शिमला: शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं एक स्थानीय दक्षिणपंथी समूह ‘बाहरी लोगों’ के आर्थिक बहिष्कार को प्रोत्साहित कर रहा है और संजौली में हिंदू स्ट्रीट वेंडरों को ‘सनातन सब्ज़ी वाला’ के बोर्ड बांट रहा है. इन बोर्ड का उद्देश्य लोगों को हिंदुओं के स्वामित्व वाली स्थानीय दुकानों से सब्जियां और अन्य सामान खरीदने के लिए प्रेरित करना और उन्हें प्रवासी मुस्लिम विक्रेताओं से खरीदारी करने से रोकना है.
पिछले महीने गठित स्थानीय दक्षिणपंथी संगठन देवभूमि संघर्ष समिति ने बुधवार को संजौली उपनगर में ऐसे बोर्ड बांटे. दिप्रिंट से बात करते हुए समिति के सह-संयोजक विजय शर्मा ने कहा, “हम लोगों को स्थानीय लोगों से सब्ज़ियां और फल खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. यह एक तरह का जागरूकता अभियान है.”
शर्मा ने कहा, “केवल शिमला ही नहीं, बल्कि हिमाचल के दूसरे शहरों से भी लोग जनसांख्यिकीय बदलावों के बारे में शिकायत कर रहे हैं. आपने देखा होगा कि संजौली में पांच मंज़िला मस्जिद कैसे बनाई गई. इसलिए, हम सिर्फ स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.”
संजौली में सब्ज़ी बेचने वाले सतीश कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि वे हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के उस आदेश से सहमत हैं, जिसमें स्ट्रीट वेंडरों, “खाने-पीने के सामान, फल और सब्ज़ियां बेचने वालों” के नाम और पहचान प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है.
सिंह ने शुरू में शहरी विकास विभाग को इसे लागू करने का निर्देश दिया था, लेकिन पार्टी के भीतर से विरोध के बाद, कांग्रेस सरकार ने बाद में स्पष्ट किया था कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है.
कुमार ने कहा, “राजनीतिक दबाव में झुक गई. हालांकि, हमें ‘सनातन सब्ज़ी वाला’ का बोर्ड प्रदर्शित करने से कोई नहीं रोक सकता.”
नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि हर किसी को अपनी मर्ज़ी से अपना कारोबार चलाने का अधिकार है, बशर्ते कि उन्होंने ज़रूरी अनुमति ले ली हो.
उन्होंने कहा, “अभी तक जबरन आर्थिक बहिष्कार से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली है. इस तरह का बोर्ड लगाना कोई अपराध नहीं है.”
हालांकि, दिप्रिंट द्वारा इंटरव्यू किए गए मुस्लिम विक्रेताओं ने अभियान पर अपना दुख ज़ाहिर किया.
एक स्ट्रीट वेंडर अल्ताफ ने कहा, “नेम प्लेट लगाना अच्छा विचार था, लेकिन ‘सनातन सब्ज़ी वाला’ कहने वाले इन संकेतों से लोग धर्म के आधार पर हमारे साथ भेदभाव कर सकते हैं. हम सनातनी नहीं हैं, हम मुसलमान हैं, लेकिन क्या यह कोई गुनाह है?”
संजौली मस्जिद विवाद अभी थमा नहीं
पांच अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के शिमला की एक अदालत ने विवादित संजौली मस्जिद की तीन ‘अवैध रूप से निर्मित’ मंजिलों को गिराने का आदेश दिया. पिछले 14 साल से न्यायालय में विचाराधीन यह मामला पिछले महीने तब और गहरा गया जब दो अलग-अलग धार्मिक समुदायों के व्यापारियों के बीच विवाद सांप्रदायिक तनाव में बदल गया.
शिमला नगर निगम अदालत ने 12 सितंबर को मुस्लिम कल्याण समिति द्वारा किए गए एक अभ्यावेदन को भी स्वीकार किया, जिसमें अदालत के आदेश के अनुपालन में मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को सील करने और मंजिलों को स्वयं गिराने की अनुमति मांगी गई थी.
हालांकि, विध्वंस आदेश के बाद, ऑल-हिमाचल मुस्लिम संगठन (AHMO) ने मुस्लिम कल्याण समिति द्वारा किए गए अभ्यावेदन का विरोध करते हुए दावा किया कि समिति के पास इस तरह के अनुरोध करने का अधिकार नहीं है.
उन्होंने तर्क दिया कि नगर निगम अदालत के फैसले ने मामले के तथ्यों और गुणों को नज़रअंदाज कर दिया.
AHMO के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने दिप्रिंट से कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट में भी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, फैसला तथ्यों से कोसों दूर है. स्थानीय समिति नगर निगम के समक्ष कोई भी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की हकदार नहीं थी.”
इस बीच, संजौली मस्जिद समिति (जो प्रतिवेदन प्रस्तुत करने वाली मुस्लिम कल्याण समिति का हिस्सा है) के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने कहा कि अदालत ने उनके प्रस्तुतीकरण पर यह आदेश दिया है.
उन्होंने कहा, “हम अदालत के आदेश का सम्मान करेंगे. न तो वक्फ बोर्ड और न ही स्थानीय समिति इस आदेश को चुनौती देगी.”
इस बीच, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्य के लिए स्ट्रीट वेंडिंग नीति को अंतिम रूप देने के लिए कांग्रेस और भाजपा के विधायकों का एक पैनल गठित किया है.
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