिप को दसवीं कक्षा के इस छात्र द्वारा मुख्यमंत्री को अपना नाम बताने के तरीके से मेल खाने के लिए लिप सिंक किया गया था.
‘नेटिव’ उच्चारण को प्रोत्साहित कर रहें हैं शिक्षक
उनके शिक्षक प्रसाद इस तरह की नफरत का कोई मतलब नहीं निकाल पा रहे हैं. यह उनका ही विचार था कि छात्रों को अमेरिकी उच्चारण के साथ ‘अंग्रेजी के नेटिव स्पीकर्स (मूल वक्ताओं’) के रूप में कैसे पेश किया जाए.
उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों, नाटकों और मनोरंजन कार्यक्रमों के वीडियो क्लिप देखने का निर्देश दिया. इसके पीछे का विचार यह था कि उन्हें यह समझ में आये कि पश्चिम में उसी शब्द का अलग-अलग उच्चारण कैसे किया जाता है. रिश्मा ने कहा, ‘हम ‘वाटर’ शब्द को एक विशेष तरीके से बोलते हैं, लेकिन विदेशों में लोगों का इसे बोलने का एक अलग तरीका है. हम उन वीडियो को देखते थे और रोजाना एक घंटे इस भाषा को बोलने का अभ्यास करते थे. उदाहरण के लिए, यदि हम अपनी पाठ्यपुस्तक से एक पाठ पढ़ रहे होते थे, तो हम शब्दों का उच्चारण उसी तरह करने की कोशिश करते थे, जैसे एक अमेरिकी करता है.’
अंग्रेजी सीखने वाले इन छात्रों के वीडियो मई महीने में ऑनलाइन पोस्ट किए गए, और जल्द ही इन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रियता होनी शुरू हो गई. इसके एक हफ्ते से भी कम समय में स्कूल प्रबंधन को राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग का फोन आया और उन्होंने छात्रों से बातचीत करने का अनुरोध किया. प्रसाद ने कहा, ‘आईएएस अधिकारियों के एक समूह ने छात्रों से मुलाकात की, उनसे बातचीत की और फिर मुख्यमंत्री के साथ बैठक की व्यवस्था की.’
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जगन द्वारा अंग्रेजी पर जोर दिए जाने के प्रति प्रतिकिया
इसका समय भी एकदम सटीक था क्योंकि जगन मोहन के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाने पर जोर दे रही है. पिछले साल ही आंध्र सरकार ने सभी पब्लिक स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाने का फैसला किया था.
प्रसाद के लिए, उनके छात्रों द्वारा अपने भाषा कौशल को आजमाने का यही सही मौका था. हालांकि उन्होंने स्वयं एक तेलुगु-माध्यम के स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन वे हमेशा से अंग्रेजी, और जिस तरह से यह अन्य देशों में बोली जाती थी उस बात से. से प्रभावित रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे अमेरिकी एक्सेंट पसंद है. मुझे लगता है कि अगर वे ‘मूल अंग्रेजी बोलने वाले’ (नेटिव इंग्लिश स्पीकर्स) के रूप में दिखाई देते हैं तो उन्हें समाज में बेहतर तरीके से स्वीकार किया जाएगा.’
लेकिन हुआ ठीक इसके उलट. प्रसाद, जो साहित्य और मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री रखते हैं, ने कहा ‘यह मामला इस तरह से भड़क उठा कि हम सब चौंक गए. इस तरह के आक्रामक व्यवहार के लिए न तो शिक्षक तैयार थे और न ही छात्र. मुझे आश्चर्य है कि लोग बच्चों को इस तरह से ट्रोल करने के बारे में सोच भी कैसे सकते हैं. मैंने उन्हें इसी तरह बोलना जारी रखने के लिए कहा है.’
स्कूल शिक्षा के लिए आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार अकुनुरी मुरली, जो एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी भी हैं, ने इस तरह की ट्रोलिंग को ‘बर्बर’ कहा. उन्होंने बताया कि जगन से मिलने वाले ज्यादातर छात्र – ठीक-ठीक कहें तो हर पांच में से तीन – लड़कियां थीं. वे कहते हैं, ‘कल्पना कीजिए, कोई छात्रा पहली बार अपने गांव से बाहर आती है, मुख्यमंत्री से बात करती है और फिर इतनी बेरहमी से ट्रोल हो जाती है. इसका स्कूलों में पढ़ने वाली लाखों अन्य छात्राओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा.‘
‘नहीं छोड़ेंगे यह एक्सेंट’
शुरुआती हमले को झेलने के बाद, छात्रों ने अमेरिकी लहजे के साथ अंग्रेजी बोलना जारी रखने का फैसला किया है. अनुषा ने बताया, ‘हमारे सर (प्रसाद) ने ज़ूम मीटिंग की और हम में से प्रत्येक से बात की. उन्होंने हमें इन सब से प्रभावित न होने के लिए कहा. हमारे माता-पिता ने भी हमें प्रोत्साहित किया.’
पिछले महीने, ये छात्र अन्य छात्रों को अंग्रेजी सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कृष्णा जिले के निदामनुरु स्थित एक अन्य सरकारी स्कूल में भी गए थे.
सरकार ने भी साथी सहपाठियों को अंग्रेजी सिखाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए बेंदापुडी स्कूल के शिक्षक प्रसाद और उनके छात्रों के साथ एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है. इन पहलों ने उनके आत्मविश्वास को फिर से खड़ा करने में मदद की है. प्रसाद ने कहा, ‘हमारे छात्रों की बातें सुनकर, अन्य स्कूली छात्र भी प्रेरित हुए. उन बच्चों के माता-पिता तो इतने खुश थे कि वे सब चाहते थे कि उनके बच्चे भी इसी तरह से बोलें. सरकार अब इसे और अधिक स्कूलों में विस्तारित करने के लिए एक एसओपी )स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) पर काम कर रही है. मैं भी उनकी सहायता कर रहा हूं.’
हालांकि मुरली ने यह स्पष्ट किया कि इस परियोजना का उद्देश्य अंग्रेजी बोलने के उनके प्रवाह में सुधार करना है और इसमें उच्चारण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. लेकिन छात्र अपना एक्सेंट नहीं छोड़ने वाले हैं. रिश्मा ने कहा, ‘राजनेताओं के एक समूह ने हमें मशहूर किया और दूसरे समूह ने हमें ट्रोल किया. लेकिन हम अब इन सब से परेशान नहीं होंगे.’
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