नई दिल्ली: कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा जिले से रविवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया. वो एक महीने से अधिक समय से फरार था.
पुलिस महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गिल ने बताया, ‘‘पुलिसकर्मियों ने रोड़े गांव में उसे घेर लिया था जिससे उसके फरार होने की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने 29-वर्षीय अमृतपाल को सुबह छह बजकर 45 मिनट पर गिरफ्तार किया था.अमृतपाल को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया है.’’
आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले रोड़े गांव से था और अमृतपाल सिंह को पिछले साल इस गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख नियुक्त किया गया था.
पुलिस अधिकारी ने सोशल मीडिया पर वायरस एक वीडियो में किए गए अमृतपाल के आत्मसमपर्ण के दावों को खारिज किया.
आत्मसमपर्ण या गिरफ्तारी
सोशल मीडिया पर अमृतपाल को हिरासत में लिए जाने की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं और इनमें वह पारंपरिक सफेद वस्त्र पहने हुए दिखाई दे रहा है. वीडियो में अमृतपाल यह कहता दिखता है कि वह ‘‘आत्मसमर्पण’’ कर रहा है.
वीडियो में वह यह भी कहता सुनाई दे रहा है, ‘‘यह संत जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म स्थान है. यह वही स्थान है जहां मेरा ‘दस्तारबंदी’ (पगड़ी बांधना) समारोह हुआ था. हम जीवन के अहम मोड़ पर खड़े हैं. पिछले एक महीने में जो भी हुआ है, वह सब आपने देखा है.’’
वीडियो में वह कह रहा है, ‘‘एक महीने पहले सिखों के खिलाफ सरकार ने ‘ज्यादती’ की. अगर केवल मेरी गिरफ्तारी का सवाल होता तो शायद गिरफ्तारी के और भी कई तरीके होते जिन पर मैं सहयोग करता.’’
उसने कहा, ‘‘ईश्वर की अदालत में, मैं दोषी नहीं हूं लेकिन दुनिया की अदालत में दोषी हो सकता हूं. एक महीने बाद, मैंने तय किया है कि हम इस जमीन पर लड़ेंगे और कभी यह ज़मीन नहीं छोड़ेंगे.’’
अमृतपाल ने कहा कि वह अदालतों में ‘‘झूठे मुकदमों’’ का सामना करेगा, जो पुलिस ने उसके खिलाफ दर्ज किए हैं. उसने कहा, ‘‘इसी जगह पर (रोडे में उसकी नियुक्ति हुई थी), मैंने आत्मसमर्पण का फैसला किया और यह गिरफ्तारी कोई अंत नहीं है, यह एक शुरुआत है.’’
पुलिस के दावे
जबकि, गिल ने बताया कि पंजाब पुलिस को उसके रोडे गांव में होने का पता चला था और पुलिसकर्मियों ने उसे चारों तरफ से घेर लिया था, जिससे उसके फरार होने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी.
उन्होंने कहा, ‘‘अमृतसर पुलिस और पंजाब पुलिस की खुफिया इकाई ने एक संयुक्त अभियान चलाया. पंजाब पुलिस को उसके रोडे गांव में होने का पता चला था. उसे चारों तरफ से घेर लिया गया था, पंजाब पुलिस ने गांव को घेर लिया था.’’
पुलिस ने बताया कि उसने गुरुद्वारे की पवित्रता बनाए रखने के लिए इसमें प्रवेश नहीं किया जहां अमृतपाल मौजूद था.
अमृतपाल के आत्मसमर्पण करने की खबरों पर सवाल पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि यह बिलकुल साफ है कि उसे चारों तरफ से घेरने के बाद गिरफ्तार किया गया. गिल ने बताया कि अमृतपाल को यह संदेश दिया गया था कि उसके भागने की कोई गुंजाइश नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरीके से पूरे अभियान की योजना बनाई गई, जिस तरह की ठोस सूचनाएं थीं, जिस तरीके से गांव को घेरा गया…गुरुद्वारे की पवित्रता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण था और वर्दी के साथ पुलिस अंदर नहीं जा सकती थी. जब उसे चारों तरफ से घेर लिया गया तो उसे यह पता चला जिसके बाद गिरफ्तारी संभव हुई.’’
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘गुरुद्वारे के भीतर क्या हुआ और अंदर क्या कहा गया, इस पर कोई टिप्पणी करना अभी उचित नहीं है.’’
वीडियो में अमृतपाल को यह कहते हुए सुना गया कि ईश्वर उसके खिलाफ बुना ‘‘झूठ का पुलिंदा’’ नष्ट कर देगा.
अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर ने कहा, ‘‘हमने खबर देखी और पता चला कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया है. मुझे गर्व महसूस हुआ कि उसने एक योद्धा की तरह आत्मसमर्पण किया है…हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और हम उससे जल्द से जल्द मिलेंगे.’’
अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने दावा किया कि अमृतपाल ने आत्मसमर्पण किया है और उस वक्त वह भी मौजूद थे.
उन्होंने मोगा में पत्रकारों से कहा कि अमृतपाल ने एक सभा को संबोधित किया और बाद में आत्मसमर्पण करने के लिए गुरुद्वारे से बाहर आया.
वहीं, एक अन्य वीडियो में अमृतपाल, भिंडरावाले की तस्वीर के सामने बैठा हुआ दिखता है.
अमृतपाल सिंह पहले भी दो बार पुलिस को झांसा देकर फरार हो गया था. सबसे पहले वह 18 मार्च को जालंधर जिले में वाहन बदलकर भाग गया था. फिर होशियारपुर में 28 मार्च को वह फरार हो गया था. 28 मार्च को वह अपने प्रमुख सहयोगी पपलप्रीत सिंह के साथ पंजाब लौटा था.
फरार रहने के दौरान अमृतपाल के दो वीडियो और एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर आई. 30 मार्च को सामने आए अपने दो वीडियो में से एक में अमृतपाल ने कहा कि वह भगोड़ा नहीं है और जल्द ही पेश होगा.
खालिस्तान समर्थक उपदेशक अमृतपाल ने दावा किया था कि वह उन लोगों की तरह नहीं है जो देश छोड़कर भाग जाएंगे.
अकाल तख्त के जत्थेदार ने अमृतपाल को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने तथा जांच में सहयोग करने के लिए कहा था.
पुलिस ने अजनाला थाने पर हमला करने के बाद 18 मार्च को अमृतपाल सिंह तथा उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद से वह फरार था. पुलिस ने खालिस्तान समर्थक के खिलाफ सख्त रासुका लगाया था.
अमृतपाल तथा उसके साथियों पर विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने, हत्या का प्रयास करने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने और लोकसेवकों के काम में बाधा पैदा करने से जुड़े कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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