नई दिल्ली: अंडमान और निकोबार प्रशासन ने देश भर में किट की तीव्र कमी को देखते हुए, परीक्षण किए गए किट की संख्या को कम करने के लिए संदिग्ध कोरोनावायरस रोगियों के नमूनों का ‘पूल परीक्षण’ किया है.
वे पिछले दस दिनों से कोविड-19 के ऐसे परीक्षण कर रहे हैं और सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत में ऐसा करने वाला ये केंद्र शासित प्रदेश है.
इस प्रक्रिया में एक परीक्षण में कई स्वैब नमूनों का परीक्षण शामिल होता है. यदि संयुक्त नमूना कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण करता है, तो नमूनों को व्यक्तिगत रूप से यह निर्धारित करने के लिए परीक्षण किया जाता है कि संक्रमण किसको है. यह व्यक्तिगत नमूनों के परीक्षण की तुलना में उपयोग किए गए परीक्षण किटों की संख्या को कम करता है.
एक सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रति परीक्षण किट में पांच नमूने उपयोग किए जाते हैं. इसलिए, 100 नमूनों के परीक्षण के लिए 25 से कम किट का उपयोग किया जा रहा है.’
सरकार के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा इस पद्धति को मंजूरी दे दी गई है और कई राज्यों में किट उपलब्ध नहीं हो रहे हैं. ऐसे में देश में इसे प्रयोग किया जा सकता है.
परीक्षण का लागत प्रभावी तरीका
अंडमान और निकोबार में प्रशासन द्वारा 620 से अधिक परीक्षण किए गए हैं. राज्य की आबादी लगभग चार लाख है.
शुक्रवार को एक ट्वीट में, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव चेतन सांघी ने कहा कि एक-चौथाई परीक्षण किटों का उपयोग संघ क्षेत्र में औसतन अधिक परीक्षणों के लिए नमूनों के पूलिंग द्वारा किया जा रहा है.
Doing more with less is important while #AndamanFightsCOVID19
We pool samples thus using one fourth of test kits. Thus more tests on average in our islands.#StayAtHome
— Chetan Sanghi (@ChetanSanghi) April 10, 2020
अमेरिका में टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पूलेड रियल-टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन कन्वेंशन (आरटी-पीसीआर) परीक्षण की व्यवहार्यता का आकलन किया गया था. आरटी-पीसीआर परीक्षण का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति को कोविड-19 है या नहीं.
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अध्ययन से पता चला है कि पूलिंग टेस्ट के नमूने लागत प्रभावी हैं और यह संक्रमण के प्रसार का अनुमान निर्धारित कर सकता है, खासकर सीमित संसाधनों वाले देशों में.
अंडमान और निकोबार में कोविड-19 के 11 संक्रमित मामले
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पांच विलुप्तप्राय जनजातियों का क्षेत्र है और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 22 मार्च को गैर-निवासियों और बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने वाला पहला था.
केंद्रशासित प्रदेश ने कोरोनावायरस के 11 मामलों की पुष्टि की थी, जिनमें से नौ ने पिछले महीने दिल्ली में तबलीगी जमात के आयोजन में भाग लिया था.
मालदीव और माल्टा जैसे अन्य द्वीप देशों की तुलना में, अंडमान और निकोबार में सबसे कम मामले सामने आए हैं. मालदीव में 19 मामले सामने आए हैं जबकि माल्टा में कोरोनोवायरस के 350 पुष्ट मामले सामने आए हैं.
तबलीगी जमात से जुड़ी घटना के बाद, अधिकारियों द्वारा गहन संपर्क ट्रेसिंग की गई. इसके अतिरिक्त, जिन लोगों ने अंडमान की दो उड़ानों में जमात कार्यक्रम में कथित रूप से भाग लिया था, उन्हें भी अलग कर दिया गया और उनमें से अधिकांश का परीक्षण किया गया था.
दस मरीज संक्रमण से ठीक हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से दो हफ्ते के लिए प्रशासनिक क्वारेंटाइन में भेज दिया गया है. शनिवार तक द्वीप क्षेत्र में कोविड-19 का केवल एक सक्रिय मामला सामने आया है.
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